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Jharkhand Election 2024: देवघर विधानसभा में राजद को सहयोगी दलों से उम्मीद तो भाजपा को पीएम मोदी के विकास कार्यों पर भरोसा

देवघर विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी नारायण दास जीत की हैट्रिक के लिए आशान्वित हैं. वहीं राजद के संभावित प्रत्याशी सहयोगी दलों के भरोसे हैं.

Deoghar Assembly
देवघर विधानसभा सीट. (डिजाइन इमेज-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 22, 2024, 5:18 PM IST

देवघर:झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर देवघर में भी राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. देवघर विधानसभा सीट के लिए बीजेपी ने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. वर्तमान विधायक नारायण दास पर ही पार्टी ने दोबारा भरोसा जताते हुए टिकट दिया है. वहीं इंडिया गठबंधन में देवघर सीट किस पार्टी के खाते में जाएगी यह अभी तय नहीं हुआ है. लेकिन राजद से सुरेश पासवान इस सीट पर अपना दावा कर रहे हैं और मैदान में पसीना बहाना भी शुरू कर दिया है.

राजद को सहयोगी दलों से उम्मीद

दरअसल, इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग पर बात नहीं बनने के कारण राजद खेमे के नेता थोड़ा परेशान हैं. वहीं राजद देवघर सीट पर जीत के लिए अपने सहयोगी दलों के भरोसे है. विधानसभा चुनाव 2019 के समीकरण पर गौर करें तो देवघर विधानसभा सीट से राजद से सुरेश पासवान कैंडिडेट थे और उन्हें कांग्रेस और झामुमो का सहयोग मिला था. इस कारण वह मात्र 2624 वोटों से हारे थे.

2014 में अधिक अंतर से हारा था राजद

वहीं वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में उनकी हार का अंतर 46870 वोटों का था. इसका कारण यह था कि 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और झामुमो ने राजद का साथ नहीं दिया था. इसलिए राजद नेता यह सोचकर परेशान हैं कि यदि इस बार इंडिया गठबंधन का साथ नहीं मिला तो फिर वर्ष 2014 विधानसभा चुनाव वाला हाल हो सकता है.

राजद को उम्मीद है कि यदि इस बार के विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन का साथ मिलता है तो देवघर विधानसभा सीट पर इस वर्ष राजद अपना परचम लहरा सकता है और इंडिया गठबंधन की झोली में देवघर सीट को दे सकता है.

2019 में 2624 वोटों से हुई थी हार

बता दें कि वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन का साथ मिलने के कारण ही महज 2624 वोटों से राजद प्रत्याशी सुरेश पासवान की हार हुई थी. इसलिए राष्ट्रीय जनता दल के नेता सुरेश पासवान चाहते हैं कि राजद के साथ कांग्रेस और झामुमो का गठबंधन हो, ताकि वह देवघर के रण को आराम से जीत सकें.

देवघर के राजद जिला अध्यक्ष डॉ फनीभूषण यादव ने कहा कि गठबंधन में सीट की संख्या का पेंच अभी भी फंसा है, लेकिन देवघर और गोड्डा सीट राजद कोटे में जा चुकी है. देवघर से सुरेश पासवान प्रत्याशी होंगे यह भी तय हो चुका है. वहीं उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक 6 सीटों पर राजद के चुनाव लड़ने की सहमति बन चुकी है.

देवघर में चलेगा प्रधानमंत्री मोदी का सिक्काः सचिन

उधर, भाजपा के तरफ से चुनाव मैदान में पसीना बहा रहे प्रत्याशी नारायण दास को इस बार भी 2014 की पुनरावृत्ति होने की उम्मीद है. वहीं इस संबंध में भाजपा के जिला अध्यक्ष सचिन रवानी बताते हैं कि निश्चित रूप से चुनाव में समीकरण मायने रखता है, लेकिन इस बार देवघर में प्रधानमंत्री मोदी का सिक्का चलेगा, क्योंकि जिस तरह से देवघर जिले से बेहतर रेल सेवा और सड़क व्यवस्था को सुदृढ़ किया गया है इससे देवघर विधानसभा के लोग समझ चुके हैं कि देवघर का विकास सिर्फ बीजेपी ही कर सकती है.

