चंडीगढ़: जननायक जनता पार्टी से नाराज चल रहे मंत्री देवेंद्र बबली ने पहली बार अपनी नारजगी की पूरी कहानी बताई है. इस दौरान उन्होंने जमकर अपनी भड़ास निकाली. उन्होंने चौटाला परिवार के कई लोगों के नाम लेकर उनकी भाषा, उनके व्यवहार के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया. दुष्यंत चौटाला के उस बयान पर भी उन्होंने जवाब दिया जिसमें उन्हें बनाने की बात कही जा रही थी. बबली ने कहा कि वो कहते हैं कि विधायक हमने बनाया तो यह बात दोनों तरफ लागू होती है. अगर वो हम जैसे जनता की पसंद के लोगों को साथ ना जुड़ते तो वो भी उप मुख्यमंत्री नहीं बनते. यह बात उनको याद रखनी चाहिए.
इस पूरी बातचीत में बबली कहते हैं कि- मुझे आज भी याद है जब विधायक बनने के बाद संगठन को लेकर चर्चा थी तो इन्होंने हमको नजदीक लाने की कोशिश की. लेकिन इनके पांच, सात जो नवरत्नों की टीम है, उन्होंने दुष्यंत चौटाला को कुछ ऐसा घेर लिया कि लोगों को संगठन तक लाने का या लंबा चलाने की इनकी मंशा नजर नहीं आई. मुझे साल दो साल में समझ आ गया था कि हमें जरूरत के समय साथ ले आए लेकिन आगे लेकर चलने वाले नहीं हैं. इसलिए बार-बार ऐसी बातें करके ये अपने आप को छोटा ना करें. हर आदमी का अपना वजूद था. हर आदमी की अपनी मेहनत थी.
उन्होंने कहा कि आज वे सिर्फ देवेंद्र बबली पर ही क्यों आरोप लगा रहे हैं. उनके पास उनकी माता जी को छोड़कर अन्य सात विधायक भी हैं. उनमें से आज उनके पास एक भी नहीं है. यह कहते हैं कि सरकार अल्पमत में है सहयोग नहीं करेंगे. क्या इन्होंने किसी विधायक से इस संबंध में बात की. या इस मामले में विधायकों की बैठक बुलाई. इसलिए मीडिया परसेप्शन बनाने के बजाय पार्टी को कैसे मजबूत किया जाए उसको लेकर काम करना चाहिए.
अक्टूबर में दूर हो जायेगा सारा वहम
4 जून को लोकसभा के नतीजे आ जाएंगे. पार्टी कहां खड़ी है ये पता चल जायेगा. 10 लोग इन्होंने मैदान में उतारे हैं. जब रिजल्ट आएगा तो सब कुछ सामने आ जाएगा. हरियाणा प्रदेश की जनता समझ चुकी है दुष्यंत क्या है और बबली क्या है. जो बचा-कुचा वहम है, वो भी अक्टूबर में विधानसभा चुनाव में दूर हो जायेगा.
नाराजगी की वजह क्या है?
जब देवेंद्र बबली से सवाल किया गया कि आपकी पार्टी से नाराजगी की वजह क्या है तो उन्होंने कहा कि इनकी भाषा शैली, इनका व्यवहार, इनकी मां की स्टेटमेंट देख लीजिए. उनके घर में एक जो आज तक गांव के पंच नहीं बने हैं और बन भी नहीं सकते, उनकी स्टेटमेंट देख लीजिए. दुष्यंत चौटाला खुद मेच्योर हैं और उनकी मेच्योरिटी की वजह से ही हम उनके पास गए थे. मैं पार्टी से उन्हीं के व्यवहार को देखकर जुड़ा था. उस वक्त अजय चौटाला मुझे मिले नहीं थे. शायद मेरी उनकी माता जी से बात हुई थी.
वहीं जो दूसरे नवाब साहब है (शायद दिग्विजय चौटाला) जो आजकल कुछ भी मुंह फाड़ कर बोल देते हैं, जिनको कोई सीरियसली भी नहीं लेता, जो कहीं तक नहीं पहुंचा. वो कहता है मैने बनाया. पहले खुद तो बन ले. खुद मेंबर बनकर आ, सरपंच बनाकर आ, विधायक बनकर आ, एमपी बनकर आ, अभी खुद एमपी का चुनाव क्यों नहीं लड़ा. जनता किसको नेतृत्व देगी इसका भी फैसला हो जाता. 4 तारीख को लोकसभा चुनाव के नतीजे आएंगे पता लग जायेगा. अक्टूबर में विधानसभा चुनाव में दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा.
मैं विधायकों की परेशानियों को दुष्यंत चौटाला के सामने रखता था. उसका फायदा यह हुआ कि सरकार मिलकर साढ़े चार साल तक चली. इसका पार्टी को लाभ भी हुआ, वरना सवा 2 साल के उपमुख्यमंत्री ही होते. उससे पहले ही इलाज हो गया होता.
क्या आप बीजेपी के साथ हैं?
देवेंद्र बबली कहते हैं कि मैं सरकार में मंत्री रहा तो इस नाते उस समय के मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी के साथ मेरी काम के सिलसिले में बातचीत होती रहती थी. जब किसी का स्वभाव समझ में आता है तो इंसान नजदीक भी हो जाता है. फ्लोर टेस्ट को लेकर कांग्रेस ने पत्र लिखा. एक पत्र दुष्यंत चौटाला की तरफ से दिया गया, जिसमें किसी भी विधायक की सहमति नहीं है. आंकड़ों के हिसाब से बीजेपी के साथ 43 नजर आते हैं, विपक्ष के पास 45 नजर आते हैं. अगर फिर भी बीजेपी की तरफ से बयान आ रहे हैं तो फिर उनके पास कुछ ना कुछ तो होगा. बाकी फ्लोर टेस्ट में पता लग ही जायेगा.