रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा और इसके कार्यकारी अध्यक्ष मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इन दिनों कोल्हान को लेकर राजनीतिक और सांगठनिक तौर पर काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं. सबसे पहले उन्होंने कुछ दिनों पहले तक झामुमो के बड़े नेताओं में शुमार रहे चंपाई सोरेन के गृह जिले सरायकेला-खरसावां के पार्टी पदाधिकारियों के साथ अपने आवास पर बैठक की और चंपाई सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बाद जमीनी स्तर पर उनके संगठन की स्थिति की जानकारी ली. 20 सितंबर को उन्होंने रांची में पूरे कोल्हान क्षेत्र के केंद्रीय से लेकर प्रखंड स्तर के नेताओं की बैठक भी की.
जानकारी के मुताबिक, इस बैठक में हेमंत सोरेन ने दो मंत्रियों रामदास सोरेन, दीपक बिरुआ के साथ ही सिंहभूम की सांसद जोबा मांझी की मौजूदगी में सभी पार्टी पदाधिकारियों में यह कहकर जोश भरा कि किसी के आने-जाने से कुछ नहीं होता, बल्कि हमारी असली ताकत आप लोग हैं, जो चुनाव के हर चरण में बूथ से लेकर चौकी तक अपनी भूमिका निभाते हैं.
हेमंत सोरेन ने कोल्हान के नेताओं से विधानसभा चुनाव की युद्धस्तर पर तैयारी करने का आह्वान किया. जाहिर है, झामुमो के कद्दावर नेता और कभी उनके सहयोगी रहे चंपाई सोरेन के भाजपा में चले जाने से उन्हें यह अहसास हो गया होगा कि इस बार कोल्हान के चुनावी महाभारत में 2019 का प्रदर्शन दोहराने के लिए उन्हें अतिरिक्त मेहनत करनी होगी.
कोल्हान को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के तत्परता को भाजपा चंपाई प्रभाव बता रही है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि कोल्हान का किला ढहने का डर झामुमो नेताओं में साफ दिख रहा है.
बेचैनी भाजपा में है : झामुमो
भाजपा द्वारा कोल्हान को केंद्र में रखने और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री के डरे और बेचैन होने के बयान पर झामुमो की ओर से पलटवार किया गया. झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि बेचैनी झारखंड मुक्ति मोर्चा में नहीं बल्कि भाजपा में है, इसीलिए अलग-अलग राज्यों से नेताओं का समूह बनाकर एक युवा मुख्यमंत्री, आदिवासी के बेटे और आंदोलनकारी को घेरने की कोशिश की जा रही है.
झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा जिन बैठकों को हमारी मजबूरी और बेचैनी बता रही है, दरअसल वह हमारी रणनीति का हिस्सा है. इस बार भी पूरे कोल्हान में भाजपा का खाता नहीं खुलेगा और इंडिया ब्लॉक के अंतर्गत महागठबंधन परफेक्ट-14 यानी सभी चौदह विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करेगी.
2019 में झामुमो ने जीती थी कोल्हान की 11 सीटें
गौरतलब हो कि 2019 के विधानसभा चुनाव में कोल्हान में भारतीय जनता पार्टी का खाता नहीं खुला था, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री और जमशेदपुर पूर्वी से भाजपा उम्मीदवार रघुवर दास भी अपनी सीट नहीं बचा पाए थे. सरयू राय ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर रघुवर दास को हराया था. 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अकेले कोल्हान की 14 में से 11 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि 02 सीटें उसकी सहयोगी पार्टी कांग्रेस के खाते में गई थीं. 01 सीट सरयू राय ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीती थी.
'2019 का परिणाम दोहराना झामुमो के लिए मुश्किल'
वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि इस बार हालात 2019 जैसे नहीं हैं. गीता कोड़ा का कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होना, चंपाई सोरेन का झामुमो छोड़कर भाजपा में शामिल होना, साथ ही सरयू राय का भाजपा की सहयोगी पार्टी जदयू में शामिल होना चुनाव नतीजों पर असर डालने की संभावना है. सतेंद्र सिंह कहते हैं कि इस बार आजसू और भाजपा के बीच समझौता होने की प्रबल संभावना है, ऐसे में कोल्हान में 2019 का परिणाम दोहराना महागठबंधन के लिए मुश्किल हो सकता है. चाहे रणनीति के तहत हो या फिर अपने कोल्हान किले को बचाने की मजबूरी के चलते, यही वजह है कि हेमंत सोरेन ने अपना पूरा ध्यान कोल्हान पर केंद्रित कर दिया है.
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