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बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, संथाल में विवाद का ये है असली कारण - Bangladesh infiltration

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 6, 2024, 5:45 PM IST

Report on Bangladesh infiltration. झारखंड जनाधिकार महासभा और लोकतंत्र बचाओ अभियान की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर बड़ी बात बताई गई है.

Report on Bangladesh infiltration
जांच टीम के सदस्य (ईटीवी भारत)

रांची: झारखंड में खासकर संथाल परगना के जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठ के मामले इन दिनों सुर्खियों में हैं. इससे जुड़े मामले की झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है और इस पर खूब राजनीति भी हो रही है. इन सबके बीच झारखंड के दो गैर सरकारी संगठनों झारखंड जनाधिकार महासभा और लोकतंत्र बचाओ अभियान ने बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण संथाल में आ रहे डेमोग्राफी चेंज और हाल में उस इलाके में हुई घटनाओं की सच्चाई जानने की कोशिश की.

बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा (ईटीवी भारत)

दोनों गैर सरकारी संगठनों का दावा है कि उनकी फैक्ट फाइंडिंग टीम के सदस्यों ने 22 और 23 अगस्त को संथाल के कई इलाकों का दौरा कर हकीकत जानने की कोशिश की और जो रिपोर्ट तैयार की गई है, उसे मीडिया के माध्यम से राज्य की जनता के सामने पेश किया जा रहा है.

बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण नहीं हुआ डेमोग्राफी चेंज

टीम ने पाकुड़ और साहिबगंज जिले के हाल के दिनों में हुई बड़ी घटनाओं वाले इलाकों जैसे गायबधान, गोपीनाथपुर, तारानगर इलामी, केकेएम कॉलेज आदि का दौरा कर छात्रों, पीड़ितों, आरोपियों, दोनों पक्षों के ग्रामीणों, ग्राम प्रधानों, सामाजिक कार्यकर्ताओं से विस्तृत चर्चा की. साथ ही मामलों में दर्ज प्राथमिकी और संबंधित दस्तावेजों के साथ-साथ वर्ष 1901 से अब तक की जनगणना के आंकड़ों, उससे संबंधित जनगणना रिपोर्ट, गजेटियर और क्षेत्र की डेमोग्राफी से संबंधित शोध पत्रों का अध्ययन करने के बाद पाया कि जमीनी हकीकत में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों के कारण इन इलाकों में कोई डेमोग्राफी चेंज नहीं हुआ है. इस इलाके में रहने वाले मुसलमान भारतीय और बांग्लादेशी मुसलमान हैं. इन इलाकों में मिले तथ्य भाजपा के सांप्रदायिकता फैलाने के दावों से कोसों दूर हैं.

रिपोर्ट में क्या है

जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गायबथान गांव में एक आदिवासी परिवार और मुस्लिम परिवार के बीच 30 वर्षों से जमीन का विवाद चल रहा था. इसी विवाद में दोनों पक्षों में मारपीट भी हुई थी, जबकि केकेएम कॉलेज के आदिवासी छात्र संघ के छात्रों ने 27 जुलाई को विरोध प्रदर्शन किया था, इससे एक रात पहले पुलिस ने कॉलेज के छात्रावास में छात्रों की पिटाई की थी.

तारानगर इलामी की घटना के बारे में टीम ने कहा कि विवाद तब शुरू हुआ जब एक मुस्लिम लड़के ने एक हिंदू लड़की की फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की. हिंदू परिवार ने कथित मुस्लिम लड़के और उसकी मां की पिटाई कर दी, जिसके बाद मुस्लिम महिला की मौत की अफवाह फैलने पर बड़ी संख्या में मुसलमानों ने हिंदू समूह के साथ तोड़फोड़ और मारपीट की. इसी तरह गोपीनाथपुर में बकरीद पर कुर्बानी के विवाद में बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के गांव के मुसलमानों और गोपीनाथपुर के हिंदुओं के बीच हिंसक झड़प हुई.

