मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: छत्तीसगढ़ की नई सरकार ने बड़े वादों के साथ सत्ता संभाली थी, लेकिन जमीनी हकीकत में वादे ढेर होते दिख रहे हैं. एमसीबी जिला मुख्यालय में आयोजित स्वास्थ्य शिविर में इलाज के नाम पर मजाक हुआ. शिविर में इलाज कराने 40-50 किलोमीटर दूर से महिलाएं आकर घंटों इंतजार करती रहीं, लेकिन उन्हें इलाज के नाम पर सिर्फ आश्वासन मिला.
महिलाओं को नहीं मिला इलाज : एमसीबी में 20 से 30 सितंबर तक चल रहे आयुष्मान पखवाड़े के तहत इस शिविर का आयोजन किया गया था. ग्रामीण क्षेत्र की सैकड़ों महिलाएं बड़ी उम्मीदों के साथ इस शिविर में पहुंचीं, लेकिन उन्हें यह पता ही नहीं चला कि किस बीमारी के डॉक्टर कहां बैठे हैं. किसी प्रकार की स्पष्ट जानकारी के अभाव में महिलाएं घंटों अस्पताल में इधर-उधर भटकती रहीं.कुछ ग्रामीण महिलाओं ने शिकायत की कि उन्हें बस दवाइयां थमा दी गईं और कहा गया कि 'कल आकर दिखा देना।'
" एमडी लोग बताएं थे कि शिविर लगेगा. हम इतनी दूर से आए हैं, पर यहां कोई हमें सही से देख नहीं रहा बस दवाई देकर कहा कि कल आना."- रामबाई,ग्रामीण
"हमें बताया ही नहीं गया कि किस डॉक्टर से मिलना है, इधर-उधर भटकते रहे,दूर से आई थी.मेरे को चेकअप कराना था.पर्ची बन गया है लेकिन अब कह रहे हैं कि एक बज गया है इसलिए चेकअप नहीं होगा."-मीरा, ग्रामीण
सवाल उठता है कि जब विशेषज्ञ डॉक्टर ही नहीं पहुंचे, तो आखिर इतने ग्रामीणों को शिविर में बुलाने का क्या औचित्य था? इस बारे में जब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रमुख अधिकारी से बात की गई, तो उनका कहना था, "मैं खुद यहां मौजूद हूं और सभी मरीजों को देख रहा हूं.
''शिविर में मैं खुद मौजूद हूं और मरीजों को देख रहा हूं. दवाई देकर कल आने की बात पूरी तरह से गलत है. इस मामले की जांच करवाई जाएगी. यदि किसी को ये कहा गया है कि दवाइयां लेकर कल आना है, तो यह गलतफहमी है. मैं खुद इसकी जांच करूंगा"-एस.एस. सिंह बीएमओ
आपको बता दें कि ये शिविर स्वास्थ्य मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में आयोजित हुआ था. लेकिन यहां की अव्यवस्थाओं ने एक बड़ा सवाल ये खड़ा किया है कि यदि व्यवस्था नहीं थी तो गरीबों को क्यों बुलाया गया. क्योंकि शिविर में आने के बाद गरीबों को राहत तो नहीं मिली हां आने जाने का खर्चा और समय बड़ी आफत बन गया.