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झारखंड के इस एक लोकसभा सीट को लेकर फंस गया है पेंच, झामुमो-कांग्रेस दोनों ही छोड़ने को नहीं हैं तैयार

Lohardaga Lok Sabha seat. झारखंड में सीट शेयरिंग को लेकर झामुमो और कांग्रेस के बीच पेंच फंस गया है. जिस सीट को लेकर पेंच है, वह है लोहरदगा. दोनों ही दल इस पर दावा कर रहे हैं.

JMM and Congress staking claim on Lohardaga Lok Sabha seat
JMM and Congress staking claim on Lohardaga Lok Sabha seat
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 12, 2024, 10:52 AM IST

Updated : Mar 12, 2024, 11:06 AM IST

सीट शेयरिंग को लेकर झामुमो और कांग्रेस नेताओं के बयान

रांची: झारखंड में इंडि गठबंधन में कौन कितने सीट पर चुनाव लड़ेगा यह अभी तक साफ नहीं है. दिल्ली में कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ झामुमो के नेताओं की दो-दो बैठक के बावजूद अभी तक यह तय नहीं हो सका है कि राज्य में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला क्या होगा? कांग्रेस, झामुमो, राजद और लेफ्ट को कौन कौन सी सीट मिलेगी यह भी तय नहीं है. ऐसे में ईटीवी भारत यह बताने जा रहा है कि किस एक लोकसभा सीट पर अपनी दावेदारी के साथ झारखंड कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा दोनों अड़े हुए हैं और सीट शेयरिंग के फॉर्मूला की घोषणा नहीं हो पा रही है.

लोहरदगा लोकसभा सीट पर फंस गया है झामुमो और कांग्रेस के बीच पेंच!

झामुमो के केंद्रीय महासचिव, सोरेन परिवार के बेहद करीबी और दिल्ली में कांग्रेस के नेताओं के साथ दो दौर की वार्ता में शामिल रहे सुप्रियो भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत से बातचीत के क्रम में एक्सक्लूसिव जानकारी दी कि लोहरदगा सीट को लेकर सहयोगी कांग्रेस के साथ सहमति नहीं बन पा रही है. इसलिए सीट शेयरिंग फॉर्मूले को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है. सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि झामुमो की चाहत लोहरदगा सीट पर अपना उम्मीदवार उतारने की है. इसकी वजह यह है कि 2004 के बाद लोहरदगा लोकसभा सीट कांग्रेस लगातार तीन बार हार चुकी है. दूसरी वजह यह है कि लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले पांच विधानसभा सीट में से तीन सीट झामुमो के पास है, जबकि कांग्रेस के पास सिर्फ दो विधानसभा सीट. ऐसे में झामुमो चाहता है कि विनिबिलिटी के आधार पर कांग्रेस यह सीट हमारे लिए छोड़ दे.

लोहरदगा लोकसभा सीट की क्या है वर्तमान राजनीतिक स्थिति

रांची से सटे लोकसभा सीट से 2004 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में रामेश्वर उरांव की जीत हुई थी. उसके बाद वर्ष 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां परचम लहराया है. 2019 विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा क्षेत्र से भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया था. पांचों सीट महागठबंधन ने जीती थी. जिसमें से झामुमो को तीन और कांग्रेस को दो सीट मिली. वर्तमान में लोहरदगा लोकसभा सीट के अंतर्गत पड़ने वाले मांडर से कांग्रेस विधायक शिल्पी नेहा तिर्की और लोहरदगा विधानसभा से वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव विधायक हैं. वहीं सिसई विधानसभा क्षेत्र से झामुमो के जिगन सुसरण होरो, गुमला विधानसभा क्षेत्र से भूषण तिर्की और विशुनपुर विधानसभा क्षेत्र से झामुमो के चमरा लिंडा विधायक हैं. झामुमो की सोच है कि अगर इस सीट पर भाजपा को परास्त करना है तो झामुमो के सिंबल पर प्रत्याशी खड़ा करना चाहिए. जबकि कांग्रेस के नेता इसे अपनी परंपरागत सीट बताते हुए किसी भी स्थिति में छोड़ना नहीं चाहते हैं.

