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हिमाचल की छात्र राजनीति से निकले थे नड्डा, जानें HPU से लेकर मोदी के मंत्री बनने तक का सफर - JP Nadda oath

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 9, 2024, 7:43 PM IST

Updated : Jun 9, 2024, 10:24 PM IST

नरेंद्र मोदी ने आज लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली. पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद पीएम मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले दूसरे व्यक्ति हैं. मोदी कैबिनेट 3.0 में जेपी नड्डा ने बतौर कैबिनेट मंत्री ओथ ली है. जेपी नड्डा दूसरी बार मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं. हिमाचल की राजनीति से निकल जेपी नड्डा सत्ता की ऊंचाइयों पर पहुंचे हैं.

JP NADDA OATH
शपथ ग्रहण के दौरान जेपी नड्डा (डीडी नेशनल)

शिमला: नरेंद्र मोदी ने आज लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली. पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद पीएम मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले दूसरे व्यक्ति हैं. मोदी कैबिनेट 3.0 में जेपी नड्डा ने बतौर कैबिनेट मंत्री ओथ ली है. जेपी नड्डा दूसरी बार मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं. हिमाचल की राजनीति से निकल जेपी नड्डा सत्ता की ऊंचाइयों पर पहुंचे हैं.

जेपी नड्डा का संबंध हिमाचल की धार्मिक व ऐतिहासिक नगरी बिलासपुर से है. पिता एनएल नड्डा पटना यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर थे, लिहाजा जेपी का बचपन भी वहीं गुजरा. उनका जन्म भी 2 दिसंबर 1960 को पटना में ही हुआ था. आरंभिक शिक्षा पटना में सेंट जेवियर्स स्कूल में हुई. मां कृष्णा हाउस वाइफ थीं और पूरा परिवार पटना में ही निवास करता था. जेपी नड्डा ने स्नातक तक की पढ़ाई पटना में ही की. नड्डा के जीवन में वहीं पर राजनीति का बीज पड़ा. छात्र जीवन में उन्हें खेलों का भी खूब शौक था. उन्होंने जूनियर तैराकी चैंपियनशिप में बिहार का प्रतिनिधत्व भी किया था. खेल प्रेम के कारण ही वे कई खेल संघों के अध्यक्ष रहे.

पटना के बाद हिमाचल बनी कर्मभूमि

जयप्रकाश नारायण ने भारत की राजनीति को गहरे तक प्रभावित किया है. इंदिरा गांधी के शासनकाल के दौरान जेपी आंदोलन ने कई राजनेताओं को जन्म दिया. किशोर आयु के जेपी नड्डा जेपी आंदोलन को दौरान खूब सक्रिय हुए. जेपी के संपूर्ण क्रांति अभियान में जेपी नड्डा बढ़-चढ़कर भाग लेने लगे. इसी आंदोलन ने उन्हें छात्र राजनीति में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. वो पटना यूनिवर्सिटी में छात्र संघ सचिव रहे. बाद में वे हिमाचल प्रदेश आए. उन्हें एबीवीपी का प्रचारक बनाकर देवभूमि में भेजा गया था. महज 22 साल की आयु में नड्डा हिमाचल में चर्चित हो गए. हिमाचल यूनिवर्सिटी से वो वकालत पढ़ने लगे और यहां पर छात्र संघ के अध्यक्ष बने. एबीवीपी से छात्र संघ अध्यक्ष के रूप में वे पहले छात्र नेता थे. ये वर्ष 1983-1984 की बात है. फिर वर्ष 1986 से 1989 तक जेपी नड्डा एबीवीपी के राष्ट्रीय महासचिव रहे.

भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाया आंदोलन, डेढ़ महीना रहे जेल में

जेपी नड्डा छात्र राजनीति से आगे बढ़कर अब सक्रिय राजनीति में आने को आतुर थे. वर्ष 1989 में केंद्र सरकार के खिलाफ उन्होंने राष्ट्रीय संघर्ष मोर्चा का गठन किया. भ्रष्टाचार के खिलाफ इस मोर्चे में वे अग्रणी भूमिका में थे. केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन के कारण उन पर गाज गिरी और वे डेढ़ महीना जेल में भी रहे. प्रखर वक्ता और कुशल संगठकर्ता के रूप में उनकी ख्याति हो गई. पार्टी ने उन्हें युवा चेहरा बनाया. भारतीय जनता युवा मोर्चा में आते ही नड्डा का सफर गति पकडऩे लगा. नड्डा की उम्र महज 31 साल की थी जब उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का अध्य्क्ष बनाया गया था.

1993 में चुनावी राजनीति में प्रवेश

वर्ष 1993 में जेपी नड्डा ने चुनावी राजनीति में प्रवेश किया. बिलासपुर सदर सीट से वे विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरे. पहली ही पारी में वे सफल हुए और विधायक बने. बड़ी बात ये रही कि विधानसभा में विपक्ष के नेता बने. वर्ष 1998 में फिर उन्होंने बिलासपुर सदर सीट से जीत हासिल की. राज्य में प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी और नड्डा स्वास्थ्य मंत्री बने. अगले चुनाव यानी वर्ष 2003 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वर्ष 2008 में फिर से चुनाव जीतने पर वे वन मंत्री बनाए गए.

