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बिहार के इस मंंदिर में लगता है भूतों का 'सुप्रीम कोर्ट', नवरात्र में सजता है दरबार - KAIMUR HARSU BRAHM DHAM

कैमूर में हरसू ब्रह्मधाम मंदिर है जहां लोग भूत-प्रेतों से मुक्ति पाने के लिए आते हैं. यहां बिहार, यूपी, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ से लोग आते हैं.

कैमूर के मंदिर में भूतों का मेला
कैमूर के मंदिर में भूतों का मेला (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 8, 2024, 4:37 PM IST

कैमूर (भभुआ): बिहार के कैमूर में एक ऐसा मंदिर है जिसे लोग भूत-प्रेत मुक्ति मंदिर कहते हैं. शारदीय नवरात्र में यहां एक ऐसा मेला लगता है जहां भूत-प्रेतों का दरबार सजता है. ओझा-गुणी आते हैं और लोगों के सिर से बुरी आत्मा के साए को भगाते हैं. ये मंदिर कैमूर जिले के चैनपुर में स्थित है और इसका असली नाम हरसु ब्रह्माधाम है. धाम पर सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि, देश के कोने-कोने से लोग आते हैं.

कैमूर में भूतों का मेला: मंदिर के पंडा ने के बताए अनुसार लोग धूप, बत्ती और कपूर के साथ पूजा की सामग्री खरीदते हैं. फिर मंदिर परिसर में शुरू हो जाता है भूतों को भगाने का सिलसिला. इलाज के लिए यहां लोगों का हुजूम लगता है. लोगों के मुताबिक, जो भी बाबा के दरबार में आता है वो कभी खाली हाथ लौट के नहीं जाता. कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं हरसू ब्रह्माधाम स्थानीय लोगों के मुताबिक, हरसू ब्रह्माधाम को भूतों का सुप्रीम कोर्ट भी कहा जाता है.

कैमूर के मंदिर में भूतों का मेला (ETV Bharat)

प्रेत आत्माओं की बुरी नजर से बचाया जाता है: इस धाम पर हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और अपने शरीर से बुरी आत्मा को भगाकर बाबा का नाम लेते हुए विदाई लेते हैं. प्रेत आत्माओं की बुरी नजर से लोगों को यहां बचाया जाता है.मंदिर के पंडा राज किशोर मानें, तो यहां 650 सालों से भूतों का मेला लगता है. धाम पर बिहार के अलावा झारखंड, यूपी, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और देश के कई राज्यों से लोग पहुंचते हैं.

"किसी भी प्रकार के रोग से पीड़ित लोग अपने कष्ट को लेकर बाबा के दरबार में पहुंचते हैं. सभी का बाबा हरशु ब्रह्म दुख का निवारण करते हैं. जिससे लोग प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्र में भीड़ लगता है. सबसे ज्यादा यहां मानसिक रोगी पहुंचते हैं और ठीक भी हो जाते हैं." -राज किशोर, चैनपुरी, मंदिर का पंडा

हरसू ब्रह्मधाम मंदिर
हरसू ब्रह्मधाम मंदिर (ETV Bharat)

क्या है इतिहास: मंदिर के पांडा राज किशोर चैनपुरी का कहना है कि उत्कल और ब्रजदन्त दो राक्षस थे जो आतंक मचाये हुए थे. तब देवताओं ने भगवान शंकर को तप कर बुलाया जिसके बाद भगवान शंकर ने उत्कल को मार दिया. वहीं ब्रजदन्त महिला का रूप धारण कर लिया जिसके बाद भगवान शंकर ने ब्रजदन्त को श्राप दिया कि तुम अगले जन्म में हमसे मुलाकात होगा तब तुम्हारा अंत होगा. दूसरा जन्म में वहीं राजा सालिवाहन बना और भगवान शंकर हरसू के रूप में अवतरित हुए.

बाबा हरसू ने दूसरी शादी करने की दी सलाह: बताया जाता है कि राजा सालिवाहन की शादी माणिक मति से हुई और राजा के कुलपुरोहित बाबा हरसू बने. पूर्व के श्राप के कारण उनका वंश नहीं चल रहा था तब राजा सालिवाहन ने राजपुरोहित बाबा हरसू से पूछा कि वंश आगे चले इसके लिए क्या करना होगा तब बाबा हरसू ने राजा को दूसरी शादी करने की सलाह दी. जिसके बाद छतीसगढ़ के राजा भूदेव सिंह की पुत्री ज्ञान कुंवारी की शादी राजा सालिवाहन से हुई.

कैमूर में हरसू ब्रह्मधाम मंदिर
कैमूर में हरसू ब्रह्मधाम मंदिर (ETV Bharat)

पहली रानी बाबा हरसू को प्रताड़ित करने लगी: बताया जाता है कि पहली रानी बाबा हरसू को प्रताड़ित करने लगी और उनका महल ध्वस्त करा दी,जिसके बाद बाबा हरसू ने अन जल त्याग कर 21 दिन तक पड़े रहे जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गई मृत्यु की सूचना सुनते ही माता हंस रानी ने हाथ पर दिया लिए तपस्या करने लगी.जिसके बाद राजा सालिवाहन का राज्य सहित विनाश हो गया उसके बाद से इस स्थल पर हरसू ब्रह्म धाम से पूजा होते आ रहा है.