एक तरफ राजद के संभावित प्रत्याशी अपने गठबंधन के भरोसे जीत की उम्मीद में हैं तो दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी नारायण दास को प्रधानमंत्री मोदी के विकास कार्यों पर भरोसा है. ऐसे में अब यह देखने वाली बात होगी कि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी नारायण दास बाजी मारते हैं या फिर इंडिया गठबंधन की तरफ से राजद के संभावित प्रत्याशी सुरेश पासवान देवघर के रण को जीतने में कामयाब होते हैं.

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देवघर:झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर देवघर में भी राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. देवघर विधानसभा सीट के लिए बीजेपी ने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. वर्तमान विधायक नारायण दास पर ही पार्टी ने दोबारा भरोसा जताते हुए टिकट दिया है. वहीं इंडिया गठबंधन में देवघर सीट किस पार्टी के खाते में जाएगी यह अभी तय नहीं हुआ है. लेकिन राजद से सुरेश पासवान इस सीट पर अपना दावा कर रहे हैं और मैदान में पसीना बहाना भी शुरू कर दिया है.

राजद को सहयोगी दलों से उम्मीद

दरअसल, इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग पर बात नहीं बनने के कारण राजद खेमे के नेता थोड़ा परेशान हैं. वहीं राजद देवघर सीट पर जीत के लिए अपने सहयोगी दलों के भरोसे है. विधानसभा चुनाव 2019 के समीकरण पर गौर करें तो देवघर विधानसभा सीट से राजद से सुरेश पासवान कैंडिडेट थे और उन्हें कांग्रेस और झामुमो का सहयोग मिला था. इस कारण वह मात्र 2624 वोटों से हारे थे.

2014 में अधिक अंतर से हारा था राजद

वहीं वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में उनकी हार का अंतर 46870 वोटों का था. इसका कारण यह था कि 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और झामुमो ने राजद का साथ नहीं दिया था. इसलिए राजद नेता यह सोचकर परेशान हैं कि यदि इस बार इंडिया गठबंधन का साथ नहीं मिला तो फिर वर्ष 2014 विधानसभा चुनाव वाला हाल हो सकता है.

राजद को उम्मीद है कि यदि इस बार के विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन का साथ मिलता है तो देवघर विधानसभा सीट पर इस वर्ष राजद अपना परचम लहरा सकता है और इंडिया गठबंधन की झोली में देवघर सीट को दे सकता है.

2019 में 2624 वोटों से हुई थी हार

बता दें कि वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन का साथ मिलने के कारण ही महज 2624 वोटों से राजद प्रत्याशी सुरेश पासवान की हार हुई थी. इसलिए राष्ट्रीय जनता दल के नेता सुरेश पासवान चाहते हैं कि राजद के साथ कांग्रेस और झामुमो का गठबंधन हो, ताकि वह देवघर के रण को आराम से जीत सकें.

देवघर के राजद जिला अध्यक्ष डॉ फनीभूषण यादव ने कहा कि गठबंधन में सीट की संख्या का पेंच अभी भी फंसा है, लेकिन देवघर और गोड्डा सीट राजद कोटे में जा चुकी है. देवघर से सुरेश पासवान प्रत्याशी होंगे यह भी तय हो चुका है. वहीं उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक 6 सीटों पर राजद के चुनाव लड़ने की सहमति बन चुकी है.

देवघर में चलेगा प्रधानमंत्री मोदी का सिक्काः सचिन

उधर, भाजपा के तरफ से चुनाव मैदान में पसीना बहा रहे प्रत्याशी नारायण दास को इस बार भी 2014 की पुनरावृत्ति होने की उम्मीद है. वहीं इस संबंध में भाजपा के जिला अध्यक्ष सचिन रवानी बताते हैं कि निश्चित रूप से चुनाव में समीकरण मायने रखता है, लेकिन इस बार देवघर में प्रधानमंत्री मोदी का सिक्का चलेगा, क्योंकि जिस तरह से देवघर जिले से बेहतर रेल सेवा और सड़क व्यवस्था को सुदृढ़ किया गया है इससे देवघर विधानसभा के लोग समझ चुके हैं कि देवघर का विकास सिर्फ बीजेपी ही कर सकती है.

एक तरफ राजद के संभावित प्रत्याशी अपने गठबंधन के भरोसे जीत की उम्मीद में हैं तो दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी नारायण दास को प्रधानमंत्री मोदी के विकास कार्यों पर भरोसा है. ऐसे में अब यह देखने वाली बात होगी कि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी नारायण दास बाजी मारते हैं या फिर इंडिया गठबंधन की तरफ से राजद के संभावित प्रत्याशी सुरेश पासवान देवघर के रण को जीतने में कामयाब होते हैं.

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