नई दिल्ली: दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर पक्ष और विपक्ष के उम्मीदवार तय होने के बाद चुनावी गर्माहट भी शुरू हो गई है. फिलहाल दिल्ली की उत्तर-पूर्वी लोकसभा सीट सबसे अधिक चर्चा में बनी हुई है. कांग्रेस ने यहां से जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को उम्मीदवार बनाया है. कन्हैया के नाम की घोषणा होते ही उन पर चौतरफा हमले भी हो रहे हैं. जहां एक ओर 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' की बात कही जा रही है, वहीं 'देश के दुश्मन बनाम सनातन' जैसी बातों को भी चुनावी माहौल में उछाला जाना शुरू हो गया है.
यहां से मौजूदा सांसद मनोज तिवारी ने कन्हैया कुमार पर हमला बोलते हुए सवाल किया कि टुकड़े-टुकड़े गैंग का नेतृत्व करने वाले लोग, दिल्ली और दिल्लीवालों के प्रति कितने जिम्मेदार होंगे. भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के मुताबिक, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में लड़ाई मनोज तिवारी और कन्हैया कुमार के बीच में नहीं, बल्कि सनातन के मुकाबले देश के दुश्मनों की लड़ाई है. भाजपा ने कन्हैया पर दर्ज केस का भी जिक्र करना शुरू कर दिया है.
उधर, कांग्रेस प्रत्याशी कन्हैया कुमार ने कहा "दिल्ली में भाजपा काम नहीं करती, केवल इंडिया गठबंधन की पार्टियों को अकारण परेशान करती है. हम लोकसभा चुनाव मजबूती से लड़ रहे हैं. हम इंसाफ के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे." भाजपा के आरोपो का जवाब आम आदमी पार्टी ने भी दिया है. पार्टी का कहना है कि कन्हैया के खिलाफ पुलिस अदालत में कोई सबूत नहीं दे सकी, जिसके कारण उन्हें जमानत हासिल हुई.
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यदि पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजे को देखें तो उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मनोज तिवारी को 7,87,799 वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस की उम्मीदवार शीला दीक्षित को 4,21,697 वोट मिले थे. बीते चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार दिलीप पांडे को 1,90,856 वोट मिले थे. यदि दोनों पार्टियों के वोट जोड़ भी दिए जाएं तो भी वह पिछली बार भाजपा को मिले कुल मतों के मुकाबले काफी कम है. हालांकि इन बातों और नारों के बीच इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का संयुक्त उम्मीदवार यहां भाजपा के लिए एक चुनौती है. मनोज तिवारी पिछले दो बार से यहां से भाजपा के सांसद हैं. जबकि कन्हैया कुमार दिल्ली की राजनीति में नए खिलाड़ी हैं और दिल्ली में यह उनकी पहली राजनीतिक पारी है.
दरअसल, कन्हैया कुमार और मनोज तिवारी दोनों ही मूल रूप से बिहार से आते हैं और दिल्ली की उत्तर-पूर्वी लोकसभा सीट में बड़ी संख्या में पूर्वांचली मतदाता हैं. यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 23 फ़ीसदी है. ओबीसी मतदाताओं की संख्या 20 प्रतिशत, दलित मतदाता 16 प्रतिशत, ब्राह्मण 11 प्रतिशत, गुर्जर 7 फ़ीसदी से अधिक, वैश्य व पंजाबी मतदाताओं की संख्या भी 4 प्रतिशत के आसपास है.
इस लोकसभा क्षेत्र में 10 विधानसभाएं हैं, जिनमें बुराड़ी, तिमारपुर, सीमापुरी (एससी), रोहतास नगर, सीलमपुर, घोंडा, बाबरपुर, गोकलपुर (एससी), मुस्तफाबाद और करावल नगर हैं। इनमें से सात विधानसभा क्षेत्रों पर आम आदमी का और रोहतास नगर, घोंडा एवं करावल नगर पर भाजपा का कब्जा है. यह क्षेत्र दिल्ली का वही इलाका है, जहां 2020 में दो समुदायों के बीच हिंसक दंगे हुए थे और हिंसा में 53 व्यक्तियों की मौत हो गई थी.
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