Navami 2024 : मां दुर्गा के भक्तों के लिए नवरात्रि काफी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं. नवरात्र का त्योहार माता के भक्त साल में 4 बार मनाते हैं, जिसका अपना महत्व है. शारदीय नवरात्र के दौरान मां शक्ति की उपासना करते हुए नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. पंचांग के मुताबिक शारदीय नवरात्र हर साल आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है, जो नवमी को जाकर समाप्त हो जाता है. इस साल नवरात्र का त्यौहार 12 अक्टूबर 2024 को समाप्त होगा.
मां से मिलता है मनचाहा वरदान : शारदीय नवरात्र के दौरान अष्टमी और नवमी की पूजा का काफी ज्यादा महत्व है. माना जाता है कि इन दो विशेष दिनों में मां दुर्गा की आराधना से मनचाहा वरदान मिल जाता है. मां के कुछ भक्त अष्टमी तिथि को कन्या पूजन के बाद व्रत का समापन भी करते हैं तो वहीं कुछ भक्त नवमी पर अपना व्रत खोलते हैं.
शारदीय नवरात्र की नवमी कब है ? : पंचांग के मुताबिक इस साल शारदीय नवरात्र की नवमी 11 अक्टूबर की दोपहर को 12:06 बजे से शुरू होकर 12 अक्टूबर की सुबह 10.57 बजे पर समाप्त होगी. उदया तिथि के मुताबिक 11 अक्टूबर को नवमी तिथि का व्रत रखा जाएगा. वहीं अगर अष्टमी तिथि की बात करें तो वो 10 अक्टूबर की दोपहर 12.31 बजे से शुरू हो चुका है और 11 अक्टूबर को दोपहर 12.06 बजे समाप्त होगा.
नवमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त : नवमी पर मां जगदम्बा की आराधना के लिए तीन शुभ मुहूर्त है. अष्टमी और नवमी तिथि पर आध्या शक्ति की पूजा का समय सुबह 6:20 बजे से 7:47 बजे तक है. वहीं उन्नति मुहूर्त सुबह 7:47 बजे से 9:14 बजे तक है. इसके अलावा अमृत मुहूर्त सुबह 9:14 बजे से 10:41 बजे तक का है.
कन्या पूजन कब है ? : पंचांग के मुताबिक कन्या पूजन भी 11 अक्टूबर को करना काफी ज्यादा शुभ रहेगा. इसका भी शुभ मुहूर्त 10:41 बजे तक है. राहु काल सुबह 10:41 बजे से दोपहर 12:08 बजे तक रहेगा.
कन्या पूजन का महत्व : नवरात्रि नारी शक्ति के सम्मान और कन्याओं की पूजा करने का भी पर्व है. इसलिए नवरात्रि में कुंवारी कन्याओं की पूजा करने और भोजन कराने की परंपरा भी है. अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन के बगैर नवरात्रि की तपस्या को अधूरा माना जाता है.
कैसे करें कन्या पूजन ? :
- अष्टमी-नवमी से पहले ही कन्याओं को घर आने के लिए आमंत्रित कर लें.
- जब वे घर आएं तो फूलों से उनका स्वागत करना चाहिए.
- एक थाली लाएं और उसमें उनके पैर धुलाएं और फिर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए.
- इसके बाद कन्याओं के साथ एक बटुक को भी बैठाना ना भूलें.
- फिर कन्याओं को हलवे के साथ चने और पूरी का खाना खिलाना चाहिए.
- भोजन के बाद दान-दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए.
कैसे करें मां गौरी की पूजा ? :
- मां गौरी को पीले वस्त्र धारण कराकर पूजा शुरू करना चाहिए
- मां के सामने पहले दीपक जलाएं और फिर उनका ध्यान करें.
- मां को पूजा में सफेद और पीले फूल, मिठाई अर्पित करें.
- मां के मंत्रों का जाप करें
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