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लवी मेले में छाया कांडे का ऑर्गेनिक सेब, जानें क्या है इसकी खासियत? - ORGANIC APPLE IN RAMPUR LAVI MELA

अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में कांडे का ऑर्गेनिक सेब बेचने के लिए लाया गया है. ये सेब अपनी उत्तम गुणवत्ता के लिए जाना जाता है.

KANDE ORGANIC APPLE
कांडे का ऑर्गेनिक सेब (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 28, 2024, 2:25 PM IST

रामपुर: रामपुर के अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में इस बार कांडे का ऑर्गेनिक सेब छाया हुआ है. ये सेब अपनी बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाना जाता है. साथ ही इसे पूरे ऑर्गेनिक तरीके से उगाया जाता है. इस सेब में किसी भी तरह के रासायनिक खाद या का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. जिसके कारण इसे बेहद लाभकारी माना जाता है. ये सेब किन्नौर जिले की रीबा पंचायत के कांडे गांव में उगाया जाता है.

लवी मेले में छाया ऑर्गेनिक सेब

अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में रीबा पंचायत से आए सेब व्यापारी श्याम लाल नेगी ने बताया कि इस बार मेले में कांडे के ऑर्गेनिक सेब को बेचने के लिए लाया गया है. इस सेब को हाल ही में पेड़ से तोड़ा गया है. जिसके कारण ये अभी बिल्कुल फ्रेश और जूसी हैं. सेब व्यापारी श्याम लाल नेगी ने बताया, "कांडे गांव में सेब की पैदावार के लिए बागवान प्राकृतिक और ऑर्गेनिक विधियों का प्रयोग करते हैं. यहां की मिट्टी सेब की पैदावार के लिए बिल्कुल उपयुक्त मानी जाती है. इस क्षेत्र में उगाए गए सेब की विशेषता ये है कि इसमें किसी भी तरह की रासायनिक खाद या कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है. इसके बजाय, बागवान प्राकृतिक एवं जैविक खादों का उपयोग करते हैं."

लवी मेले में छाया कांडे का ऑर्गेनिक सेब (ETV Bharat)

कांडे के ऑर्गेनिक सेब के दाम

सेब व्यापारी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में कांडे के सेब 1200 से 1600 रुपए तक प्रति गिफ्ट पैक बिक रहे हैं. इन गिफ्ट पैक में 10 किलो सेब की पैकिंग की गई है. वहीं, कांडे गांव में विभिन्न प्रकार की सेब की किस्मों की पैदावार की जाती है. इसमें रॉयल सेब, ब्लैक रॉयल सेब, रेड गोल्डन सेब और गोल्डन सेब मुख्य है.

कांडे में कैसे उगाया जाता है सेब?

सेब व्यापारी श्याम लाल नेगी ने बताया कि कांडे गांव में तापमान काफी कम रहता है. जिसके कारण वहां का मौसम सेब की पैदावार के बिल्कुल अनुकूल है. कांडे के बागवान सेब की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी की तैयारी और गुणवत्ता पर ध्यान देते हैं. इसके लिए वे जैविक खाद का उपयोग करते हैं. जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और सेब की गुणवत्ता पर भी कोई बुरा असर नहीं पड़ता है. बागवानों द्वारा भी रासायनिक खादों और कीटनाशकों से पूरी तरह से परहेज किया जाता है. जिसके कारण कांडे के सेब पूरी तरह से ऑर्गेनिक होते हैं.

सिंचाई से की जाती है सेब की खेती

श्याम लाल नेगी ने बताया कि कांडे गांव की जलवायु में नमी का स्तर स्वाभाविक रूप से बहुत अच्छा है. जो सेब की पैदावार में मदद करता है, लेकिन इसके बावजूद सेब के बागों में पानी की उचित व्यवस्था की जाती है. गांव में सिर्फ बारिश के पानी पर निर्भरता नहीं है. कांडे गांव में सेब की पैदावार के लिए बारीकी से जल प्रबंधन किया जाता है, ताकि सेब के पौधों को सही मात्रा में पानी मिल सके, जिससे उनका विकास सही तरीके से हो और सेब की गुणवत्ता बनी रही. श्याम लाल नेगी ने बताया, "कांडे गांव में सिंचाई के पानी से ही खेती की जाती है और सेब भी तैयार किया जाता है. जैविक उर्वरकों का उपयोग करके ये सुनिश्चित किया जाता है कि सेब पूरी तरह से ऑर्गेनिक हो और रासायनिक प्रदूषण से मुक्त हो, ताकि सेब की उत्तम गुणवत्ता बनी रहे."