हिमाचल की राजनीति से आए केंद्र में

हिमाचल में दो बार कैबिनेट मंत्री बनने के बाद नड्डा केंद्रीय राजनीति में चले गए. नीतिन गडक़री उस समय पार्टी के मुखिया थे. गडकरी ने नड्डा को पार्टी प्रवक्ता के साथ ही राष्ट्रीय महासचिव भी बनाया. अब जेपी नड्डा की राजनीतिक सफलता का सिलसिला शुरू हुआ. कुशल संगठनकर्ता के रूप में वे खरे साबित होने लगे. पहली बार छत्तीसगढ़ का प्रभार मिला और वहां भाजपा की सरकार बनी. बेहतर काम करने का इनाम ये मिला कि वर्ष 2012 में नड्डा राज्यसभा में आ गए. वे मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे. नड्डा सरकार और संगठन के बीच तालमेल के लिए चर्चित हैं. चुनाव जीतने के बाद उन्हें कई राज्यों में पर्यवेक्षक बनाया गया. वे यूपी में भी लोकसभा चुनाव प्रभारी थे.

2019 में नड्डा को भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया. 2020 को जगत प्रकाश को निर्विरोध भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया. बतौर अध्यक्ष वो अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. लोकसभा चुनाव को देखते हुए उनका कार्यकाल 30 जून तक बढ़ाया गया है. उनके नेतृत्व में बीजेपी ने यूपी जैसे राज्य में दूसरी बार प्रचंड जीत हासिल की थी. इसके अलावा हाल ही में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उड़ीसा जैसे राज्यों में प्रचंड जीत हासिल की है. वहीं, हिमाचल में उन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. इसी साल उन्हें गुजरात से राज्यसभा का सांसद चुना गया था.

राजनीति में जीते, लेकिन मल्लिका के सामने हारे दिल की बाजी

अकसर राजनेता दिल की बाजी हार जाते हैं. जेपी नड्डा का नाम भी इसी कड़ी में है. जेपी नड्डा व मल्लिका नड्डा का प्रेम विवाह है. मल्लिका नड्डा भी राजनीतिक परिवार से हैं. वो भी छात्र राजनीति में सक्रिय रही हैं. दोनों 1991 में विवाह बंधन में बंधे हैं. जेपी व मल्लिका की मुलाकात एचपी यूनिवर्सिटी में छात्र राजनीति में सक्रियता के दौरान हुई थी. हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में इतिहास की प्रोफेसर मल्लिका नड्डा लगातार जेपी नड्डा के राजनीतिक वर्तमान को संवारने में अपनी भूमिका निभा रही हैं.

'थप्पड़ कांड' पर कंगना को इन सितारों का मिला समर्थन, लड़ाई के सालों बाद ऋतिक रोशन ने किया Ex-GF को सपोर्ट

शिमला: नरेंद्र मोदी ने आज लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली. पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद पीएम मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले दूसरे व्यक्ति हैं. मोदी कैबिनेट 3.0 में जेपी नड्डा ने बतौर कैबिनेट मंत्री ओथ ली है. जेपी नड्डा दूसरी बार मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं. हिमाचल की राजनीति से निकल जेपी नड्डा सत्ता की ऊंचाइयों पर पहुंचे हैं.

जेपी नड्डा का संबंध हिमाचल की धार्मिक व ऐतिहासिक नगरी बिलासपुर से है. पिता एनएल नड्डा पटना यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर थे, लिहाजा जेपी का बचपन भी वहीं गुजरा. उनका जन्म भी 2 दिसंबर 1960 को पटना में ही हुआ था. आरंभिक शिक्षा पटना में सेंट जेवियर्स स्कूल में हुई. मां कृष्णा हाउस वाइफ थीं और पूरा परिवार पटना में ही निवास करता था. जेपी नड्डा ने स्नातक तक की पढ़ाई पटना में ही की. नड्डा के जीवन में वहीं पर राजनीति का बीज पड़ा. छात्र जीवन में उन्हें खेलों का भी खूब शौक था. उन्होंने जूनियर तैराकी चैंपियनशिप में बिहार का प्रतिनिधत्व भी किया था. खेल प्रेम के कारण ही वे कई खेल संघों के अध्यक्ष रहे.

