रांची: ईडी की कार्रवाई की वजह से होटवार जेल में बंद राज्य के संसदीय और ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर के सभी विभाग मुख्यमंत्री ने अपने पास ले लिए हैं. हालांकि आलमगीर आलम बिना पोर्टफोलियो मंत्री बने रहेंगे.
भाजपा ने उठाए सवाल
मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन द्वारा आलमगीर आलम के सभी विभाग वापस लेने पर सवाल उठाते हुए प्रदेश भाजपा के नेता शिवपूजन पाठक ने कहा कि अब जब आलमगीर आलम के पास कोई मंत्री पद नहीं है तो उनकी सैलरी और बाकी सुविधाओं का क्या होगा,यह मुख्यमंत्री को स्पष्ट करना चाहिए.
मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है मंत्री का विभाग वापस लेनाः झारखंड कांग्रेसः झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश महासचिव और मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा ने कहा कि किसी मंत्री का विभाग वापस लेना या उनके विभाग में फेरबदल करना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. उन्होंने कहा कि वैसे भी आदर्श आचार संहिता समाप्त होने पर आलमगीर आलम इस्तीफा देने ही वाले थे. उन्होंने कहा कि भाजपा को ज्यादा तंज कसने या प्रतिक्रिया देने का हक नहीं है, क्योंकि देश की जनता उन्हें सबक सीखा चुकी है.
जेल से आलमगीर आलम विभाग नहीं देख सकते थे इसलिए वापस लिया गया विभाग- झामुमोः झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव मनोज पांडेय ने आलमगीर आलम से विभाग वापस लेने पर कहा कि इसकी गलत व्याख्या करने की जरूरत नहीं है. अब समय बहुत कम बचा है और सरकार को तेजी से काम करना है, ऐसे में सोमवार से मुख्यमंत्री विभागों की समीक्षा शुरू करने वाले हैं. जेल से आलमगीर आलम विभाग नहीं देख सकते थे इसलिए उनका विभाग वापस लिया गया है. क्या अब आलमगीर आलम को इस्तीफा दे देना चाहिए? इस सवाल के जवाब में झामुमो नेता ने कहा कि इसका फैसला कांग्रेस को लेना है.
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