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आक्रोश रैली के दिन चरमराई थी राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था, डीजीपी को जारी करना है एसओपी, हाईकोर्ट का निर्देश - Ranchi traffic system - RANCHI TRAFFIC SYSTEM

Jharkhand High Court. 23 अगस्त को आक्रोश रैली के दिन चरमराई रांची की ट्रैफिक व्यवस्था पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने डीजीपी को एसओपी जारी करने का निर्देश दिया है.

RANCHI TRAFFIC SYSTEM
झारखंड हाईकोर्ट (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 6, 2024, 5:12 PM IST

Updated : Sep 6, 2024, 5:21 PM IST

रांची: राजधानी में किसी तरह की रैली या धरना प्रदर्शन की वजह से आम या खास लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए. झारखंड हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने राज्य के डीजीपी को इस बाबत एसओपी जारी करने का निर्देश दिया है. दरअसल, 23 अगस्त को रांची के मोरहाबादी मैदान में युवा आक्रोश रैली के दिन राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था बेपटरी हो गई थी. हालत ऐसी थी कि कांके रोड पर सीएम आवास के पास हाईकोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी को भी घंटों में जाम में फंसना पड़ा था.

अधिवक्ता धीरज कुमार (ईटीवी भारत)
इसपर स्वत: संज्ञान लेते हुए जस्टिस एसके द्विवेदी की कोर्ट ने सूबे के डीजीपी, रांची के डीसी, एसएसपी और ट्रैफिक एसपी को सशरीर तलब किया था. तब कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा था कि कांके रोड में कोई प्रदर्शन नहीं हो रहा था. इसके बावजूद वहां 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात थे. ऐसा लगा जैसे सब कुछ साजिश के तहत हो रहा था. जब हाईकोर्ट का एक जज जाम में घंटों फंसा रह सकता है तो अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि आम लोगों की स्थिति क्या रही होगी. उन्होंने विस्तृत सुनवाई के लिए मामले को हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस के पास भेज दिया था. कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा था कि ऐसा लगता है कि सुरक्षा व्यवस्था सिर्फ मंत्रियों और राजनीतिज्ञों के लिए है. जब हाईकोर्ट के जज सुरक्षित नहीं हैं तो दूसरे कोर्ट के जज भी असुरक्षित होंगे. इसपर डीजीपी की ओर से कहा गया था कि दोबारा ऐसी घटना नहीं होगी. इसी मामले में सुनवाई करते हुए एक्टिंग चीफ जस्टिस की कोर्ट ने डीजीपी को एसओपी जारी कर शपथ पत्र के जरिए कोर्ट को अवगत कराने का निर्देश दिया है. आपको बता दें कि 23 अगस्त को मोरहाबादी में भाजपा युवा मोर्चा ने आक्रोश रैली बुलाई थी. उस दिन मोरहाबादी के चारों ओर कंटीले तार से फेंसिंग की गई थी. नेताओं के भाषण के दौरान पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच झड़प भी हुई थी. इसमें कई कार्यकर्ता और पुलिसकर्मी घायल हुए थे. इसकी वजह से रांची के ज्यादातर इलाकों की ट्रैफिक व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी. गाड़ियों को डायवर्ट करने की वजह से जगह-जगह जाम लग गया था.

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अधिवक्ता धीरज कुमार (ईटीवी भारत)
इसपर स्वत: संज्ञान लेते हुए जस्टिस एसके द्विवेदी की कोर्ट ने सूबे के डीजीपी, रांची के डीसी, एसएसपी और ट्रैफिक एसपी को सशरीर तलब किया था. तब कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा था कि कांके रोड में कोई प्रदर्शन नहीं हो रहा था. इसके बावजूद वहां 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात थे. ऐसा लगा जैसे सब कुछ साजिश के तहत हो रहा था. जब हाईकोर्ट का एक जज जाम में घंटों फंसा रह सकता है तो अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि आम लोगों की स्थिति क्या रही होगी. उन्होंने विस्तृत सुनवाई के लिए मामले को हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस के पास भेज दिया था. कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा था कि ऐसा लगता है कि सुरक्षा व्यवस्था सिर्फ मंत्रियों और राजनीतिज्ञों के लिए है. जब हाईकोर्ट के जज सुरक्षित नहीं हैं तो दूसरे कोर्ट के जज भी असुरक्षित होंगे. इसपर डीजीपी की ओर से कहा गया था कि दोबारा ऐसी घटना नहीं होगी. इसी मामले में सुनवाई करते हुए एक्टिंग चीफ जस्टिस की कोर्ट ने डीजीपी को एसओपी जारी कर शपथ पत्र के जरिए कोर्ट को अवगत कराने का निर्देश दिया है. आपको बता दें कि 23 अगस्त को मोरहाबादी में भाजपा युवा मोर्चा ने आक्रोश रैली बुलाई थी. उस दिन मोरहाबादी के चारों ओर कंटीले तार से फेंसिंग की गई थी. नेताओं के भाषण के दौरान पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच झड़प भी हुई थी. इसमें कई कार्यकर्ता और पुलिसकर्मी घायल हुए थे. इसकी वजह से रांची के ज्यादातर इलाकों की ट्रैफिक व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी. गाड़ियों को डायवर्ट करने की वजह से जगह-जगह जाम लग गया था.

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Last Updated : Sep 6, 2024, 5:21 PM IST
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