आज की वास्तविकता के आधार पर हो सीटें तय- झामुमो

झारखंड में एक लोकसभा सीट पर पेंच फंस जाने की बात स्वीकारते हुए झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हम लोगों ने कह दिया है कि आज की वास्तविक संगठन क्षमता और राजनीतिक स्थिति के अनुसार सीट शेयरिंग का फार्मूला तय होना चाहिए. उन्होंने कहा कि झामुमो 2019 लोकसभा चुनाव में जितने सीट पर चुनाव लड़ा था उससे अधिक सीट पर इस बार चुनाव लड़ेगा, यह तय है.

कांग्रेस अपने कोटे से दे लेफ्ट और राजद को सीट- झामुमो

झामुमो नेता ने कहा कि 2019 में कांग्रेस ने अपने कोटे की दो सीट बाबूलाल की पार्टी JVM के लिए छोड़ी थी, अब बाबूलाल मरांडी भाजपा में हैं. ऐसे में अब वही दो सीट कांग्रेस लेफ्ट को दे दे. झामुमो ने यह भी साफ किया कि राज्य में इंडि गठबंधन में राजद को कौन और कितनी सीट मिलेगी, यह कांग्रेस को तय करना है. बिहार में राजद ने कांग्रेस को सीट दी है, हमें नहीं दी. इसलिए यहां कांग्रेस को चाहिए कि वह राजद को सीट दे.

बंगाल-ओडिशा को लेकर जल्द हो जाएगा फैसला- जेएमएम

झामुमो के नेता ने कहा कि बंगाल और ओडिशा में नई राजनीतिक परिस्थितियों के चलते दो चार दिनों में यह फैसला ले लिया जाएगा कि उन राज्यों में झामुमो का स्टैंड क्या होगा.

कहीं कोई पेंच नहीं फंसा,ऑल इज वेल

भले ही राज्य में इंडि गठबंधन दलों के बीच सीट शेयरिंग का मुद्दा फंसा हो और सबसे बड़ा सहयोगी झामुमो कह रहा हो कि एक लोकसभा सीट पर पेंच फंस गया है, लेकिन कांग्रेस के प्रदेश महासचिव के अनुसार राज्य में ऑल इज वेल है और परेशानी सिर्फ भाजपा में है.

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सीट शेयरिंग को लेकर झामुमो और कांग्रेस नेताओं के बयान

रांची: झारखंड में इंडि गठबंधन में कौन कितने सीट पर चुनाव लड़ेगा यह अभी तक साफ नहीं है. दिल्ली में कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ झामुमो के नेताओं की दो-दो बैठक के बावजूद अभी तक यह तय नहीं हो सका है कि राज्य में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला क्या होगा? कांग्रेस, झामुमो, राजद और लेफ्ट को कौन कौन सी सीट मिलेगी यह भी तय नहीं है. ऐसे में ईटीवी भारत यह बताने जा रहा है कि किस एक लोकसभा सीट पर अपनी दावेदारी के साथ झारखंड कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा दोनों अड़े हुए हैं और सीट शेयरिंग के फॉर्मूला की घोषणा नहीं हो पा रही है.

लोहरदगा लोकसभा सीट पर फंस गया है झामुमो और कांग्रेस के बीच पेंच!

झामुमो के केंद्रीय महासचिव, सोरेन परिवार के बेहद करीबी और दिल्ली में कांग्रेस के नेताओं के साथ दो दौर की वार्ता में शामिल रहे सुप्रियो भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत से बातचीत के क्रम में एक्सक्लूसिव जानकारी दी कि लोहरदगा सीट को लेकर सहयोगी कांग्रेस के साथ सहमति नहीं बन पा रही है. इसलिए सीट शेयरिंग फॉर्मूले को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है. सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि झामुमो की चाहत लोहरदगा सीट पर अपना उम्मीदवार उतारने की है. इसकी वजह यह है कि 2004 के बाद लोहरदगा लोकसभा सीट कांग्रेस लगातार तीन बार हार चुकी है. दूसरी वजह यह है कि लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले पांच विधानसभा सीट में से तीन सीट झामुमो के पास है, जबकि कांग्रेस के पास सिर्फ दो विधानसभा सीट. ऐसे में झामुमो चाहता है कि विनिबिलिटी के आधार पर कांग्रेस यह सीट हमारे लिए छोड़ दे.

