कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में मंडी लोकसभा सीट से भाजपा ने बॉलीवुड की अभिनेत्री कंगना रनौत को चुनावी मैदान में उतारा है. जिसके बाद से कंगना लगातार ग्रामीण क्षेत्र का दौरा कर रही हैं. जगह-जगह कंगना पारंपरिक वेशभूषा में ग्रामीणों के साथ मिल रही है और अपने लिए चुनाव में समर्थन भी मांग रही है. ऐसे में बीते दिनों जिला कुल्लू के मनाली विधानसभा क्षेत्र के नग्गर स्थित जगती पट्ट का भी कंगना रनौत ने दौरा किया. जहां उन्होंने जगती पट्ट में माथा टेककर देवी-देवताओं से अपनी जीत के लिए आशीर्वाद भी मांगा.
देवी-देवताओं की अदालत पहुंचीं कंगना रनौत: जगती पट्ट देवी देवताओं की अदालत के नाम से प्रसिद्ध है और यहां पर देवी देवताओं से जुड़े हुए प्रमुख मुद्दों का निपटारा भी किया जाता है. देव समाज में जगती पट्ट की काफी अहम भूमिका है. ऐसे में कंगना रनौत ने भी देवी देवताओं की अदालत में पहुंचकर अपना शीश नवाया है.
यहां लगती है देवी-देवताओं की अदालत: जिला कुल्लू की पुरानी राजधानी नग्गर कैसल स्थित भवन में जगती पट्ट मंदिर है. माना जाता है कि समस्त देवी-देवताओं ने मधुमक्खी का रूप धारण कर इस जगती पट्ट की शिला को बाहंग के पास स्थित द्राम डांग से काट कर नग्गर में स्थापित किया था. बहुत से फैसले ऐसे होते थे, जिसे एक अकेला देवता या आदमी निपटा नहीं सकता था. इसलिए इस स्थान की स्थापना की गई. अब समय-समय पर इस स्थान पर सभी देवी-देवताओं की धर्म संसद लगती है और समाज से संबंधित हर तरह का निर्णय इस स्थान पर लिया जाता है. इसलिए इस स्थान को देवताओं की अदालत कहा जाता है, जो निरंतर हजारों सालों से चली आ रही है.
देवी-देवताओं ने किया धर्म संसद का आयोजन: साल 2013 और 2014 में स्की विलेज से संबंधित और बलि प्रथा को लेकर भी इस स्थान पर सभी देवी-देवताओं ने मिलकर धर्म संसद का आयोजन किया था और फैसले लिए गए थे. जिसे कुल्लू के समस्त जनमानस ने माना था. इस मंदिर में स्थापित अलौकिक शिला की आज भी धार्मिक रीति-रिवाजों से पूजा होती है. स्थानीय निवासी सुरेश आचार्य ने बताया कि जगती पट स्थान सभी देवी-देवताओं के साथ-साथ कुल्लू निवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण पवित्र स्थान है. प्राचीन समय से कई महत्वपूर्ण फैसले इस स्थान पर लिए गए हैं. आज भी इस स्थान की श्रद्धा वैसे ही बरकरार है. आज भी लोगों की जगती पट पर काफी श्रद्धा है और विपत्ति के समय लोग जगती पट में ही उससे निपटने की प्रार्थना करते हैं.
सभी लोगों को मानना पड़ता है जगती पट का आदेश: जगती के लिए सबसे पहले राज परिवार का बड़ा सदस्य यानी राजा की ओर से देवताओं के प्रतिनिधियों यानी गुर, पुजारी और कारदार को निमंत्रण देता है. उसके बाद तय तिथि और स्थान पर सभी देवता जगती के लिए एकत्रित होते हैं. इस दिन भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह सबसे पहले भगवान की पूजा करने के बाद जगती में शामिल होने वाले सभी देवताओं के गुर के आगे पूछ डालते हैं. इसके साथ ही जिस विषय पर जगती बुलाई जाती है और उस पर राय ली जाती है. पूछ के जरिए सभी गुर अपने देव वचन सुनाते हैं. देवताओं के संयुक्त विचार के बाद एक फैसला सुनाया जाता है. इस जगती पट का आदेश सभी लोगों को मानना पड़ता है एवं अवहेलना करने वाले को दंड का भागी बनना पड़ता है, जिला कुल्लू में जगती का आयोजन भगवान रघुनाथ जी के मंदिर, नग्गर स्थित जगती पट मंदिर, ढालपुर मैदान में किया जाता है. इसमें देवता किसी समस्या पर हल निकालने के लिए यह करवाते हैं.
राज परिवार के बड़े सदस्य बुलाते हैं जगती: वहीं, राज परिवार के सबसे बड़े सदस्य भी किसी विशेष समस्या या विश्व शांति के लिए इसको बुलाते हैं. जगती के दौरान इसमें भाग लेने वाले देवताओं को निमंत्रण के बाद इसमें भाग लेना या न लेना उनकी मर्जी पर होता है. लेकिन इसमें नग्गर की देवी त्रिपुरा सुंदरी, कोटकंडी के पंजवीर देवता, देवता जमलू और माता हिडिंबा की मुख्य भूमिका रहती है. पूछ के दौरान इनको विशेष तौर पर पूछा जाता है. जगती के लिए दिन देवता ही तय करते हैं. श्री रघुनाथ जी के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि जगती देव आदेश पर ही होती है. यदि इसका आयोजन नग्गर स्थित जगती पट में होता है तो उसके लिए माता त्रिपुरा सुंदरी को पूछा जाता है. यदि रघुनाथ जी के यहां होती हो तो भगवान रघुनाथ जी ही दिन तय करते हैं.
विकट परिस्थितियों में बुलाई जाती है जगती: जानकारी के मुताबिक कुल्लू में जब भीषण सूखा पड़ा था तो रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह के दादा-दादी ने जगती बुलाई थी. दूसरी बार 16 फरवरी 1971 में जगती बुलाई गई थी, जब घाटी में महामारी फैली थी तीसरी बार 16 फरवरी 2007 में और चौथी बार 26 सितंबर 2014 को जगती बुलाई गई थी. वहीं, बीते साल भी ढालपुर मैदान की शुद्धि के लिए नग्गर में जगती का आयोजन किया गया है.
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