पटना के बाद हिमाचल बनी कर्मभूमि

जयप्रकाश नारायण ने भारत की राजनीति को गहरे तक प्रभावित किया है. इंदिरा गांधी के शासनकाल के दौरान जेपी आंदोलन ने कई राजनेताओं को जन्म दिया. किशोर आयु के जेपी नड्डा जेपी आंदोलन को दौरान खूब सक्रिय हुए. जेपी के संपूर्ण क्रांति अभियान में जेपी नड्डा बढ़-चढ़कर भाग लेने लगे. इसी आंदोलन ने उन्हें छात्र राजनीति में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. वो पटना यूनिवर्सिटी में छात्र संघ सचिव रहे. बाद में वे हिमाचल प्रदेश आए. उन्हें एबीवीपी का प्रचारक बनाकर देवभूमि में भेजा गया था. महज 22 साल की आयु में नड्डा हिमाचल में चर्चित हो गए. हिमाचल यूनिवर्सिटी से वो वकालत पढ़ने लगे और यहां पर छात्र संघ के अध्यक्ष बने. एबीवीपी से छात्र संघ अध्यक्ष के रूप में वे पहले छात्र नेता थे. ये वर्ष 1983-1984 की बात है. फिर वर्ष 1986 से 1989 तक जेपी नड्डा एबीवीपी के राष्ट्रीय महासचिव रहे.

भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाया आंदोलन, डेढ़ महीना रहे जेल में

जेपी नड्डा छात्र राजनीति से आगे बढ़कर अब सक्रिय राजनीति में आने को आतुर थे. वर्ष 1989 में केंद्र सरकार के खिलाफ उन्होंने राष्ट्रीय संघर्ष मोर्चा का गठन किया. भ्रष्टाचार के खिलाफ इस मोर्चे में वे अग्रणी भूमिका में थे. केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन के कारण उन पर गाज गिरी और वे डेढ़ महीना जेल में भी रहे. प्रखर वक्ता और कुशल संगठकर्ता के रूप में उनकी ख्याति हो गई. पार्टी ने उन्हें युवा चेहरा बनाया. भारतीय जनता युवा मोर्चा में आते ही नड्डा का सफर गति पकडऩे लगा. नड्डा की उम्र महज 31 साल की थी जब उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का अध्य्क्ष बनाया गया था.

1993 में चुनावी राजनीति में प्रवेश

वर्ष 1993 में जेपी नड्डा ने चुनावी राजनीति में प्रवेश किया. बिलासपुर सदर सीट से वे विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरे. पहली ही पारी में वे सफल हुए और विधायक बने. बड़ी बात ये रही कि विधानसभा में विपक्ष के नेता बने. वर्ष 1998 में फिर उन्होंने बिलासपुर सदर सीट से जीत हासिल की. राज्य में प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी और नड्डा स्वास्थ्य मंत्री बने. अगले चुनाव यानी वर्ष 2003 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वर्ष 2008 में फिर से चुनाव जीतने पर वे वन मंत्री बनाए गए.

हिमाचल की राजनीति से आए केंद्र में

हिमाचल में दो बार कैबिनेट मंत्री बनने के बाद नड्डा केंद्रीय राजनीति में चले गए. नीतिन गडक़री उस समय पार्टी के मुखिया थे. गडकरी ने नड्डा को पार्टी प्रवक्ता के साथ ही राष्ट्रीय महासचिव भी बनाया. अब जेपी नड्डा की राजनीतिक सफलता का सिलसिला शुरू हुआ. कुशल संगठनकर्ता के रूप में वे खरे साबित होने लगे. पहली बार छत्तीसगढ़ का प्रभार मिला और वहां भाजपा की सरकार बनी. बेहतर काम करने का इनाम ये मिला कि वर्ष 2012 में नड्डा राज्यसभा में आ गए. वे मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे. नड्डा सरकार और संगठन के बीच तालमेल के लिए चर्चित हैं. चुनाव जीतने के बाद उन्हें कई राज्यों में पर्यवेक्षक बनाया गया. वे यूपी में भी लोकसभा चुनाव प्रभारी थे.

2019 में नड्डा को भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया. 2020 को जगत प्रकाश को निर्विरोध भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया. बतौर अध्यक्ष वो अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. लोकसभा चुनाव को देखते हुए उनका कार्यकाल 30 जून तक बढ़ाया गया है. उनके नेतृत्व में बीजेपी ने यूपी जैसे राज्य में दूसरी बार प्रचंड जीत हासिल की थी. इसके अलावा हाल ही में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उड़ीसा जैसे राज्यों में प्रचंड जीत हासिल की है. वहीं, हिमाचल में उन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. इसी साल उन्हें गुजरात से राज्यसभा का सांसद चुना गया था.

राजनीति में जीते, लेकिन मल्लिका के सामने हारे दिल की बाजी

अकसर राजनेता दिल की बाजी हार जाते हैं. जेपी नड्डा का नाम भी इसी कड़ी में है. जेपी नड्डा व मल्लिका नड्डा का प्रेम विवाह है. मल्लिका नड्डा भी राजनीतिक परिवार से हैं. वो भी छात्र राजनीति में सक्रिय रही हैं. दोनों 1991 में विवाह बंधन में बंधे हैं. जेपी व मल्लिका की मुलाकात एचपी यूनिवर्सिटी में छात्र राजनीति में सक्रियता के दौरान हुई थी. हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में इतिहास की प्रोफेसर मल्लिका नड्डा लगातार जेपी नड्डा के राजनीतिक वर्तमान को संवारने में अपनी भूमिका निभा रही हैं.

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Last Updated : Jun 9, 2024, 10:24 PM IST
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