जोधपुर. पॉली हाउस के माध्यम से किसान सामान्यत: खीरे की फसल लेते रहे हैं. लगातार एक ही फसल लेने से भूमि की उर्वरकता भी प्रभावित होती हैं. ऐसे में जोधपुर काजरी ने पॉली हाउस में अलग-अलग तकनीक से खीरे के अलावा अन्य सब्जियां उगाने की कवायद की है. इसे अब किसान भी अपना रहे हैं. इससे पूरे साल पॉली हाउस में अलग-अलग फसल उगाई जा सकती है. इसमें बैंगन को भी शामिल किया गया है. खास बात यह है कि सामान्यत: बैंगन पौधे पर लगते हैं, लेकिन काजरी ने इनका उत्पादन बेल के पर किया है. इसके परिणाम भी बेहद सफल रहे हैं. अब क्षेत्र के जागरूक किसान भी इस विधि को अपना रहे हैं. काजरी ने किसानों को एक पॉली हाउस में खीरे के साथ-साथ बैंगन, शिमला मिर्च, चेरी टमाटर, टमाटर, गोभी सहित अन्य सब्जियों का उत्पादन करना सिखा रही है.
आठ से दस फीट की बेल : काजरी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार बताते हैं कि सीडलेस ब्रिंजल की बेल आठ से दस फीट तक ले जाई जा सकती है. बेल की हर नोड पर फल लगता है, ऐसे में एक बेल पर आठ से दस फल मिलते हैं. अगर पॉली हाउस में नियमित अंतराल में बैंगन और खीरे की फसल ली जाए तो किसान को पूरे साल काम मिलता है. इसके अलावा अगर पॉली हाउस बड़ा है, तो उसमें साथ में शिमला मिर्च, टमाटर का उत्पादन भी किया जा सकता है. इसके अलावा अगर थोड़ी अलग तकनीक लगाई जाए, तो उसमें बिना मिट्टी के ही हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से फसल ली जा सकती है. इसमें ब्रोकली, रंगीन कैलीफ्लॉवर, लेटिव शामिल है, जो काफी पौष्टिक होते हैं. उन्होंने कहा कि सब्जी और सलाद की पूरी पौष्टिक थाली की सामग्री का उत्पादन पॉली हाउस में किया जा सकता है.
21 दिन के प्रशिक्षण से उत्पादन : प्रगतिशील किसान रामचंद्र बताते हैं कि उन्होंने पांच साल पहले काजरी में 21 दिन की ट्रेनिंग पॉली हाउस की ली थी. समय-समय पर अपडेट के लिए आते रहते हैं. शहर से दूर उन्होंने अपने खेत में एक हजार वर्ग मीटर में पॉली हाउस लगाया, जिसमें पूरे साल वे फसल लेते हैं. इसमें सात से आठ लाख रुपए की कमाई होती है. रामंचद्र का कहना है कि वह अपने खेत में बारिश का जल एकत्र करते हैं, वहीं, पानी पॉली हाउस में काम लेते हैं.