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मिलिए कलयुग के भागीरथ से, पहली नदी को लिया गोद, अब सूखी नदी में पानी लाने जगाए 36 गांव - KALIYUGA Ke BHAGIRATHA

देश और प्रदेश में वर्तमान समय में नदियों की हालत किसी से छुपी नहीं है. बड़ी नदियां भी गंदगी और सूखने की कगार पर हैं. ऐसे में कई छोटी नदियों का तो अस्तित्व ही खत्म हो गया. ऐसे में पेशे से वैज्ञानिक योगेंद्र सक्सेना ने नदियों को पुनर्जीवित करने का जिम्मा उठाया है. लोग उन्हें कलयुग का भागीरथ भी कहते हैं.

KALIYUGA Ke BHAGIRATHA
मिलिए कलयुग के भागीरथ से (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 28, 2024, 6:41 PM IST

Updated : May 28, 2024, 7:09 PM IST

भोपाल। कलयुग का भागीरथ कह लीजिए आप उन्हें. पेशे से वैज्ञानिक योगेन्द्र कुमार सक्सेना की जिद सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. योगेन्द्र ने एक नदी को गोद लिया है. उस नदी को जो अब पूरी तरह सूख चुकी है. जिद ये है कि इस नदी को फिर जिंदा करना है. होशंगाबाद में बहने वाली पलकमती नदी जो अब बारहमासी नहीं रही. योगेन्द्र उस नदी का जीवन लौटाने में जुटे हुए हैं. 52 किलोमीटर के क्षेत्र में बहने वाली नदी की संधों से पानी रिसने भी लगा है.

KALIYUGA Ke BHAGIRATHA
नदियों को पुनर्जीवित करने की पहल (ETV Bharat)

कौन हैं योगेन्द्र और क्या है नदी गोद लेने की कहानी

पेशे से वैज्ञानिक योगेन्द्र कुमार सक्सेना असल में प्रकृति को सहेजने के काम में जुटे हुए हैं. पहले उन्होंने पेड़ो को बचाने गौ काष्ठ तैयार किए. अब एक नदी को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया. योगेनद्र ने तय किया कि वे नर्मदापुरम में बहने वाली पलकमती नदी को जीवित करेंगे. पहले मन बनाया और दफ्तर से छुट्टी लेकर पलकमती के किनारे पहुंच गए. सूखी हुई नदी में जान फूंक पाना इतना आसान भी नहीं था. कभी बारहमासी नदी पलकमती अब केवल बारिश के दिनों में हरियाती है.

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डॉ योगेन्द्र कुमार सक्सेना कहते हैं, 'देखिए जब इस नदी के बारे में जाना और पता चला कि कैसे इस नदी के सूख जाने के साथ इसके आस पास के गांव में भी ग्राउण्ड वॉटर खत्म हो गया है. तो काम की शुरुआत में सबसे पहले जरुरी था कि कैसे गांव वालों को एकजुट किया जाए.सबसे पहले मैंने यही किया कि वो समझे एक गांव को पुनर्जीवित करने की जरुरत क्यों हैं.'

कहां बहती है पलकमती, क्यों सूखी

52 किलोमीटर के करीब नर्मदापुरम जिले में बहने वाली पलकमती नदी का बड़ा हिस्सा सुहागपुर इलाके में आता है. इसके आस पास करीब 36 गांव हैं. जो कभी इसके पानी का इस्तेमाल करते रहें होंगे. योगेन्द्र बताते हैं कि इसे नर्मदा की बहन कह लीजिए, लेकिन असल में पलकमति जैसी छोटी नदियों से ही गांव का तालाबों का वॉटर रिचार्ज होता है. धरती के भीतर क ग्राउंड लेवल बढ़ता है. ये दुर्भार्यपूर्ण है कि अत्याधिक दोहन से एक बारहमासी नदी सूख गई.

कैसे लौटेगा सूखी नदी में पानी

डॉ योगेन्द्र बताते हैं कि नदी को पुर्नजीवित करना बड़ी लंबी लड़ाई है. वे बताते हैं उसके लिए जरुरी है कि पहले नदी की गाज हटाई जाए. उससे लगे हुए जो तालाब हैं, उन्हे रिचार्ज किया जाए. छोटे-छोटे स्टॉप डैम है, उनमें पानी संभाला जाए. योगेन्द्र कहते हैं संक्षेप में कहूं तो गांव का पानी गांव में रोकना, पहाड़ों का पानी पहाड़ पर रोकना, तालाब का पानी तालाब में रोकना, इस तरीके से नदी का पानी लौटाया जा सकता है. इसी तरीके से ग्राउण्ड वॉटर भी बढ़ता है. योगेन्द्र कहते हैं इसके लिए जरुरी था कि गांव के लोगों को विश्वास में लिया जाए तो सबसे पहले मैंने यही किया गांव के लोगों को विश्वास में लिया. उन्हें ये सिखाया कि दस एकड़ जमीन है, तो अपने खेत में एक एकड़ पर तालाब बनाओ ताकि ग्राउण्ड वॉटर लेवल बढ़े.

यहां पढ़ें...

कहां गुम हो गई बेतवा: रेगिस्तान की तरह सूख गई जीवनदायिनी नदी, दुर्दशा के पीछे किसका हाथ!

