कांगड़ा: परमवीर चक्र विजेता शहीद विक्रम बत्रा की माता कमलकांत बत्रा का बुधवार को दोपहर बाद निधन हो गया. उनके निधन से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है. साल 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को एलओसी से पीछे हटने के लिए विवश कर दिया था. इस पराक्रम में जिला कांगड़ा के शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा का अहम योगदान था. जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर अपने देश की सुरक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था.
पालमपुर में ली अंतिम सांस
बता दें कि परमवीर चक्र विजेता शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा की मां कमलकांत बत्रा (77) ने बुधवार को कांगड़ा जिले के पालमपुर स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कमलकांत बत्रा के निधन पर गहरा दुख और संवेदना व्यक्त की है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा की मां काफी लंबे समय से बीमार चल रही थी. इस दौरान उनका इलाज भी चला हुआ था, लेकिन बुधवार दोपहर बाद वह अपनी सांसारिक यात्रा पूरी करते हुए प्रभु के चरणों में विलीन हो गईं.
वीर माता के नाम से प्रसिद्ध
जिला कांगड़ा के पालमपुर निवासी कमलकांत बत्रा को वीर माता के नाम से जाना जाता था, जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपने बेटे की शहादत को गर्व के साथ स्वीकार किया था. कमलकांत बत्रा एक गृहिणी थी. उन्होंने साल 2014 में आम आदमी पार्टी से हमीरपुर संसदीय सीट का चुनाव लड़ा था. उनके बेटे विक्रम बत्रा 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे. कैप्टन बत्रा को अदम्य साहस और वीरता के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. स्वर्गीय कमलकांत बत्रा का अंतिम संस्कार कल पालमपुर में किया जाएगा.
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