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साइबर क्राइम ब्रांच की बड़ी कार्रवाई, बड़े ठगी नेटवर्क का पर्दाफाश, पांच गिरफ्तार - Cyber fraud by Fake CBI officers

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 8, 2024, 9:32 AM IST

Updated : Jun 8, 2024, 9:39 AM IST

Cyber fraud by Fake CBI officers. रांची में साइबर क्राइम ब्रांच ने फर्जी सीबीआई अधिकारी बन लोगों से लाखों रुपए ठगी करने वाले पांच अपराधियों को गिरफ्तार किया है. सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच ने यह कार्रवाई की है.

Cyber fraud by Fake CBI officers
कॉन्सेप्ट इमेज (ईटीवी भारत)

रांची: सीआईडी ​​की साइबर क्राइम ब्रांच ने रांची और पश्चिम बंगाल में छापेमारी कर फर्जी सीबीआई अधिकारी बनकर लोगों से लाखों रुपये की ठगी करने वाले पांच साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार साइबर अपराधियों ने 28 लाख रुपये की ठगी की थी.

डरा धमकाकर ठग लिए 28 लाख रुपए

सीआईडी द्वारा जारी प्रेस रिलीज में बताया गया कि साइबर अपराधियों ने खुद को सीबीआई दिल्ली का सीनियर अधिकारी बताकर रांची निवासी मनीष प्रकाश को कॉल किया. इस दौरान साइबर अपराधियों ने मनीष कुमार से कहा कि उनके खिलाफ इलीगल एडवरटाइजिंग हरासमेंट का केस किया गया है, जो जांच में सत्य साबित हुआ है. अगर आप सीबीआई में आकर मामले का निपटारा नहीं करते हैं तो 90 दिनों के अंदर आपके पूरे परिवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाएगा.

फर्जी सीबीआई अधिकारियों ने मनीष प्रकाश से यह भी कहा कि अगर वह कुछ पैसे बैंक में निवेश कर दें तो आरोप लगाने वाले व्यक्ति को भी मैनेज किया जा सकता है. इस दौरान साइबर अपराधियों ने मनीष प्रकाश को ऐसे सबूत और फर्जी दस्तावेज दिखाए कि मनीष को पूरी तरह से यकीन हो गया कि वह किसी और की वजह से बड़े घोटाले में फंस गए हैं. धीरे-धीरे साइबर अपराधियों द्वारा बताए गए अलग-अलग खातों में 28 लाख रुपये जमा हो गए. कुछ दिनों के बाद जब पीड़ित को साइबर अपराधियों के बारे में पता चला तो उसने साइबर थाने में जाकर मामला दर्ज कराया.

विदेशी सर्वर का प्रयोग

मामला दर्ज होने के बाद जब सीआईडी ​​की साइबर क्राइम ब्रांच ने साइबर अपराधियों की तलाश शुरू की तो पता चला कि रांची और पश्चिम बंगाल से विभिन्न विदेशी सर्वर के जरिए ठगी की जा रही है. तकनीकी सूचना टीम के सहयोग से सीआईडी ​​की साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने रांची के विशाल शर्मा, आशीष कुमार, अंकित अग्रवाल, योगेश अग्रवाल और पश्चिम बंगाल के विशाल शर्मा को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार साइबर अपराधियों के पास से हांगकांग, इंडोनेशिया और अमेरिका की करेंसी भी बरामद की गई है.

योगेश अग्रवाल है सरगना

सीआईडी ​​की साइबर क्राइम ब्रांच के मुताबिक इस गिरोह का सरगना योगेश अग्रवाल है जो रांची के स्थानीय पते और लोगों की जानकारी टेलीग्राम के जरिए हांगकांग में बैठे अपने साथियों को मुहैया कराकर विदेशी सर्वर के जरिए ठगी करवाता था. मुख्य सरगना योगेश अग्रवाल रांची और गुड़गांव जैसे अलग-अलग शहरों में अलग-अलग नामों से फर्जी कंपनियां खोलकर लोगों से उनमें निवेश करवाता था.