स्थानीय लोगों के कारण हुए सारे विवाद

रांची के प्रेस क्लब सभागार में संथाल परगना में बांग्लादेशी मुसलमानों की घुसपैठ पर तथ्यान्वेषण रिपोर्ट जारी करने के लिए बुलाई गई प्रेस वार्ता में झारखंड जनाधिकार महासभा और लोकतंत्र बचाओ अभियान के सदस्यों ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के नेता लगातार कह रहे हैं कि बांग्लादेशी मुसलमानों की घुसपैठ के कारण झारखंड के संथाल परगना की डेमोग्राफी बदल गई है और कई घटनाओं के लिए बांग्लादेशी घुसपैठिए मुसलमान ही जिम्मेदार हैं, लेकिन तथ्यान्वेषण टीम का मानना ​​है कि जहां भी घटनाएं हुई हैं, वहां विवाद हिंदुओं, आदिवासियों या स्थानीय मुसलमानों के बीच हुआ है.

सभी मुसलमान झारखंड के निवासी

रिपोर्ट में कहा गया है कि तारानगर में रहने वाले भाजपा के मंडल अध्यक्ष इलामी भी मानते हैं कि उनके इलाके में रहने वाले सभी मुसलमान यहीं के निवासी हैं और उनका बांग्लादेश से कोई लेना-देना नहीं है, जबकि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने इसे बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा की गई हिंसा का मामला बनाकर इस मुद्दे को उठाया था. झारखंड जन अधिकार महासभा और लोकतंत्र बचाओ अभियान के सदस्यों ने कहा कि तथ्यान्वेषी टीम ने पाया कि संथाल परगना क्षेत्र में गैर आदिवासी एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर आदिवासियों की जमीन पर गिफ्ट डीड बनाकर कब्जा कर रहे हैं, लेकिन यह काम सिर्फ मुसलमान ही नहीं बल्कि सभी वर्ग के लोग कर रहे हैं.

सरकार से कार्रवाई की मांग

झारखंड जन अधिकार महासभा और लोकतंत्र बचाओ अभियान ने तथ्यान्वेषण के बाद राज्य सरकार से मांग की है कि संथाल में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों के खिलाफ सरकार न्यायोचित कार्रवाई करे. दोषी पुलिसकर्मियों की पहचान कर कार्रवाई करे. संथाल परगना में एसपीटी एक्ट का सख्ती से पालन हो, साहिबगंज और पाकुड़ में बांग्लादेशी घुसपैठियों की सूचना देने के लिए लोगों के लिए फोन व्यवस्था को रद्द किया जाए और संथाल समेत पूरे राज्य में आदिवासियों की समस्याओं के समाधान के लिए सरकार कदम उठाए.

यह भी पढ़ें:

झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ! हाईकोर्ट में दायर चुनाव आयोग के हलफनामे में क्या है, साहिबगंज में शुरू हो चुकी है जांच - Bangladeshi infiltration in Santhal

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बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर जांच रिपोर्ट में बड़ा खुलासा (ईटीवी भारत)

दोनों गैर सरकारी संगठनों का दावा है कि उनकी फैक्ट फाइंडिंग टीम के सदस्यों ने 22 और 23 अगस्त को संथाल के कई इलाकों का दौरा कर हकीकत जानने की कोशिश की और जो रिपोर्ट तैयार की गई है, उसे मीडिया के माध्यम से राज्य की जनता के सामने पेश किया जा रहा है.

बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण नहीं हुआ डेमोग्राफी चेंज

टीम ने पाकुड़ और साहिबगंज जिले के हाल के दिनों में हुई बड़ी घटनाओं वाले इलाकों जैसे गायबधान, गोपीनाथपुर, तारानगर इलामी, केकेएम कॉलेज आदि का दौरा कर छात्रों, पीड़ितों, आरोपियों, दोनों पक्षों के ग्रामीणों, ग्राम प्रधानों, सामाजिक कार्यकर्ताओं से विस्तृत चर्चा की. साथ ही मामलों में दर्ज प्राथमिकी और संबंधित दस्तावेजों के साथ-साथ वर्ष 1901 से अब तक की जनगणना के आंकड़ों, उससे संबंधित जनगणना रिपोर्ट, गजेटियर और क्षेत्र की डेमोग्राफी से संबंधित शोध पत्रों का अध्ययन करने के बाद पाया कि जमीनी हकीकत में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों के कारण इन इलाकों में कोई डेमोग्राफी चेंज नहीं हुआ है. इस इलाके में रहने वाले मुसलमान भारतीय और बांग्लादेशी मुसलमान हैं. इन इलाकों में मिले तथ्य भाजपा के सांप्रदायिकता फैलाने के दावों से कोसों दूर हैं.

