रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा ने रविवार को रांची के प्रभात तारा मैदान में भाजपा की सहयोगी पार्टी आजसू द्वारा की गई झारखंड नवनिर्माण संकल्प सभा पर तंज कसा है. झामुमो के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि 2019 के विधानसभा चुनाव में गांव की सरकार बनाने के लिए निकली आजसू पार्टी, तब विधानसभा की सिर्फ दो सीटों पर सिमट गई थी.
झारखंड की राजनीति के परजीवी हैं सुदेश महतो
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि झारखंड की राजनीति में एक पॉलिटिकल पारासाइट यानी राजनीतिक परजीवी हैं, जो अपने सहयोगी के कंधे पर सवार होकर राजनीति करते हैं. 2019 में वो भाजपा से अलग होकर गांव की सरकार बनाने के लिए निकले थे, लेकिन राज्य की प्रबुद्ध जनता ने उन्हें दो सीट पर ही समेट दिया.सुप्रियो ने कहा कि राज्य की प्रबुद्ध जनता इनका हकीकत जान चुकी है और अब वह इनके झांसे में नहीं आनेवाली है.
आजसू पर लगाया युवाओं को भ्रमित करने का आरोप
सुप्रियो ने कहा कि एक बार फिर आजसू के नेता ने चंद हजार युवाओं को प्रभात तारा मैदान में बुलाकर उन्हें ठगने और दिग्भ्रमित करने की कोशिश की है. सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि कल के आजसू के कार्यक्रम के दौरान उनके नेता राज्य और देश के लिए विकास दर की बातें कर रहे थे और उसे रोजगार से जोड़ रहे थे. यह हास्यास्पद इसलिए है कि जो पार्टी खुद राज्य में अधिकतम पांच सीट पर चुनाव लड़ेगी और वह अगली सरकार का खाका तैयार करती नजर आई.
पीएम मोदी के दौरे पर कही ये बात
झामुमो नेता ने कहा कि अब 15 तारीख को प्रधानमंत्री भी झारखंड आ रहे हैं, उसके बाद कौन सा नेता बचाता है जिसे चुनाव प्रचार के लिए भविष्य में झारखंड बुलाया जाएगा. झामुमो नेता ने कहा कि पार्टी विथ डिफरेंट कहे जाने वाली भाजपा में आज मधु कोड़ा उनकी शोभा बढ़ा रहे हैं.
युवाओं के आइकॉन बन चुके हैं हेमंत सोरेन
भाजपा और आजसू के नेताओं को युवाओं द्वारा नकार दिए जाने की बात कहते हुए सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य का युवा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन केवल आदिवासी नहीं, बल्कि समग्र युवाओं का आइकॉन बन चुके हैं. वह युवाओं की आकांक्षाओं के प्रतीक हैं. युवाओं की जरूरत को समझते हैं, जानते हैं और उसे पूरा करने का माद्दा भी रखते हैं.
असम के सीएम हिमंता कर रहे हैं ढोंग
झामुमो नेता ने कहा कि मणिपुर को अशांत करने वाले असम के मुख्यमंत्री इन दिनों झारखंड आकर आदिवासियों का हितैषी बनने का ढोंग कर रहे हैं और राज्य को मणिपुर बनाने में लगे हुए हैं.लेकिन शायद उन्हें पता नहीं कि यह झारखंड की धरती है.
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