बोकारोः जिले की बेरमो विधानसभा सीट पर भाजपा ने लगभग दो दशक बाद अपना प्रत्याशी बदल दिया है. दो टर्म विधायक रहे योगेश्वर महतो बाटुल का टिकट कट गया है और गिरिडीह से पांच दफा सांसद रहे रवींद्र कुमार पांडेय बेरमो सीट से भाजपा के उम्मीदवार बनाए गए हैं.
गिरिडीह से पांच टर्म सांसद रहे हैं रवींद्र पांडेय
2019 के लोकसभा चुनाव सांसद रहते रवींद्र कुमार पांडेय का टिकट काटकर भाजपा-आजसू गठबंधन के तहत गिरिडीह लोकसभा सीट आजसू के खाते में चली गई थी और आजसू की ओर से चंद्रप्रकाश चौधरी को उम्मीदवार बनाया गया था. उसके बाद 2019 के विधानसभा चुनाव के समय यह चर्चा थी कि रवींद्र कुमार पांडेय को या तो राज्यसभा का सदस्य बनाया जा सकता है या बेरमो से टिकट दिया जा सकता है. हालांकि उस समय ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. हां, यह जरूर हुआ कि 2019 विधानसभा चुनाव में रवींद्र पांडेय के पुत्र विक्रम पांडेय को टुंडी से प्रत्याशी बनाया गया था, लेकिन वह सीट निकालने में सफल नहीं हुए.
लोकसभा चुनाव में नहीं मिला था टिकट
उसके बाद से रवींद्र कुमार पांडेय के राजनीतिक भविष्य को लेकर तरह-तरह की चर्चा होने लगी. कई बार उनके कांग्रेस के संपर्क में होने की खबरें भी सामने आईं थी. इस बीच 2024 के लोकसभा चुनाव में भी गिरिडीह सीट भाजपा-आजसू गठबंधन के तहत आजसू के खाते में चले जाने के बाद रवींद्र कुमार पांडेय फिर से वंचित रह गए थे.
विधानसभा चुनाव ने पार्टी ने दिया टिकट
उसके बाद से ही चर्चा थी कि झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में रवींद्र कुमार पांडेय बेरमो से भाजपा के प्रत्याशी बनाए जा सकते हैं. हालांकि बेरमो से भाजपा की टिकट के लिए दावेदारों की सूची काफी लंबी थी. कई नेता टिकट के लिए एड़ी -चोटी का जोर लगाए हुए थे, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने रवींद्र कुमार पांडेय को टिकट देकर सभी अटकलों पर विराम लगा दिया.
रवींद्र का राजनीतिक भविष्य दाव पर
यह विधानसभा चुनाव रवींद्र कुमार पांडे का राजनीतिक भविष्य तय करेगा. अगर वह विधायक का चुनाव निकालने में विफल रहते हैं, तो उनके राजनीतिक भविष्य का अंदाजा लगाया जा सकता है. राजनीति में बने रहने के लिए उनके लिए सीट निकालना बहुत जरूरी माना जा रहा है. हालांकि, रवींद्र कुमार पांडेय चार बार सांसद रहे हैं. इस कारण क्षेत्र में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. रवींद्र कुमार पांडेय की सबसे बड़ी खासियत यह रही है कि लोकसभा चुनाव में टिकट से वंचित होने के बावजूद उन्होंने जनता से संपर्क बनाए रखा और छोटे-छोटे आमंत्रण में भी लोगों के बीच मौजूद रहे.अब देखने वाली बात होगी कि यह चुनाव उनके लिए कैसा रहता है.
कांग्रेस प्रत्याशी अनूप सिंह के लिए चुनौती
बेरमो सीट पर बीजेपी से रवींद्र कुमार पांडेय के मैदान में उतरने से कांग्रेस प्रत्याशी जय मंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह के लिए चुनौती बढ़ सकती है. क्योंकि दोनों के चुनावी मैदान में मौजूदगी से बाहर से आकर बसे वोटरों के बीच वोटों का बंटवारा होना तय माना जा रहा है. चर्चा है कि अगर रवींद्र कुमार पांडेय मैदान में नहीं होते तो इसका फायदा जय मंगल सिंह को मिलता, लेकिन अब तय है कि ऐसी स्थिति नहीं होगी.
जयराम की इंट्री से त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना
उधर, झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के सुप्रीमो जयराम महतो ने डुमरी के साथ-साथ बेरमो विधानसभा सीट से भी चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है.चर्चा है कि जयराम की बेरमो में इंट्री से भाजपा और कांग्रेस दोनों प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. बीते लोकसभा चुनाव में जयराम महतो ने बेरमो विधानसभा क्षेत्र में लगभग 55000 वोट हासिल किए थे. उसके बाद से ही जेएलकेएम की नजर बेरमो सीट पर थी.
जयराम के डुमरी के बाद दूसरी सीट के लिए गोमिया और बेरमो की चर्चा चल रही थी. लेकिन अंततः बेरमो से चुनाव लड़ने की सहमति बनी है. यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि जयराम के यहां चुनावी मैदान में उतरने से स्थानीय वोटरों का रुझान उनकी तरफ हो सकता है. ऐसे में बेरमो सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है.
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