रांचीः महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराध की वैज्ञानिक जांच और आरोपियों को सजा दिलाने के लिए फोरेंसिक प्रोटोकॉल से हुनरमंद महिला पुलिसकर्मियों की टीम तैयार कर ली गई है.झारखंड के डीजीपी अजय कुमार सिंह ने एक सप्ताह के भीतर सभी थानों में ट्रेंड महिला पुलिसकर्मियों के तैनाती के निर्देश दिए हैं.
सीआईडी में हुई है ट्रेनिंग, एक सफ्ताह में होगी पोस्टिंग
झारखंड के डीजीपी अजय कुमार सिंह ने बताया लोकसभा चुनाव की वजह से ट्रेंड महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती थानों में नहीं हो पाई थी. अब एक सप्ताह के भीतर सभी महिला पुलिसकर्मियों की पोस्टिंग के निर्देश दिए गए हैं. झारखंड सीआईडी के द्वारा विशेष रूप से ट्रेंड की गई टीम को महिलाओं के साथ होने वाले सभी अपराधों में जांच की भूमिका निभानी होगी. टीम को फोरेंसिक प्रोटोकॉल में माहिर बनाया गया है, ताकि साक्ष्य के अभाव में कोई भी आरोपी सजा से बच न सके.
कई बार साक्ष्य के अभाव में बरी हो जाते थे आरोपी
अक्सर यह देखा जाता है कि महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध मामले में अदालत से कई बार आरोपी साक्ष्य के आभाव में बरी हो जाते हैं. इसकी पीछे सबसे बड़ी वजह होती है साइंटिफिक एविडेंस का न होना. यही वजह है कि झारखंड सीआईडी की मदद से झारखंड पुलिस में स्पेशल टीम बनाई गई है. खास बात यह है कि इस टीम में सभी महिला पुलिसकर्मी हैं. 150 की संख्या में महिला पुलिसकर्मियों का चयन किया गया. सभी को पहले अनुसंधान में दक्ष किया गया और अब उनकी पोस्टिंग राज्य के अलग-अलग जिलों में की जा रही है.
343 महिला पुलिसकर्मियों में हुआ 150 का चयन
यौन अपराध से जुड़े मामलों की जांच के लिए जो टीम बनाई गई है उसमें चयनित महिला पुलिस कर्मियों को कड़ी प्रतियोगिता से भी गुजरनी पड़ी है. दरअसल, 343 महिला पुलिस कर्मियों ने इस टीम का हिस्सा बनने को लेकर फार्म भरा था, लेकिन इन 343 महिला कर्मियों में से महज 150 का चयन टीम में हुआ है. महिला पुलिस कर्मियों को 04 तरह की ट्रेनिंग दी गई है. जिसमे कानून, मनोविज्ञान मेडिकल और फोरेंसिक की ट्रेनिंग शामिल है.
बड़ी जिम्मेवारी रहेगी महिला पुलिसकर्मियों पर
टीम का हिस्सा बनने वाली स्पेशल पुलिसकर्मियों के कंधों पर सेक्सुअल ऑफेंस से जुड़ी हुई साक्ष्यों का संकलन करना और जांच में सहयोग करने का भी जिम्मा दिया गया है. इनकी ट्रेनिंग भी विशेष है. ट्रेनिंग के लिए रिनपास के मनोवैज्ञानिकों के साथ-साथ मेडिकल के लिए सदर अस्पताल के डॉक्टरों को भी जोड़ा गया है.कानून के जानकारों और फोरेंसिक एक्सपर्ट ने इस टीम को विशेष रूप से ट्रेंड किया है. टीम का हिस्सा बननेवाली महिला पुलिसकर्मियों का बैकग्राउंड शिक्षा के लिहाज से काफी अच्छा है और उन्हें टेक्निकल जानकारियां भी हैं.
यौन अपराधों को सामने लाना बड़ी जिम्मेवारी
अक्सर यह देखा गया है कि दुष्कर्म या फिर यौन शोषण की शिकार नाबालिग या दूसरी महिला पुलिस के सामने खुलकर कुछ बात नहीं पाती हैं. जिसकी वजह से कई बार तो बलात्कार जैसे जघन्य कांड सामने भी नहीं आ पाते हैं. स्पेशल टीम में शामिल महिला पुलिसकर्मी ऐसे में यौन हिंसा की शिकार हुई नाबालिग और महिलाओं की काउंसलिंग भी करेंगी और उनसे हर पहलू पर बात करेंगी, ताकि हर तरह की सच्चाई सामने आ सके.
स्पेशल टीम को उपलब्ध कराई गई किट
स्पेशल टीम में शामिल महिला पुलिसकर्मियों को कई तरह की किट भी सीआईडी के द्वारा उपलब्ध करवायी गई है जो फोरेंसिक जांच में काम आएगी. किट के इस्तेमाल को लेकर भी विशेष ट्रेनिंग दी गई है.
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