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कैमूर (भभुआ): बिहार के कैमूर में एक ऐसा मंदिर है जिसे लोग भूत-प्रेत मुक्ति मंदिर कहते हैं. शारदीय नवरात्र में यहां एक ऐसा मेला लगता है जहां भूत-प्रेतों का दरबार सजता है. ओझा-गुणी आते हैं और लोगों के सिर से बुरी आत्मा के साए को भगाते हैं. ये मंदिर कैमूर जिले के चैनपुर में स्थित है और इसका असली नाम हरसु ब्रह्माधाम है. धाम पर सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि, देश के कोने-कोने से लोग आते हैं.

कैमूर में भूतों का मेला: मंदिर के पंडा ने के बताए अनुसार लोग धूप, बत्ती और कपूर के साथ पूजा की सामग्री खरीदते हैं. फिर मंदिर परिसर में शुरू हो जाता है भूतों को भगाने का सिलसिला. इलाज के लिए यहां लोगों का हुजूम लगता है. लोगों के मुताबिक, जो भी बाबा के दरबार में आता है वो कभी खाली हाथ लौट के नहीं जाता. कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं हरसू ब्रह्माधाम स्थानीय लोगों के मुताबिक, हरसू ब्रह्माधाम को भूतों का सुप्रीम कोर्ट भी कहा जाता है.

कैमूर के मंदिर में भूतों का मेला (ETV Bharat)

प्रेत आत्माओं की बुरी नजर से बचाया जाता है: इस धाम पर हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और अपने शरीर से बुरी आत्मा को भगाकर बाबा का नाम लेते हुए विदाई लेते हैं. प्रेत आत्माओं की बुरी नजर से लोगों को यहां बचाया जाता है.मंदिर के पंडा राज किशोर मानें, तो यहां 650 सालों से भूतों का मेला लगता है. धाम पर बिहार के अलावा झारखंड, यूपी, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और देश के कई राज्यों से लोग पहुंचते हैं.

"किसी भी प्रकार के रोग से पीड़ित लोग अपने कष्ट को लेकर बाबा के दरबार में पहुंचते हैं. सभी का बाबा हरशु ब्रह्म दुख का निवारण करते हैं. जिससे लोग प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्र में भीड़ लगता है. सबसे ज्यादा यहां मानसिक रोगी पहुंचते हैं और ठीक भी हो जाते हैं." -राज किशोर, चैनपुरी, मंदिर का पंडा

हरसू ब्रह्मधाम मंदिर
हरसू ब्रह्मधाम मंदिर (ETV Bharat)

क्या है इतिहास: मंदिर के पांडा राज किशोर चैनपुरी का कहना है कि उत्कल और ब्रजदन्त दो राक्षस थे जो आतंक मचाये हुए थे. तब देवताओं ने भगवान शंकर को तप कर बुलाया जिसके बाद भगवान शंकर ने उत्कल को मार दिया. वहीं ब्रजदन्त महिला का रूप धारण कर लिया जिसके बाद भगवान शंकर ने ब्रजदन्त को श्राप दिया कि तुम अगले जन्म में हमसे मुलाकात होगा तब तुम्हारा अंत होगा. दूसरा जन्म में वहीं राजा सालिवाहन बना और भगवान शंकर हरसू के रूप में अवतरित हुए.

बाबा हरसू ने दूसरी शादी करने की दी सलाह: बताया जाता है कि राजा सालिवाहन की शादी माणिक मति से हुई और राजा के कुलपुरोहित बाबा हरसू बने. पूर्व के श्राप के कारण उनका वंश नहीं चल रहा था तब राजा सालिवाहन ने राजपुरोहित बाबा हरसू से पूछा कि वंश आगे चले इसके लिए क्या करना होगा तब बाबा हरसू ने राजा को दूसरी शादी करने की सलाह दी. जिसके बाद छतीसगढ़ के राजा भूदेव सिंह की पुत्री ज्ञान कुंवारी की शादी राजा सालिवाहन से हुई.

कैमूर में हरसू ब्रह्मधाम मंदिर
कैमूर में हरसू ब्रह्मधाम मंदिर (ETV Bharat)

पहली रानी बाबा हरसू को प्रताड़ित करने लगी: बताया जाता है कि पहली रानी बाबा हरसू को प्रताड़ित करने लगी और उनका महल ध्वस्त करा दी,जिसके बाद बाबा हरसू ने अन जल त्याग कर 21 दिन तक पड़े रहे जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गई मृत्यु की सूचना सुनते ही माता हंस रानी ने हाथ पर दिया लिए तपस्या करने लगी.जिसके बाद राजा सालिवाहन का राज्य सहित विनाश हो गया उसके बाद से इस स्थल पर हरसू ब्रह्म धाम से पूजा होते आ रहा है.

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