रामनगर: गांव पुछड़ी क्षेत्र में संयुक्त संघर्ष समिति ने एक महापंचायत का आयोजन किया, जिसमें उत्तराखंड के विभिन्न इलाकों और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. इसी बीच सभी लोगों ने सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश का विरोध किया. साथ ही सरकार से अतिक्रमण हटाने का आदेश वापस लेने की मांग उठाई .
गांव पुछड़ी क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से ग्रामीण वन विभाग की भूमि पर बसे हुए हैं. इन लोगों को वन विभाग द्वारा सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर इन्हें हटाने की कार्रवाई की जा रही है. दरअसल इस मामले में पूर्व में भी प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया जा चुका है. सरकार के आदेश के बाद पिछले कई दिनों से तराई पश्चिमी वन विभाग इस क्षेत्र में वन भूमि पर बसे लोगों को अतिक्रमणकारी मानकर उन्हें हटाने की कार्रवाई में जुटा हुआ है. अधिकारियों द्वारा यहां रह रहे लोगों को नोटिस देने की कार्रवाई भी की जा चुकी है. साथ ही बेदखली के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं.
महापंचायत में मौजूद लोगों ने कहा कि जब सरकार इन गरीबों से वोट मांगने आती है, तो यह गरीब लोग उस दौरान अतिक्रमणकारी नहीं होते हैं, लेकिन सत्ता में बैठने के बाद सरकार इन्हें उजाड़ने पर उतारू हो जाती है. सरकार बुलडोजर की कार्रवाई बड़े लोगों पर नहीं करती, बल्कि सरकार गरीबों की छतों को तोड़ने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस बुलडोजर राज का विरोध किया जाएगा. वहीं, अगर सरकार ने जबरन इस गांव में रहने वाले लोगों को उजाड़ने की कार्रवाई की तो सरकार को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. इन जन विरोधी सरकारों को सत्ता से बाहर निकालने का काम किया जाएगा.
महापंचायत में मौजूद लोगों ने स्थानीय विधायक एवं सांसद के खिलाफ भी अपना रोष व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार गरीबों को उजाड़ने से पहले उनके विस्थापन एवं पुनर्वास की व्यवस्था करें और अपने निर्णय को वापस ले. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना तो ग्रामीण अपना विरोध जारी रखेंगे.
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