रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले क्या प्रदेश कांग्रेस संगठन में बदलाव होगा? यह सवाल आज पूरे दिन रांची प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में सुर्खियों में छाया रहा. प्रदेश कार्यालय में दिनभर यही चर्चा होती रही कि क्या कांग्रेस वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के नेतृत्व में ही विधानसभा चुनाव में उतरेगी या फिर किसी नए चेहरे को प्रदेश की कमान सौंपी जाएगी? पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ दिल्ली गए एक कांग्रेस नेता ने नाम नहीं सार्वजनिक करने के शर्त पर जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) के सी वेणुगोपाल ने राज्य के सभी नेताओं से इसी बिंदु पर राय ली कि क्या विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश संगठन या प्रदेश नेतृत्व में फेरबदल जरूरी है?
जाहिर है कि झारखंड से दिल्ली गए नेताओं में से कई ऐसे हैं जो लोकसभा चुनाव से पहले ही नेतृत्व परिवर्तन की आवाज बुलंद कर रहे थे. बाबूलाल मरांडी के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से कांग्रेस में भी किसी आदिवासी समुदाय से आनेवाले नेता को प्रदेश की कमान सौंपने की मांग होती रही है. वहीं, एक वर्ग ऐसा है जो राज्य में किसी ओबीसी नेता को कमान सौंपने की हिमायती है.
ऐसे में अगर रायशुमारी में ज्यादा नेताओं ने नेतृत्व परिवर्तन के पक्ष में भी अपनी बात रख दी तो आलाकमान के सामने यह दुविधा होगी कि राजेश ठाकुर का उत्तराधिकारी के रूप में किसका चयन करें.
आदिवासी नेताओं में इनके नाम है आगे
पार्टी के विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो अगर विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड में नेतृत्व परिवर्तन का फैसला आलाकमान की ओर से लिया जाता है तो नए प्रदेश अध्यक्ष बनने की रेस में सबसे आगे खूंटी में तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा को हराने वाले कालीचरण मुंडा का नाम हैं. इनके साथ-साथ लोहरदगा लोकसभा सीट से ऐतिहासिक जीत दर्ज करने वाले सुखदेव भगत का नाम भी नए प्रदेश अध्यक्ष की रेस में है.
आदिवासी चेहरे में एक और नाम बहुत चर्चा में है, पूर्व राज्य सभा सांसद प्रदीप बालमुचू का. प्रदीप बालमुचू के पास प्रदेश अध्यक्ष के रूप में लंबा अनुभव भी है. वहीं, अनुसूचित जनजाति वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष बनने की संभावित रेस में चौथा नाम पूर्व शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की का है. बंधु तिर्की कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में वह लगातार कांग्रेस को मजबूत करने में लगी रहती है. उनके चुनावी कौशल से ही उपचुनाव में बेटी शिल्पी नेता तिर्की भाजपा को परास्त कर विधायक बनीं.
अनुमान है कि आदिवासी समुदाय से प्रदेश अध्यक्ष के संभावित नाम में से एक नाम राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव का भी हो सकता है. 2019 में जब झारखंड विधानसभा चुनाव हुए थे तो झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पूर्व आईपीएस अधिकारी रामेश्वर ओरांव के हाथ में कांग्रेस की कमान थी. उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया और जेएमएम-राजद के साथ कांग्रेस सत्ता में लौटी थी.
ओबीसी से जलेश्वर महतो का नाम सबसे आगे
झारखंड कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि अगर ओबीसी के हाथों में प्रदेश का नेतृत्व सौंपने पर आलाकमान विचार करता है तो वर्तमान कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व जदयू के प्रदेश अध्यक्ष का अनुभव रखने वाले जलेश्वर महतो के नाम पर मुहर लग सकती है. इस रेस में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय का नाम भी शामिल है. फिलहाल राज्य में कांग्रेस संगठन में फेरबदल और नेतृत्व परिवर्तन के सिर्फ कयास लग रहे हैं. अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व को करना है.
इस बीच आलाकमान के बुलावे पर दिल्ली गए नेताओं ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की. दिल्ली जाने वाले नेताओं में प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष जलेश्वर महतो, बंधु तिर्की, शहजादा अनवर, विधायक प्रदीप यादव,नमन विक्सल कोंगारी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू,डॉ अजय कुमार, सांसद सुखदेव भगत, कालीचरण मुंडा सहित कई नेता शामिल है.
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