भोपाल। नरेन्द्र मोदी ने तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है. मोदी के साथ मध्य प्रदेश की गुना सीट से धमाकेदार जीत दर्ज करने वाले ज्योतिरादित्य सिधिया को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है. मोदी के 2.0 में बतौर एविएशन मिनिस्टर शानदार काम करने का सिंधिया को एक बार फिर मंत्री बनाकर ईनाम दिया गया है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो सिंधिया पार्टी में अब पूरी तरह से एडजस्ट हो चुके हैं. पार्टी का वे युवा और प्रतिभाशाली चेहरा हैं. इसलिए यह 100 फीसदी तय था कि वे एक बार फिर केन्द्र में मंत्री बनेंगे. वैसे देखा जाए तो सिंधिया की राजनीति में एंट्री एकदम अचानक हुई. आइए बताते हैं ज्योतिरादित्य सिधिया की सियासी सफर की कहानी.
अचानक हुई सिंधिया की सियासी गलियारे में एंट्री
ग्वालियर राजघराने के आखिरी शासक जीवाजीराव सिंधिया के पोते और राजनेता माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म मुंबई में 1 जनवरी 1971 में हुआ. वे मुंबई के कैंपियन स्कूल और फिर देहरादून के दून स्कूल में पढ़ने पहुंचे. वहां उनके साथी राहुल गांधी थे. बाद में सिंधिया दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज में पढ़ाई के बाद 1993 में हावर्ड यूनिवर्सिटी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स करने विदेश चले गए. 30 सिंतबर 2001 को अचानक उनके पिता माधवराव सिंधिया की हवाई जहाज दुर्घटना में मौत हो गई. इसके बाद सिंधिया कांग्रेस में शामिल हुए और उपचुनाव में गुना संसदीय सीट से जीत दर्ज कर संसद पहुंचे. अपनी इस परंपरागत सीट से सिंधिया ने साढ़े 4 लाख के मार्जिन से जीत दर्ज की थी.
पिता 3 बार, ज्योतिरादित्य चौथे बार बने मंत्री
ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीति में एंट्री भले ही अचानक हुई, लेकिन सियासत में वे लगातार सधे कदमों से आगे बढ़ते गए. 2001 में पहला उपचुनाव जीते और फिर 2004 में गुना से ही फिर जीत दर्ज की. इसके बाद केन्द्र सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया. उन्हें सूचना एवं प्रसारण विभाग के राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई. बाद में उन्हें ऊर्जा विभाग का स्वतंत्र प्रभार भी सौंप दिया गया. तब वे केन्द्र सरकार के सबसे युवा मंत्री थे. सिंधिया 2009 में फिर गुना संसदीय सीट से चुने गए और केन्द्र में उन्हें फिर मंत्री बनने की जिम्मेदारी मिली. इस बार उन्हें जिम्मेदारी मिली कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज डिपार्टमेंट की.
ज्योतिरादित्य सिंधिया अब पांचवी बार मोदी सरकार में मंत्री बने हैं. केन्द्र में मंत्री बनने के मामले में ज्योतिरादित्य अपने पिता से आगे निकल गए हैं. उनके पिता माधवराव सिंधिया तीन बार केन्द्र में मंत्री रहे. 1984 में पहली बार राजीव गांधी सरकार में उन्हें रेल मंत्री बनाया गया था. इसके बाद 1991 में पीवी नरसिंह राव सरकार में वे नागरिक उड्डयन मंत्री और 1995 में वे मानव संसाधन विकास मंत्री रहे.
मध्य प्रदेश में जीत के बाद अचानक बदली दिशा
2018 के विधानसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिधिया ने कांग्रेस चुनाव अभियान की कमान संभाली और धुआंधार रैलियां की. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई, कमलनाथ ने प्रदेश की कमान संभाली, लेकिन दिन पर दिन सिंधिया और कमलनाथ सरकार के बीच खटास बढ़ती गई. अंदर के विवाद सार्वजनिक बयानबाजी पर आ गए और 2020 में सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए. इसके पहले 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में वे अपनी परंपरागत सीट गुना से लोकसभा का चुनाव हार गए. बीजेपी में शामिल होने के बाद बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया और मोदी सरकार में सिविल एविएशन व इस्पात मंत्री बनाए गए. सिंधिया अब पार्टी और संघ की गुड लिस्ट में शामिल हैं. पार्टी का वे युवा और प्रतिभाशाली चेहरा हैं.