रांची: राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा और लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में जुटी कांग्रेस के भीतर गुटबाजी और अंदरूनी कलह भी सतह पर आने लगी है. कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की पहले ही मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के नेतृत्व पर सवाल उठा चुके हैं. अब पार्टी के पुराने नेता भी मुखर होने लगे हैं, जिन्हें लगता है कि पार्टी में कुछ खास लोगों पर प्रदेश नेतृत्व की विशेष कृपा हो रही है.
'नेताओं के साथ हो रहा भेदभाव': कांग्रेस में एनएसयूआई के महासचिव से लेकर पीसीसी में ऑब्जर्वर तक रह चुके प्रभात कुमार कहते हैं कि झारखंड कांग्रेस में काबिल नेताओं की अनदेखी हो रही है. खासकर अगर वे ओबीसी, एससी या एसटी समुदाय से हैं तो अधिक भेदभाव होता है. प्रभात कुमार का कहना है कि उदयपुर चिंतन शिविर में 'एक व्यक्ति, एक पद' को लेकर लिए गए फैसले को प्रदेश कांग्रेस में लागू नहीं किया जा रहा है.
एक व्यक्ति को मिले कई पद: प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर जहां खुद सरकार की समन्वय समिति के सदस्य बनकर मंत्री का दर्जा पा चुके हैं, वहीं पार्टी की अन्य समितियों के भी सदस्य हैं. जबकि अमूल्य नीरज खलखो- प्रदेश महासचिव, कार्यालय प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष पीए के पद पर हैं. राकेश सिन्हा- प्रदेश महासचिव, मीडिया प्रभारी, सदस्य धार्मिक न्यास बोर्ड, पहाड़ी मंदिर प्रबंधन समिति के सचिव हैं, ब्रजेश सिंह- प्रदेश उपाध्यक्ष, अनुशासन समिति के अध्यक्ष हैं. मदन मोहन शर्मा - पार्टी महासचिव और प्रोटोकॉल अधिकारी के पद पर हैं. कमल ठाकुर - प्रदेश सचिव और प्रदेश प्रवक्ता, रिंकू तिवारी - प्रदेश सचिव और प्रदेश प्रवक्ता के पद पर हैं.
'उदयपुर चिंतन शिविर के प्रस्ताव का हो रहा पालन': झारखंड प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के प्रभारी के साथ प्रदेश महासचिव और प्रदेश अध्यक्ष के पीए समेत कई पदों पर पदस्थापित अमूल्य नीरज खलखो कहते हैं कि कांग्रेस प्रदेश की बड़ी पार्टी और लोकतांत्रिक पार्टी है. यहां सभी को अपनी बात रखने की आजादी है, लेकिन आप देखेंगे कि प्रदेश कमेटी में कई नये चेहरों को भी जगह मिली है. एक नेता को कई पद मिलने की कांग्रेस नेताओं की शिकायत पर अमूल्य नीरज खलखो ने कहा कि ज्यादातर मामलों में उदयपुर चिंतन शिविर के प्रस्ताव का पालन किया गया है.
मंत्री के बेटे को महासचिव बनाने पर उठे सवाल: झारखंड कांग्रेस प्रदेश कमेटी को लेकर पहले भी विरोध के स्वर उठते रहे हैं. विक्षुब्ध नेताओं का कहना है कि जब उदयपुर चिंतन शिविर में यह निर्णय लिया गया कि एक ही परिवार के दो लोग पार्टी में महत्वपूर्ण पदों पर नहीं रहेंगे तो झारखंड कांग्रेस विधायक दल के नेता और सरकार के मंत्री आलमगीर आलम के बेटे को प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महासचिव का यह पद कैसे मिल गया?
नाराज कांग्रेस नेताओं का यह भी आरोप है कि राजस्थान के उदयपुर चिंतन शिविर में यह निर्णय लिया गया था कि एक बार संगठन में किसी महत्वपूर्ण पद पर काम करने के बाद 05 साल का कूलिंग पीरियड होगा लेकिन राज्य में इसका भी पालन नहीं किया गया. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या झारखंड में जिम्मेदारी संभालने वाले नेताओं की कमी है या फिर उन्हीं को पद दिया जा रहा है जिन पर पीसीसी मुखिया का आशीर्वाद है.
यह भी पढ़ें: झारखंड में हर सहयोगी दल चाहता है अधिक लोकसभा सीट, आखिर कैसे बनेगा सर्वमान्य फार्मूला!
यह भी पढ़ें: झारखंड कांग्रेस में भीतरखाने पक रही है खिचड़ी! कौन है रडार पर और किसकी खुल सकती है किस्मत