ये भी पढ़ें: लवी मेले में 'सोने के भाव' बिक रहा है ये लाल चावल, कीमत जान उड़ जाएंगे होश

ये भी पढ़ें: लवी मेले में आकर्षण का केंद्र बने हाथ से बने उत्पाद, पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत लगाए स्टॉल

ये भी पढ़ें: सेब की एक...दो नहीं पूरी 20 किस्में, उद्यान विभाग की प्रदर्शनी ने 'लूट' लिया लवी मेला

ये भी पढ़ें: काजू-बादाम से भी महंगा है ये ड्राई फ्रूट, लवी मेले में 22 सौ रुपये किलो पहुंचे दाम

रामपुर: रामपुर के अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में इस बार कांडे का ऑर्गेनिक सेब छाया हुआ है. ये सेब अपनी बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाना जाता है. साथ ही इसे पूरे ऑर्गेनिक तरीके से उगाया जाता है. इस सेब में किसी भी तरह के रासायनिक खाद या का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. जिसके कारण इसे बेहद लाभकारी माना जाता है. ये सेब किन्नौर जिले की रीबा पंचायत के कांडे गांव में उगाया जाता है.

लवी मेले में छाया ऑर्गेनिक सेब

अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में रीबा पंचायत से आए सेब व्यापारी श्याम लाल नेगी ने बताया कि इस बार मेले में कांडे के ऑर्गेनिक सेब को बेचने के लिए लाया गया है. इस सेब को हाल ही में पेड़ से तोड़ा गया है. जिसके कारण ये अभी बिल्कुल फ्रेश और जूसी हैं. सेब व्यापारी श्याम लाल नेगी ने बताया, "कांडे गांव में सेब की पैदावार के लिए बागवान प्राकृतिक और ऑर्गेनिक विधियों का प्रयोग करते हैं. यहां की मिट्टी सेब की पैदावार के लिए बिल्कुल उपयुक्त मानी जाती है. इस क्षेत्र में उगाए गए सेब की विशेषता ये है कि इसमें किसी भी तरह की रासायनिक खाद या कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है. इसके बजाय, बागवान प्राकृतिक एवं जैविक खादों का उपयोग करते हैं."

लवी मेले में छाया कांडे का ऑर्गेनिक सेब (ETV Bharat)

कांडे के ऑर्गेनिक सेब के दाम

सेब व्यापारी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में कांडे के सेब 1200 से 1600 रुपए तक प्रति गिफ्ट पैक बिक रहे हैं. इन गिफ्ट पैक में 10 किलो सेब की पैकिंग की गई है. वहीं, कांडे गांव में विभिन्न प्रकार की सेब की किस्मों की पैदावार की जाती है. इसमें रॉयल सेब, ब्लैक रॉयल सेब, रेड गोल्डन सेब और गोल्डन सेब मुख्य है.

कांडे में कैसे उगाया जाता है सेब?

सेब व्यापारी श्याम लाल नेगी ने बताया कि कांडे गांव में तापमान काफी कम रहता है. जिसके कारण वहां का मौसम सेब की पैदावार के बिल्कुल अनुकूल है. कांडे के बागवान सेब की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी की तैयारी और गुणवत्ता पर ध्यान देते हैं. इसके लिए वे जैविक खाद का उपयोग करते हैं. जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और सेब की गुणवत्ता पर भी कोई बुरा असर नहीं पड़ता है. बागवानों द्वारा भी रासायनिक खादों और कीटनाशकों से पूरी तरह से परहेज किया जाता है. जिसके कारण कांडे के सेब पूरी तरह से ऑर्गेनिक होते हैं.

सिंचाई से की जाती है सेब की खेती

श्याम लाल नेगी ने बताया कि कांडे गांव की जलवायु में नमी का स्तर स्वाभाविक रूप से बहुत अच्छा है. जो सेब की पैदावार में मदद करता है, लेकिन इसके बावजूद सेब के बागों में पानी की उचित व्यवस्था की जाती है. गांव में सिर्फ बारिश के पानी पर निर्भरता नहीं है. कांडे गांव में सेब की पैदावार के लिए बारीकी से जल प्रबंधन किया जाता है, ताकि सेब के पौधों को सही मात्रा में पानी मिल सके, जिससे उनका विकास सही तरीके से हो और सेब की गुणवत्ता बनी रही. श्याम लाल नेगी ने बताया, "कांडे गांव में सिंचाई के पानी से ही खेती की जाती है और सेब भी तैयार किया जाता है. जैविक उर्वरकों का उपयोग करके ये सुनिश्चित किया जाता है कि सेब पूरी तरह से ऑर्गेनिक हो और रासायनिक प्रदूषण से मुक्त हो, ताकि सेब की उत्तम गुणवत्ता बनी रहे."

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