रिपोर्ट में क्या है

जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गायबथान गांव में एक आदिवासी परिवार और मुस्लिम परिवार के बीच 30 वर्षों से जमीन का विवाद चल रहा था. इसी विवाद में दोनों पक्षों में मारपीट भी हुई थी, जबकि केकेएम कॉलेज के आदिवासी छात्र संघ के छात्रों ने 27 जुलाई को विरोध प्रदर्शन किया था, इससे एक रात पहले पुलिस ने कॉलेज के छात्रावास में छात्रों की पिटाई की थी.

तारानगर इलामी की घटना के बारे में टीम ने कहा कि विवाद तब शुरू हुआ जब एक मुस्लिम लड़के ने एक हिंदू लड़की की फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की. हिंदू परिवार ने कथित मुस्लिम लड़के और उसकी मां की पिटाई कर दी, जिसके बाद मुस्लिम महिला की मौत की अफवाह फैलने पर बड़ी संख्या में मुसलमानों ने हिंदू समूह के साथ तोड़फोड़ और मारपीट की. इसी तरह गोपीनाथपुर में बकरीद पर कुर्बानी के विवाद में बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के गांव के मुसलमानों और गोपीनाथपुर के हिंदुओं के बीच हिंसक झड़प हुई.

स्थानीय लोगों के कारण हुए सारे विवाद

रांची के प्रेस क्लब सभागार में संथाल परगना में बांग्लादेशी मुसलमानों की घुसपैठ पर तथ्यान्वेषण रिपोर्ट जारी करने के लिए बुलाई गई प्रेस वार्ता में झारखंड जनाधिकार महासभा और लोकतंत्र बचाओ अभियान के सदस्यों ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के नेता लगातार कह रहे हैं कि बांग्लादेशी मुसलमानों की घुसपैठ के कारण झारखंड के संथाल परगना की डेमोग्राफी बदल गई है और कई घटनाओं के लिए बांग्लादेशी घुसपैठिए मुसलमान ही जिम्मेदार हैं, लेकिन तथ्यान्वेषण टीम का मानना ​​है कि जहां भी घटनाएं हुई हैं, वहां विवाद हिंदुओं, आदिवासियों या स्थानीय मुसलमानों के बीच हुआ है.

सभी मुसलमान झारखंड के निवासी

रिपोर्ट में कहा गया है कि तारानगर में रहने वाले भाजपा के मंडल अध्यक्ष इलामी भी मानते हैं कि उनके इलाके में रहने वाले सभी मुसलमान यहीं के निवासी हैं और उनका बांग्लादेश से कोई लेना-देना नहीं है, जबकि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने इसे बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा की गई हिंसा का मामला बनाकर इस मुद्दे को उठाया था. झारखंड जन अधिकार महासभा और लोकतंत्र बचाओ अभियान के सदस्यों ने कहा कि तथ्यान्वेषी टीम ने पाया कि संथाल परगना क्षेत्र में गैर आदिवासी एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर आदिवासियों की जमीन पर गिफ्ट डीड बनाकर कब्जा कर रहे हैं, लेकिन यह काम सिर्फ मुसलमान ही नहीं बल्कि सभी वर्ग के लोग कर रहे हैं.

सरकार से कार्रवाई की मांग

झारखंड जन अधिकार महासभा और लोकतंत्र बचाओ अभियान ने तथ्यान्वेषण के बाद राज्य सरकार से मांग की है कि संथाल में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों के खिलाफ सरकार न्यायोचित कार्रवाई करे. दोषी पुलिसकर्मियों की पहचान कर कार्रवाई करे. संथाल परगना में एसपीटी एक्ट का सख्ती से पालन हो, साहिबगंज और पाकुड़ में बांग्लादेशी घुसपैठियों की सूचना देने के लिए लोगों के लिए फोन व्यवस्था को रद्द किया जाए और संथाल समेत पूरे राज्य में आदिवासियों की समस्याओं के समाधान के लिए सरकार कदम उठाए.

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