छिन्दवाड़ा. अमरवाड़ा विधानसभा में आदिवासी आस्था के केंद्र आंचलकुंड धाम में दादाजी धूनी वाले ने अखंड धूनी जलाई थी, जो करीब 200 सालों से जल रही है. यहां की ऐसी मान्यता है कि अब इस धूनी की भभूति से सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है. आज भी यहां लोगों के दुख-दर्द दूर करते हैं और हर व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है. यहीं से आते हैं आंचलकुंड के छोटे महाराज धीरेंद्र शाह इनवाती जिनके सामने अमित शाह जैसे दिग्गज भी सिर झुकाते हैं. कांग्रेस छोटे महाराज को अमरवाड़ा उपचुनाव में उतार सकती है.
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कौन हैं छोटे महाराज धीरेंद्र शाह?
आंचलकुंड धाम में खंडवा के दादाजी धूनीवाले केशवानंद जी महाराज और हरिहर महाराज ने आकर अपने भक्त कंगाल दास बाबा को दर्शन दिए थे, वहीं अपने हाथों से यहां धूनी जलाकर कहा था. करीब 200 साल पहले आंचलकुंड धाम की स्थापना कंगाल दास बाबा ने की थी. उनकी चौथी पीढ़ी अब सेवादार के रूप में यहां पर है. फिलहाल गणेश बाबा यहां के मुख्य सेवादार हैं उनके छोटे भाई धीरेंद्र शाह पर कांग्रेस ने दांव खेला है.
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आंचलकुंड पर जब अमित शाह को हुई देरी
मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव का शंखनाद 25 मार्च 2023 को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने छिंदवाड़ा से आदिवासियों को साधने के साथ ही किया था. गृहमंत्री को आंचलकुंड में दादाजी के दरबार में दर्शन करने के लिए पहुंचना था. उन्हें छत्तीसगढ़ से आने में देर हो गई और फिर घोषणा कर दी गई कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आंचलकुंड नहीं पहुंचेंगे. इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्थानीय लोगों से अमित शाह की तरफ से माफी मांगते हुए आंचलकुंड में दर्शन किए और दादाजी के सेवादार का सम्मान भी किया था.
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कार्यक्रम रद्द होने के बाद भी दर्शन करने पहुंचे शाह
आंचलकुंड दरबार राजनीतिक लिहाज से कितना प्रभाव रखता है इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि केंद्रीय गृहमंत्री उसी दिन छिंदवाड़ा आए और उन्होंने महाविजय अभियान की शुरुआत की, लेकि कार्यक्रम कैंसिल होने के बाद भी वे आंचलकुंड के दरबार में शाम को पहुंचे और उन्होंने दर्शन किए. माना जाता है कि आंचलकुंड आदिवासियों की आस्था का केंद्र और इस मामले में अमित शाह रिस्क नहीं लेना चाहते थे.
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कमलनाथ की चाल में उलझेगी बीजेपी?
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक मनीष तिवारी ने कहा, '' बीजेपी के लिए काफी मजबूत मानी जा रही अमरवाड़ा विधानसभा की सीट कमलनाथ की चाल से मुसीबत में फंसती नजर आ रही है क्योंकि कांग्रेस और कमलनाथ ने जिस धीरेंद्र शाह इनवाती को अपना उम्मीदवार बनाया है उनके पिता से सिर्फ अमरवाड़ा विधानसभा ही नहीं बल्कि छिंदवाड़ा जिले के करीब 90 फीसदी आदिवासियों का धार्मिक लगाव और जुड़ाव है. इन आदिवासियों के घरों में आंचलकुंड धाम की पूजा ही नहीं की जाती बल्कि उनके घरों में इस दरबार की तस्वीर भी देखने को मिलती है अब बीजेपी के सामने कमलनाथ का यह पैंतरा चुनौती साबित होगी.''