रांची: चंपाई सोरेन के भाजपा में शामिल होते ही पार्टी का अंतर्कलह दिखने लगा है. भाजपा में जाते ही उनके अपमान की शुरुआत हो चुकी है. 30 अगस्त को मिलन समारोह के दौरान प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने अपने भाषण में एक बार भी चंपाई दा का नाम नहीं लिया. यह उनका अपमान नहीं है तो क्या है. ऐसा कहना है झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय का. उन्होंने कहा कि पूरा कार्यक्रम चंपाई बाबू के लिए था. भाजपा के कई बड़े नेता आए थे. लेकिन बाबूलाल मरांडी ने अपने भाषण के दौरान एक बार भी उनका नाम नहीं लिया. इसके अलावा अर्जुन मुंडा जैसे वरिष्ठ नेता को बोलने तक नहीं दिया गया.
जेएमएम और बीजेपी नेताओं के बयान (ईटीवी भारत) झामुमो प्रवक्ता ने चुटकी लेते हुए कहा है कि पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों वाली इस पार्टी में इगो क्लैश होना तय है. सबका अपना एजेंडा और स्वार्थ है. इस प्रकरण से बाबूलाल मरांडी की पीड़ा को समझा जा सकता है. लगता है कि अब भाजपा में रिप्लेसमेंट की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है. यह आभास बाबूलाल मरांडी को भी होगा. आश्चर्य नहीं होगा जब यह सुनने को मिले कि बाबूलाल मरांडी किसी राज्य के राज्यपाल बना दिए गये. झामुमो के इन आरोपों पर भाजपा ने तल्ख प्रतिक्रिया दी है. प्रदेश प्रवक्ता अविनेश कुमार सिंह ने कहा कि ये बातें झामुमो की मानसिक दिवालिया को दर्शाती है. चंपाई जी को मंच पर बाबूलाल मरांडी ने खुले ह्रदय से गले लगाया था. यह राम और भरत मिलाप जैसा नजारा था. दोनों एक ही समाज से आते हैं. दोनों की पीड़ा एक है. संथाली समाज के साथ जो हो रहा है, वह किसी से छुपा नहीं है. ये भी पढ़ें-
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