रांची: झारखंड में साल 2020 से सूचना आयोग वेंटिलेटर पर है. मुख्य सूचना आयुक्त समेत सभी सूचना आयुक्तों के पद रिक्त हैं. इसकी वजह से सूचना के संवैधानिक अधिकार से लोग वंचित हैं. आयोग में अपील याचिकाओं का ढेर लगा हुआ है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भाजपा पर विधायक दल का नेता चुनने का नैतिक दबाव बढ़ गया है. अब इसपर राजनीति भी शुरु हो गई है. इस हालात के लिए भाजपा ने झामुमो को जिम्मेदार ठहराया है तो झामुमो ने चुटकी ली है.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करेगी पार्टी- भाजपा
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा का कहना है कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में गलत तथ्य दिया है. पिछली सरकार में बाबूलाल मरांडी को भाजपा ने विधायक दल का नेता चुना था, लेकिन स्पीकर के ट्रिब्यूनल में नेता प्रतिपक्ष का मामला लंबित था. तब सरकार बहाने बना रही थी. फिर 15 अक्टूबर 2023 को अमर बाउरी को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया. वह करीब सवा साल तक नेता प्रतिपक्ष रहे. फिर भी राज्य सरकार टालमटोल करती रही. इसलिए साफ है कि राज्य सरकार झूठा दोषारोपण कर रही है. साथ ही भाजपा प्रवक्ता का यह भी कहना है कि पार्टी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करेगी. लेकिन राज्य सरकार को भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए.
नेता प्रतिपक्ष लायक सीपी सिंह और चंपाई जी हैं- झामुमो
मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों को भरने के बाबत सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की तारीफ करते हुए झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय ने भाजपा पर चुटकी ली है. उनका कहना है कि कई बार अपील की जा चुकी है कि भाजपा को जल्द से जल्द नेता प्रतिपक्ष का चुनाव कर लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि भाजपा में सीपी सिंह और चंपाई सोरेन जैसे बड़े नेता भी मौजूद हैं. साथ ही यह भी कहा कि अंदरुनी गतिरोध की वजह से भाजपा कोई फैसला नहीं ले पा रही है. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद इसको पूरा करने की बाध्यता होगी.
कौन बनेगा भाजपा विधायक दल का नेता
अब सवाल है कि भाजपा विधायक दल का नेता कौन होगा. फिलहाल भाजपा के पास बाबूलाल मरांडी, सीपी सिंह और चंपाई सोरेन जैसे तीन सीनियर विधायक मौजूद हैं. अभी प्रदेश अध्यक्ष की कमान बाबूलाल मरांडी के पास है. लेकिन यह भी सच है कि सरकार गठन हुए करीब डेढ माह गुजरने के बावजूद विधायक दल के नेता का चुनाव नहीं हो पाया है. इसकी वजह से षष्ठम विधानसभा का पहला विशेष सत्र बिना नेता प्रतिपक्ष के ही संपन्न हो गया. पार्टी सूत्रों के मुताबिक बाबूलाल मरांडी को भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने की पूरी संभावना है.
सूचना आयुक्त के लिए तीन बार मांगे जा चुके हैं आवेदन
कुल मिलाकर देखें तो पंचम झारखंड विधानसभा का पूरा कार्यकाल मुख्य सूचना आयुक्त के बगैर पूरा हो गया. वहीं सरकार के स्तर पर इन पदों को भरने की कवायद जरुरत चलती रही. पहली बार जनवरी 2020 में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों के लिए विज्ञापन निकाला गया था. आवेदन भी आये. लेकिन मामला लटका रहा. फिर 2022में दोबारा आवेदन मांगे गये. यह प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो पाई. तीसरी बार जुलाई 2024 में नये सिरे से आवेदन मांगे गये. यह कोशिश भी नतीजा तक नहीं पहुंच पाई.
क्या है सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश के अनुपालन के लिए शपथ पत्र दायर करने को कहा है. भाजपा के लिए विधायक दल का नेता चुनने के लिए दो सप्ताह का समय है. प्लस प्वाइंट यह भी है कि अगर पार्टी विधायक दल का नेता नहीं चुन पाती है तो वह सूचना आयोग चयन समिति के लिए किसी विधायक को नामित कर सकती है. खास बात है कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बीच 24 फरवरी से बजट सत्र शुरु होने जा रहा है. इसलिए भाजपा के सामने विधायक दल का नेता चुनने की बाध्यता होगी.
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