रांची: राजधानी में कांके स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, झारखंड को मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने के मामले में बार एसोसिएशन की ओर से दायर जनहित याचिका पर जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय और जस्टिस दीपक रोशन की अदालत में सुनवाई हुई. गृह विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल वर्चुअली उपस्थित हुई.
उन्होंने अदालत को बताया कि बाउंड्री वॉल बनाने का क्षेत्राधिकार गृह विभाग के पास नहीं है. इसलिए इससे संबंधित जवाब गृह विभाग नहीं दे सकता है इसपर हाईकोर्ट पूछा कि यह क्षेत्राधिकार किसके पास है. जवाब में उन्होंने कहा कि हायर एजुकेशन विभाग के पास हो सकता है. इस जवाब के बाद हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई से पहले संबंधित विभाग को अपना जवाब पेश करने को कहा है.
कोर्ट ने सेल और सीसीएल को भी अपना निर्णय अदालत को बताने का आदेश दिया है. दरअसल, विश्वविद्यालय की ओर से सेल और सीसीएल को बाउंड्री वॉल के लिए आवेदन दिया गया है. इसपर उन्हें निर्णय लेना है. मामले की अगली सुनवाई की 14 जून को होगी.
7 मई को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के सामने जो दूसरा भूखंड है, उसपर टीओपी निर्माण किया जा रहा है. उसके लिए बाउंड्री भी बन रही है. तब कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता से पूछा कि पूरे भूखंड पर बाउंड्री वॉल क्यों नहीं की जा रही है. स्पष्ट जवाब नहीं मिलने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए झारखंड सरकार के गृह सचिव को अदालत में हाजिर होने को कहा था. हालांकि उन्हें इस बात की छूट दी गई थी कि वह वर्चुअली भी कोर्ट की सुनवाई के समय उपस्थित हो सकती हैं.
हाईकोर्ट ने कहा कि यह झारखंड का यूनिवर्सिटी है. सामने की जमीन खुला रहने के कारण उसपर अतिक्रमण हो रहा है. उसे रोकने के लिए बाउंड्री करना जरुरी है. फिर भी सरकार की ओर से टाल-मटोल किया जा रहा है. यह सही नहीं है.
सेल की ओर से अदालत को बताया गया कि विश्वविद्यालय की ओर से बाउंड्री के लिए किसी तरह का कोई आवेदन नहीं दिया गया है. विश्वविद्यालय की ओर से जब कोई आवेदन आएगा तो वह सीएसआर के तहत अधिकारी से दिशा निर्देश लेकर अदालत को अवगत कराएंगे. सीसीएल की ओर से भी बताया गया कि उन्हें किसी तरह का आवेदन नहीं मिला है. विश्वविद्यालय की ओर से बताया गया कि सोलर पैनल काम नहीं कर रहा है. इसपर कोर्ट ने जरेडा को एक्शन लेने का आदेश दिया.
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