रांची: ईडी के अधिकारी 20 जनवरी को कांके स्थित मुख्यमंत्री आवास पर हेमंत सोरेन का बयान दर्ज करने पहुंचेंगे. उससे पहले शुक्रवार को अलग-अलग आदिवासी संगठनों ने राजभवन के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया. साथ ही पारंपरिक शस्त्रों के साथ हाथों में सरना झंडे लेकर राजभवन तक आक्रोश मार्च निकाला. इस आंदोलन को कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं ने स्वतःस्फूर्त बताते हुए कहा कि आज राजभवन के समक्ष जो जनाक्रोश दिखा वह एक स्वभाविक गुस्सा है. ईडी की कार्रवाई से ना सिर्फ आदिवासी, बल्कि मूलवासी और सभी झारखंडी नाराज हैं.
28 में 26 जनजाति सीट महागठबंधन के पास, ये विरोध स्वभाविक-कांग्रेसः इस संबंध में कांग्रेस के प्रदेश महासचिव अमूल्य नीरज खलखो ने कहा कि इस सरकार को जनजातीय समाज के लोगों ने बनाया है. राज्य की 28 जनजाति आरक्षित विधानसभा सीट में से 26 सीट महागठबंधन को देकर यह स्पष्ट जनादेश वाली सरकार जनता के आशीर्वाद से बनी हैं. ऐसे में जब उनकी सरकार को अपदस्थ करने की कोशिश होगी, तब उसका विरोध स्वभाविक है. कांग्रेस नेता अमूल्य नीरज खलखो ने कहा कि जब राज्य के जनजातीय समाज को यह लगा कि उनकी सरकार को भाजपा के इशारे पर ईडी परेशान कर रही है तो उनका गुस्सा स्वभाविक है. अमूल्य नीरज खलखो ने कहा कि एक आदिवासी होने के नाते उन्हें भी लगता है कि सीएम हेमंत सोरेन को भाजपा और केंद्र के इशारे पर जानबूझ कर ईडी परेशान कर रही है.
हमने पहले ही कहा था- ईडी के खिलाफ कार्रवाई से लोगों में है नाराजगी-झामुमोः झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्या ने राजभवन के समक्ष आदिवासी संगठनों के प्रदर्शन को जनजातीय समाज की स्वभाविक अभिव्यक्ति करार देते हुए कहा कि हमने पहले ही कहा था कि राज्य के जनजाति और सामाजिक संगठनों में ईडी के खिलाफ भारी आक्रोश है. सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि लगातार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी के द्वारा प्रताड़ित किये जाने के बाद राज्यवासियों को यह लगने लगा है कि जब सरकार उनकी समस्याओं के समाधान के लिए द्वार तक पहुंच रही है, तब जान बूझकर भाजपा के इशारे पर हेमंत सोरेन को परेशान किया जा रहा है.