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पत्रकार मुकेश हत्याकांड, एसपी कलेक्टर को निलंबित करने और सीबीआई जांच की मांग - JOURNALIST MURDER CASE

पत्रकार मुकेश हत्याकांड को सीबीए ने राजनेताओं, अधिकारियों और माफियाओं के गठजोड़ का उदाहरण बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की है.

Journalist Murder Case
पत्रकार मुकेश हत्याकांड (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 6, 2025, 8:27 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (सीबीए) ने बस्तर के युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर के हत्या की कड़ी निंदा की है. उन्होंने इसे राजनेताओं, अधिकारियों और माफियाओं के गठजोड़ का उदाहरण बताया है. इसके साथ ही बीजापुर के पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर को निलंबित करने व इस हत्याकांड की सीबीआई से जांच कराने मांग की है.

मुकेश की हत्या को बताया पत्रकारिता पर हमला : छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन से जुड़े संगठनों ने मुकेश चंद्राकर की हत्या को उस जन पत्रकारिता पर हमला बताया है, जिसने हमेशा बस्तर में नक्सलियों के खात्मे के नाम पर फर्जी मामलों में आदिवासियों की गिरफ्तारियों से लेकर फर्जी मुठभेड़ तक का मुद्दा, मानवाधिकारों का मुद्दा और प्राकृतिक संपदा का कॉरपोरेटों को सौंपे जाने के लिए साजिशों को प्रमुखता से उठाया है.

इस घटना के तात्कालिक कारण में मुकेश की वह रिपोर्टिंग सामने आई है, जिसमें अरबों की लागत से बन रहे गंगालूर से मिरतुल तक के सड़क निर्माण की घटिया गुणवत्ता को उजागर किया गया था. लेकिन सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद भी आज तक इसके खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं हुई है. यह भ्रष्टाचारियों और इसे दबाने छुपाने के खेल में लगे राजनेताओं और प्रशासन की मिलीभगत को उजागर करता है : छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन

सीबीआई जांच की मांग : सीबीए का कहना है कि इस बर्बर हत्याकांड में जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनका कांग्रेस भाजपा के नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध भी किसी से छुपा नहीं है. हत्यारों का राजनैतिक गमछे बदलकर अवैध तरीकों से पैसा बनाना भी सबकी नजरों में है. इसलिए सीबीआई जांच के जरिए इस पूरे माफिया गिरोह और उनके आकाओं को बेनकाब करना जरूरी है.

पत्रकार सुरक्षा कानून का उठाया मुद्दा : छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने पत्रकार सुरक्षा कानून का मुद्दा भी उठाया है. सीबीए का कहना है कि छत्तीसगढ़ बनने के 24 साल बाद भी पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कांग्रेस भाजपा एक प्रभावशाली कानून बनाने में विफल रही है. न तो कांग्रेस और न ही भाजपा की पत्रकारों को सुरक्षा देने में कोई दिलचस्पी है.

छत्तीसगढ़ में पत्रकारों पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं. कुछ महीने पूर्व ही बस्तर के ही बाप्पी राय सहित कुछ पत्रकार साथियों पर गांजा तस्करी का फर्जी अपराध दर्ज किया गया, जिसमें एक थाना इंचार्ज सीधे तौर पर षड्यंत्रकारी था. बस्तर में प्रशासन द्वारा जनता के लिए पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों को डराना-धमकाना आम बात है. अब नौबत माफियाओं द्वारा पत्रकारों की हत्या तक पहुंच गई है : छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने मुकेश चंद्राकर को श्रद्धांजलि देते हुए उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना जताई है. सीबीए ने कहा है कि इस बर्बर हत्याकांड के खिलाफ और लोकतंत्र की रक्षा के लिए हर आंदोलन में वह सहभागी बनेगी. साथ ही आम जनता के सभी तबकों को एकजुट करेगी.

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रायपुर : छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (सीबीए) ने बस्तर के युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर के हत्या की कड़ी निंदा की है. उन्होंने इसे राजनेताओं, अधिकारियों और माफियाओं के गठजोड़ का उदाहरण बताया है. इसके साथ ही बीजापुर के पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर को निलंबित करने व इस हत्याकांड की सीबीआई से जांच कराने मांग की है.

मुकेश की हत्या को बताया पत्रकारिता पर हमला : छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन से जुड़े संगठनों ने मुकेश चंद्राकर की हत्या को उस जन पत्रकारिता पर हमला बताया है, जिसने हमेशा बस्तर में नक्सलियों के खात्मे के नाम पर फर्जी मामलों में आदिवासियों की गिरफ्तारियों से लेकर फर्जी मुठभेड़ तक का मुद्दा, मानवाधिकारों का मुद्दा और प्राकृतिक संपदा का कॉरपोरेटों को सौंपे जाने के लिए साजिशों को प्रमुखता से उठाया है.

इस घटना के तात्कालिक कारण में मुकेश की वह रिपोर्टिंग सामने आई है, जिसमें अरबों की लागत से बन रहे गंगालूर से मिरतुल तक के सड़क निर्माण की घटिया गुणवत्ता को उजागर किया गया था. लेकिन सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद भी आज तक इसके खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं हुई है. यह भ्रष्टाचारियों और इसे दबाने छुपाने के खेल में लगे राजनेताओं और प्रशासन की मिलीभगत को उजागर करता है : छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन

सीबीआई जांच की मांग : सीबीए का कहना है कि इस बर्बर हत्याकांड में जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनका कांग्रेस भाजपा के नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध भी किसी से छुपा नहीं है. हत्यारों का राजनैतिक गमछे बदलकर अवैध तरीकों से पैसा बनाना भी सबकी नजरों में है. इसलिए सीबीआई जांच के जरिए इस पूरे माफिया गिरोह और उनके आकाओं को बेनकाब करना जरूरी है.

पत्रकार सुरक्षा कानून का उठाया मुद्दा : छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने पत्रकार सुरक्षा कानून का मुद्दा भी उठाया है. सीबीए का कहना है कि छत्तीसगढ़ बनने के 24 साल बाद भी पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कांग्रेस भाजपा एक प्रभावशाली कानून बनाने में विफल रही है. न तो कांग्रेस और न ही भाजपा की पत्रकारों को सुरक्षा देने में कोई दिलचस्पी है.

छत्तीसगढ़ में पत्रकारों पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं. कुछ महीने पूर्व ही बस्तर के ही बाप्पी राय सहित कुछ पत्रकार साथियों पर गांजा तस्करी का फर्जी अपराध दर्ज किया गया, जिसमें एक थाना इंचार्ज सीधे तौर पर षड्यंत्रकारी था. बस्तर में प्रशासन द्वारा जनता के लिए पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों को डराना-धमकाना आम बात है. अब नौबत माफियाओं द्वारा पत्रकारों की हत्या तक पहुंच गई है : छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने मुकेश चंद्राकर को श्रद्धांजलि देते हुए उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना जताई है. सीबीए ने कहा है कि इस बर्बर हत्याकांड के खिलाफ और लोकतंत्र की रक्षा के लिए हर आंदोलन में वह सहभागी बनेगी. साथ ही आम जनता के सभी तबकों को एकजुट करेगी.

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