जलकुंभी निकालने की नगर पालिका ने नहीं ली सुध, माझी समाज ने खुद उठाया बीड़ा

अब 36 गांवों में निकल रही है जन चेतना यात्रा

योगेन्द्र अब पलकमति नदी को पुर्नजीवित के साथ नदियों को लेकर आम लोगों की संवेदना जगाने भी निकल रहे हैं. जनचेतना यात्रा ताकि ग्राउंड लेवल पर पानी बढ़ाया जा सके. नदी के किनारे बसे 36 गांवों में ये यात्रा निकलेगी.

भोपाल। कलयुग का भागीरथ कह लीजिए आप उन्हें. पेशे से वैज्ञानिक योगेन्द्र कुमार सक्सेना की जिद सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. योगेन्द्र ने एक नदी को गोद लिया है. उस नदी को जो अब पूरी तरह सूख चुकी है. जिद ये है कि इस नदी को फिर जिंदा करना है. होशंगाबाद में बहने वाली पलकमती नदी जो अब बारहमासी नहीं रही. योगेन्द्र उस नदी का जीवन लौटाने में जुटे हुए हैं. 52 किलोमीटर के क्षेत्र में बहने वाली नदी की संधों से पानी रिसने भी लगा है.

KALIYUGA Ke BHAGIRATHA
नदियों को पुनर्जीवित करने की पहल (ETV Bharat)

कौन हैं योगेन्द्र और क्या है नदी गोद लेने की कहानी

पेशे से वैज्ञानिक योगेन्द्र कुमार सक्सेना असल में प्रकृति को सहेजने के काम में जुटे हुए हैं. पहले उन्होंने पेड़ो को बचाने गौ काष्ठ तैयार किए. अब एक नदी को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया. योगेनद्र ने तय किया कि वे नर्मदापुरम में बहने वाली पलकमती नदी को जीवित करेंगे. पहले मन बनाया और दफ्तर से छुट्टी लेकर पलकमती के किनारे पहुंच गए. सूखी हुई नदी में जान फूंक पाना इतना आसान भी नहीं था. कभी बारहमासी नदी पलकमती अब केवल बारिश के दिनों में हरियाती है.

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डॉ योगेन्द्र कुमार सक्सेना कहते हैं, 'देखिए जब इस नदी के बारे में जाना और पता चला कि कैसे इस नदी के सूख जाने के साथ इसके आस पास के गांव में भी ग्राउण्ड वॉटर खत्म हो गया है. तो काम की शुरुआत में सबसे पहले जरुरी था कि कैसे गांव वालों को एकजुट किया जाए.सबसे पहले मैंने यही किया कि वो समझे एक गांव को पुनर्जीवित करने की जरुरत क्यों हैं.'

कहां बहती है पलकमती, क्यों सूखी

52 किलोमीटर के करीब नर्मदापुरम जिले में बहने वाली पलकमती नदी का बड़ा हिस्सा सुहागपुर इलाके में आता है. इसके आस पास करीब 36 गांव हैं. जो कभी इसके पानी का इस्तेमाल करते रहें होंगे. योगेन्द्र बताते हैं कि इसे नर्मदा की बहन कह लीजिए, लेकिन असल में पलकमति जैसी छोटी नदियों से ही गांव का तालाबों का वॉटर रिचार्ज होता है. धरती के भीतर क ग्राउंड लेवल बढ़ता है. ये दुर्भार्यपूर्ण है कि अत्याधिक दोहन से एक बारहमासी नदी सूख गई.

कैसे लौटेगा सूखी नदी में पानी

डॉ योगेन्द्र बताते हैं कि नदी को पुर्नजीवित करना बड़ी लंबी लड़ाई है. वे बताते हैं उसके लिए जरुरी है कि पहले नदी की गाज हटाई जाए. उससे लगे हुए जो तालाब हैं, उन्हे रिचार्ज किया जाए. छोटे-छोटे स्टॉप डैम है, उनमें पानी संभाला जाए. योगेन्द्र कहते हैं संक्षेप में कहूं तो गांव का पानी गांव में रोकना, पहाड़ों का पानी पहाड़ पर रोकना, तालाब का पानी तालाब में रोकना, इस तरीके से नदी का पानी लौटाया जा सकता है. इसी तरीके से ग्राउण्ड वॉटर भी बढ़ता है. योगेन्द्र कहते हैं इसके लिए जरुरी था कि गांव के लोगों को विश्वास में लिया जाए तो सबसे पहले मैंने यही किया गांव के लोगों को विश्वास में लिया. उन्हें ये सिखाया कि दस एकड़ जमीन है, तो अपने खेत में एक एकड़ पर तालाब बनाओ ताकि ग्राउण्ड वॉटर लेवल बढ़े.

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अब 36 गांवों में निकल रही है जन चेतना यात्रा

योगेन्द्र अब पलकमति नदी को पुर्नजीवित के साथ नदियों को लेकर आम लोगों की संवेदना जगाने भी निकल रहे हैं. जनचेतना यात्रा ताकि ग्राउंड लेवल पर पानी बढ़ाया जा सके. नदी के किनारे बसे 36 गांवों में ये यात्रा निकलेगी.

Last Updated : May 28, 2024, 7:09 PM IST
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