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कांकेर में एकलव्य स्कूल के बच्चों को मिल रहा कीड़े वाला चावल, कलेक्टर से छात्रों ने की शिकायत - दुर्गुकोंदल

Kanker Eklavya Hostel Student reached Collectorate: कांकेर के एकलव्य आवासीय छात्रावास के बच्चे सोमवार को शिकायत लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे. बच्चों ने यहां कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन सौंपकर प्रिंसिपल पर कार्रवाई की मांग की है.

Kanker Eklavya Hostel
कांकेर के एकलव्य आवासीय छात्रावास
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 19, 2024, 7:01 PM IST

कांकेर में बच्चों को मिल रहा कीड़े वाला चावल

कांकेर: इन दिनों लगातार छत्तसीगढ़ के एकलव्य आवासीय विद्यालय में अव्यवस्था की शिकायतें मिल रही है. कांकेर एकलव्य आवासीय विद्यालय के बच्चे अपने प्रिंसिपल की शिकायत लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे. बच्चों ने बताया कि प्रिंसिपल की ओर से उन्हें हमेशा टीसी काटने की धमकी दी जाती है. कीड़े और कंकड़ वाला चावल दिया जाता है. साथ ही बच्चों को टॉयलेट भी साफ करना पड़ता है, क्योंकि स्कूल का सफाईकर्मी प्रिंसिपल के खेत में काम करने चला जाता है.

जानिए क्या कहते हैं बच्चे: पूरी घटना कांकेर के दुर्गुकोंदल आवासीय एकलव्य विद्यालय का है. यहां के 31 छात्र कांकेर कलेक्टर से शिकायत करने पहुंचे. छात्रों ने बताया कि "हम प्रिंसपल की शिकायत लेकर पहुंचे हैं. हमारी छोटी-छोटी गलतियों पर टीसी काटने की धमकी दी जाती है. हमारे पालकों को हमसे मिलने नहीं दिया जाता है. पालकों के साथ भी गंदा व्यवहार किया जाता है. यही कारण है कि हमारे पालक यहां हमसे मिलने नहीं आ पाते हैं. खाने में जो हमें चावल मिलता है उसमें कीड़े और कंकड़ मिलते हैं. यहां टॉयलेट की सफाई हमें करनी पड़ती है. स्कूल का सफाईकर्मी प्रिंसिपल के खेत में काम करने जाता है."

एकलव्य आदिवासी दुर्गुकोंदल के बच्चे आज आए हैं. उनका कहना है कि वहां के प्राचार्य कड़ा रुख अपनाते है. प्रिंसपल के सामने अपनी समस्यों को रखते है तो गंभीरता से नहीं लेते. बच्चो का कहना है कि प्रिंसपल को हटाया जाए. इस संबंध में उच्च स्तर पर बात करेंगे. बच्चों की जो शिकायत है उसकी जांच की जाएगी. -सीएल कुर्रे, सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास विभाग

कुल 31 बच्चे पहुंचे कलेक्ट्रेट: जानकारी के मुताबिक सोमवार को कुल 31 छात्र दुर्गुकोंदल से भानुप्रतापपुर तक 40 रुपए देकर बस से कलेक्ट्रेट पहुंचे. फिर भानुप्रतापपुर से 70 रुपए देकर सभी छात्र कांकेर पहुंचे. इन बच्चों की शिकायत के बाद अधिकारियों ने जांच का आश्वासन दिया है. बच्चों ने कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन पत्र सौंपा है. पत्र में बच्चों ने लिखा है कि, "प्रिंसिपल की प्रताड़ना से बचाइए. अब हमारा भविष्य आपके हाथों में है."

बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब आवासीय विद्यालय के बच्चों ने प्रिंसिपल की शिकायत की हो. लगातार छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्रों से एकलव्य आवासीय विद्यालय में अव्यवस्था की खबर सामने आती रहती है. कई मामलों में सख्त कार्रवाई भी की गई है. बावजूद इसके ऐसे मामले सामने आते रहते हैं.

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जानिए क्या कहते हैं बच्चे: पूरी घटना कांकेर के दुर्गुकोंदल आवासीय एकलव्य विद्यालय का है. यहां के 31 छात्र कांकेर कलेक्टर से शिकायत करने पहुंचे. छात्रों ने बताया कि "हम प्रिंसपल की शिकायत लेकर पहुंचे हैं. हमारी छोटी-छोटी गलतियों पर टीसी काटने की धमकी दी जाती है. हमारे पालकों को हमसे मिलने नहीं दिया जाता है. पालकों के साथ भी गंदा व्यवहार किया जाता है. यही कारण है कि हमारे पालक यहां हमसे मिलने नहीं आ पाते हैं. खाने में जो हमें चावल मिलता है उसमें कीड़े और कंकड़ मिलते हैं. यहां टॉयलेट की सफाई हमें करनी पड़ती है. स्कूल का सफाईकर्मी प्रिंसिपल के खेत में काम करने जाता है."

एकलव्य आदिवासी दुर्गुकोंदल के बच्चे आज आए हैं. उनका कहना है कि वहां के प्राचार्य कड़ा रुख अपनाते है. प्रिंसपल के सामने अपनी समस्यों को रखते है तो गंभीरता से नहीं लेते. बच्चो का कहना है कि प्रिंसपल को हटाया जाए. इस संबंध में उच्च स्तर पर बात करेंगे. बच्चों की जो शिकायत है उसकी जांच की जाएगी. -सीएल कुर्रे, सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास विभाग

कुल 31 बच्चे पहुंचे कलेक्ट्रेट: जानकारी के मुताबिक सोमवार को कुल 31 छात्र दुर्गुकोंदल से भानुप्रतापपुर तक 40 रुपए देकर बस से कलेक्ट्रेट पहुंचे. फिर भानुप्रतापपुर से 70 रुपए देकर सभी छात्र कांकेर पहुंचे. इन बच्चों की शिकायत के बाद अधिकारियों ने जांच का आश्वासन दिया है. बच्चों ने कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन पत्र सौंपा है. पत्र में बच्चों ने लिखा है कि, "प्रिंसिपल की प्रताड़ना से बचाइए. अब हमारा भविष्य आपके हाथों में है."

बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब आवासीय विद्यालय के बच्चों ने प्रिंसिपल की शिकायत की हो. लगातार छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्रों से एकलव्य आवासीय विद्यालय में अव्यवस्था की खबर सामने आती रहती है. कई मामलों में सख्त कार्रवाई भी की गई है. बावजूद इसके ऐसे मामले सामने आते रहते हैं.

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