दुर्ग: दुर्ग जिला न्यायालय ने पहली बार 40 लोगों को एक साथ बाइज्जत बरी किया है. 15 साल बाद इन 40 लोगों को न्याय मिला है. जानकारी के मुताबिक 15 साल पहले कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने दुर्ग जिले में स्थित निजी सीमेंट कंपनी में आउटसोर्सिंग को लेकर प्रदर्शन किया था. प्रदर्शन के बाद पुलिस ने 40 लोगों पर मामला दर्ज किया. धरना एक जगह किया गया था. पुलिस ने दो थाने में मामला दर्ज किया. आखिरकार आंदोलनकर्ताओं को दुर्ग कोर्ट ने दोनों मामले में 15 साल बाद बाइज्जत बरी कर दिया.
ये है पूरा मामला: आंदोलनकर्ताओं की मानें तो ऐसा भारत में पहली बार हुआ है जब एक साथ 40 लोगों को कोर्ट ने बरी कर दिया है. इस बारे में आंदोलनकारी जां निसार अख्तर ने कहा, "भिलाई के सेक्टर 4 में उस समय शुरू हो रहे निजी सीमेंट प्लांट में नौकरी के लिए सीमेंट प्लांट के अधिकारियों की ओर से सितंबर 2009 में नगर निगम के पास होटल में बाहरी राज्यों से बड़ी संख्या में लोगों का साक्षात्कार लिया जा रहा था. इसकी जानकारी मिलने पर हम लोगों ने इसका विरोध करते हुए इस कंपनी में स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की मांग को लेकर आंदोलन किया. हमारी मांग की थी कि यहां सीमेंट का प्लांट लग रहा है तो यहां के स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता के तौर पर पहले रोजगार दिया जाए."
एक साथ 40 लोग हुए बरी: आंदोलनकारियों की इस मांग से निजी सीमेंट कंपनी के अधिकारी सकते में आ गए. इस दौरान जेपी सीमेंट के अधिकारियों की ओर से पुलिस प्रशासन से मिलकर कुल 40 के खिलाफ बलवा करने और गलत तरीके से अधिकारियों का रास्ता रोकने का आरोप लगाया. इसके साथ ही धारा 147 एवं 341 के तहत मामला दर्ज कर सभी को जेल भेज दिया. यह केस दुर्ग न्यायालय के प्रथम श्रेणी न्यायाधीश बिरेन्द्र सिंह की अदालत में चल रहा था. कोर्ट ने सभी आंदोलनकारी को बाइज्जत बरी कर दिया. ऐसे में आंदोलनकारियों का कहना है कि हमें 15 साल बाद न्याय मिला है. देश में पहली बार ऐसा हुआ है, जब 40 लोगों को एक साथ कोर्ट ने बरी किया हो.