यह भी पढ़ें: इंग्लैंड में रहने वाली महिला से 29.94 लाख की ठगी करने वाला साइबर अपराधी गिरफ्तार, झारखंड पुलिस ने दिल्ली से दबोचा - Cyber ​​criminal arrested

यह भी पढ़ें: साइबर ठगी का नया तरीका, डर के मारे लोग तुरंत पैसे कर देते हैं ट्रांसफर, जानिए क्या है बचने का तरीका - Cyber Crime

यह भी पढ़ें: 96 लाख की साइबर ठगी मामले में महिला साइबर क्रिमिनल सहित तीन गिरफ्तार, मुंबई-कोलकाता में भी हुई छापेमारी - Cyber ​​fraud in Jharkhand

रांची: सीआईडी ​​की साइबर क्राइम ब्रांच ने रांची और पश्चिम बंगाल में छापेमारी कर फर्जी सीबीआई अधिकारी बनकर लोगों से लाखों रुपये की ठगी करने वाले पांच साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार साइबर अपराधियों ने 28 लाख रुपये की ठगी की थी.

डरा धमकाकर ठग लिए 28 लाख रुपए

सीआईडी द्वारा जारी प्रेस रिलीज में बताया गया कि साइबर अपराधियों ने खुद को सीबीआई दिल्ली का सीनियर अधिकारी बताकर रांची निवासी मनीष प्रकाश को कॉल किया. इस दौरान साइबर अपराधियों ने मनीष कुमार से कहा कि उनके खिलाफ इलीगल एडवरटाइजिंग हरासमेंट का केस किया गया है, जो जांच में सत्य साबित हुआ है. अगर आप सीबीआई में आकर मामले का निपटारा नहीं करते हैं तो 90 दिनों के अंदर आपके पूरे परिवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाएगा.

फर्जी सीबीआई अधिकारियों ने मनीष प्रकाश से यह भी कहा कि अगर वह कुछ पैसे बैंक में निवेश कर दें तो आरोप लगाने वाले व्यक्ति को भी मैनेज किया जा सकता है. इस दौरान साइबर अपराधियों ने मनीष प्रकाश को ऐसे सबूत और फर्जी दस्तावेज दिखाए कि मनीष को पूरी तरह से यकीन हो गया कि वह किसी और की वजह से बड़े घोटाले में फंस गए हैं. धीरे-धीरे साइबर अपराधियों द्वारा बताए गए अलग-अलग खातों में 28 लाख रुपये जमा हो गए. कुछ दिनों के बाद जब पीड़ित को साइबर अपराधियों के बारे में पता चला तो उसने साइबर थाने में जाकर मामला दर्ज कराया.

विदेशी सर्वर का प्रयोग

मामला दर्ज होने के बाद जब सीआईडी ​​की साइबर क्राइम ब्रांच ने साइबर अपराधियों की तलाश शुरू की तो पता चला कि रांची और पश्चिम बंगाल से विभिन्न विदेशी सर्वर के जरिए ठगी की जा रही है. तकनीकी सूचना टीम के सहयोग से सीआईडी ​​की साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने रांची के विशाल शर्मा, आशीष कुमार, अंकित अग्रवाल, योगेश अग्रवाल और पश्चिम बंगाल के विशाल शर्मा को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार साइबर अपराधियों के पास से हांगकांग, इंडोनेशिया और अमेरिका की करेंसी भी बरामद की गई है.

योगेश अग्रवाल है सरगना

सीआईडी ​​की साइबर क्राइम ब्रांच के मुताबिक इस गिरोह का सरगना योगेश अग्रवाल है जो रांची के स्थानीय पते और लोगों की जानकारी टेलीग्राम के जरिए हांगकांग में बैठे अपने साथियों को मुहैया कराकर विदेशी सर्वर के जरिए ठगी करवाता था. मुख्य सरगना योगेश अग्रवाल रांची और गुड़गांव जैसे अलग-अलग शहरों में अलग-अलग नामों से फर्जी कंपनियां खोलकर लोगों से उनमें निवेश करवाता था.

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Last Updated : Jun 8, 2024, 9:39 AM IST
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