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लोबिन के तेवर, कैलिबर सब हुए फेल, जनता के बीच कुछ भी नहीं आया काम - Lok Sabha Election 2024

MLA Lobin Hembrom faced defeat. झामुमो के बागी विधायक और राजमहल लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी लोबिन हेंब्रम को करारी हार का सामना करना पड़ा है. वे अपनी जमानत भी नहीं बचा सके. चुनाव के दौरान उनका बागी तेवर जनता को पसंद नहीं आया.

MLA Lobin Hembrom faced defeat
लोबिन हेम्ब्रम (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 6, 2024, 10:06 AM IST

पाकुड़: राजनीति में कड़ी मेहनत और कार्यकर्ताओं के साथ बेहतर तालमेल ही नेता को संगठन के साथ-साथ क्षेत्र में पहचान और पद दिलाने में मदद करता है. चाहे वह नेता कितना भी होशियार क्यों न हो. झारखंड मुक्ति मोर्चा के बागी विधायक लोबिन हेम्ब्रम के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है. राजमहल लोकसभा क्षेत्र से बागी विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं सके.

नामांकन से पहले और बाद में ही नहीं बल्कि चुनाव प्रचार के दौरान भी उन्होंने अपने तीखे तेवर तो जरूर दिखाए, लेकिन क्षेत्र में उनकी चतुराई काम नहीं आई. उन्होंने न सिर्फ संगठन छोड़ा, बल्कि जनता ने भी उन्हें सिरे से नकार दिया. राजमहल संसदीय क्षेत्र में हुए चुनाव में मतगणना ने उनके तेवर और कैलिबर दोनों को चकनाचूर कर दिया है.

मतगणना के बाद पूरे संसदीय क्षेत्र के मात्र 42 हजार 140 मतदाताओं ने उनके पक्ष में मतदान किया. बागी विधायक लोबिन हेम्ब्रम अपनी जमानत भी नहीं बचा सके. नामांकन के बाद उन्होंने दावा किया था कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के विजय कुमार हांसदा तीसरे स्थान पर रहेंगे, लेकिन वे खुद तीसरे स्थान पर चले गए.

राजमहल लोकसभा क्षेत्र के 12 लाख 6 हजार 577 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया और मतगणना में झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार विजय हांसदा को 6 लाख 13 हजार 371 वोट मिले. जबकि भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार ताला मरांडी को 4 लाख 35 हजार 107 वोट मिले. राजमहल संसदीय क्षेत्र के निर्वाचित सांसद विजय कुमार हांसदा ने 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए हैं.

पाकुड़: राजनीति में कड़ी मेहनत और कार्यकर्ताओं के साथ बेहतर तालमेल ही नेता को संगठन के साथ-साथ क्षेत्र में पहचान और पद दिलाने में मदद करता है. चाहे वह नेता कितना भी होशियार क्यों न हो. झारखंड मुक्ति मोर्चा के बागी विधायक लोबिन हेम्ब्रम के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है. राजमहल लोकसभा क्षेत्र से बागी विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं सके.

नामांकन से पहले और बाद में ही नहीं बल्कि चुनाव प्रचार के दौरान भी उन्होंने अपने तीखे तेवर तो जरूर दिखाए, लेकिन क्षेत्र में उनकी चतुराई काम नहीं आई. उन्होंने न सिर्फ संगठन छोड़ा, बल्कि जनता ने भी उन्हें सिरे से नकार दिया. राजमहल संसदीय क्षेत्र में हुए चुनाव में मतगणना ने उनके तेवर और कैलिबर दोनों को चकनाचूर कर दिया है.

मतगणना के बाद पूरे संसदीय क्षेत्र के मात्र 42 हजार 140 मतदाताओं ने उनके पक्ष में मतदान किया. बागी विधायक लोबिन हेम्ब्रम अपनी जमानत भी नहीं बचा सके. नामांकन के बाद उन्होंने दावा किया था कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के विजय कुमार हांसदा तीसरे स्थान पर रहेंगे, लेकिन वे खुद तीसरे स्थान पर चले गए.

राजमहल लोकसभा क्षेत्र के 12 लाख 6 हजार 577 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया और मतगणना में झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार विजय हांसदा को 6 लाख 13 हजार 371 वोट मिले. जबकि भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार ताला मरांडी को 4 लाख 35 हजार 107 वोट मिले. राजमहल संसदीय क्षेत्र के निर्वाचित सांसद विजय कुमार हांसदा ने 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए हैं.

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