लोहरदगा लोकसभा सीट की क्या है वर्तमान राजनीतिक स्थिति

रांची से सटे लोकसभा सीट से 2004 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में रामेश्वर उरांव की जीत हुई थी. उसके बाद वर्ष 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां परचम लहराया है. 2019 विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा क्षेत्र से भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया था. पांचों सीट महागठबंधन ने जीती थी. जिसमें से झामुमो को तीन और कांग्रेस को दो सीट मिली. वर्तमान में लोहरदगा लोकसभा सीट के अंतर्गत पड़ने वाले मांडर से कांग्रेस विधायक शिल्पी नेहा तिर्की और लोहरदगा विधानसभा से वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव विधायक हैं. वहीं सिसई विधानसभा क्षेत्र से झामुमो के जिगन सुसरण होरो, गुमला विधानसभा क्षेत्र से भूषण तिर्की और विशुनपुर विधानसभा क्षेत्र से झामुमो के चमरा लिंडा विधायक हैं. झामुमो की सोच है कि अगर इस सीट पर भाजपा को परास्त करना है तो झामुमो के सिंबल पर प्रत्याशी खड़ा करना चाहिए. जबकि कांग्रेस के नेता इसे अपनी परंपरागत सीट बताते हुए किसी भी स्थिति में छोड़ना नहीं चाहते हैं.

आज की वास्तविकता के आधार पर हो सीटें तय- झामुमो

झारखंड में एक लोकसभा सीट पर पेंच फंस जाने की बात स्वीकारते हुए झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हम लोगों ने कह दिया है कि आज की वास्तविक संगठन क्षमता और राजनीतिक स्थिति के अनुसार सीट शेयरिंग का फार्मूला तय होना चाहिए. उन्होंने कहा कि झामुमो 2019 लोकसभा चुनाव में जितने सीट पर चुनाव लड़ा था उससे अधिक सीट पर इस बार चुनाव लड़ेगा, यह तय है.

कांग्रेस अपने कोटे से दे लेफ्ट और राजद को सीट- झामुमो

झामुमो नेता ने कहा कि 2019 में कांग्रेस ने अपने कोटे की दो सीट बाबूलाल की पार्टी JVM के लिए छोड़ी थी, अब बाबूलाल मरांडी भाजपा में हैं. ऐसे में अब वही दो सीट कांग्रेस लेफ्ट को दे दे. झामुमो ने यह भी साफ किया कि राज्य में इंडि गठबंधन में राजद को कौन और कितनी सीट मिलेगी, यह कांग्रेस को तय करना है. बिहार में राजद ने कांग्रेस को सीट दी है, हमें नहीं दी. इसलिए यहां कांग्रेस को चाहिए कि वह राजद को सीट दे.

बंगाल-ओडिशा को लेकर जल्द हो जाएगा फैसला- जेएमएम

झामुमो के नेता ने कहा कि बंगाल और ओडिशा में नई राजनीतिक परिस्थितियों के चलते दो चार दिनों में यह फैसला ले लिया जाएगा कि उन राज्यों में झामुमो का स्टैंड क्या होगा.

कहीं कोई पेंच नहीं फंसा,ऑल इज वेल

भले ही राज्य में इंडि गठबंधन दलों के बीच सीट शेयरिंग का मुद्दा फंसा हो और सबसे बड़ा सहयोगी झामुमो कह रहा हो कि एक लोकसभा सीट पर पेंच फंस गया है, लेकिन कांग्रेस के प्रदेश महासचिव के अनुसार राज्य में ऑल इज वेल है और परेशानी सिर्फ भाजपा में है.

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Last Updated : Mar 12, 2024, 11:06 AM IST
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