रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने में कुछ ही समय शेष रह गया है. ईटीवी भारत सबसे सटीक और सबसे तेज जानकारी उपलब्ध करवा रहा है. लेकिन नतीजों से पहले इस रिपोर्ट में जानिए झामुमो और बीजेपी ने किन मुद्दों पर चुनाव लड़ा और वे इसमें कितने कामयाब हो पाए.
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में ज्यादातर विशेषज्ञ मान रहे हैं कि दोनों गठबंधनों के बीच कांटे की टक्कर है. वोटों के प्रतिशत की थोड़ी सी भी स्विंग किसी भी दल का खेल बिगाड़ सकती है यानी सत्ता बना या बिगाड़ सकती है. लेकिन वे मुद्दे हैं कौन से जिसमें झारखंड विधानसभा चुनाव को इतना दिलचस्प बना दिया इस रिपोर्ट में जानिए.
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के घोषणा से पहले बीजेपी में वह आक्रामकता और कॉन्फिडेंस नजर नहीं आ रहा था. चुनाव की घोषणा के बाद बीजेपी ने जो रफ्तार पकड़ी उसका बड़ा श्रेय हिमंता बिस्वा सरमा को जाता है. हिमंता लगातार झारखंड में रहे. पार्टी और संगठन के सभी लोगों से बात करते रहे. पार्टी में जहां भी अंतर्विरोध दिखा उसे दूर करने की कोशिशें की. जो लोग टिकट नहीं मिलने से नाराज थे उन्हें मनाया, इसके अलावा अन्य वजहों से भी जो पार्टी से नाराज थे उनसे भी मुलाकात कर उनके गुस्से को शांत किया.
पीएम मोदी का दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों की नब्ज अच्छी तरह से जानते हैं. उन्होंने उन मुद्दों को उठाया जो लोगों को प्रभावित करे. झारखंड के अलावा पीएम मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर बिहार के जमुई में कार्यक्रम किया. इसमें उन्होंने ना सिर्फ बिरसा मुंडा को नतमस्तक होकर प्रणाम किया बल्कि कई लोक लुभावन घोषणाएं भी की. वहीं, इस कार्यक्रम के जरिए उन्होंने ये भी याद दिलाने का प्रयास किया कि जनजातीय गौरव दिवस की शुरुआत उन्होंने की. इसके अलावा उन्होंने आदिवासी समुदाय के लिए करीब 6600 करोड़ के पैकेज की भी घोषणा की . इस मौके पर पीएम मोदी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भी जिक्र करना नहीं भूले.
वह मुद्दे जिसे बीजेपी ने जोर शोर से उठाया
- बांग्लादेशी घुसपैठ और झारखंड में बिगड़ती डेमोग्राफी
- झारखंड में घुसपैठियों का आदिवासी लड़कियों से शादी करना
- झारखंड में बढ़ते धर्मांतरण का मुद्दा
- आदिवासी संस्कृति को खत्म करने का आरोप
- भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था पर भी सरकार को घेरा
- गोगो दीदी योजना के जरिए महिलाओं को लुभाया
वहीं, झामुमो और उसके सहयोगी दलों की बात करें तो वे बीजेपी पर शुरू से ही आक्रामक रहे. इंडिया गठबंधन में हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन ही मुख्य स्टार प्रचारक रहे. हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने सभाएं जरूर कीं लेकिन उन्होंने सभी विधानसभा क्षेत्रों को कवर नहीं किया. विशेषज्ञ मानते हैं कि कांग्रेस के इन दोनों नेताओं के दौरे का कोई बहुत बड़ा असर भी जमीन पर होता हुआ नहीं दिखा.
हेमंत और कल्पना ने मिलकर की 200 से ज्यादा सभाएं
झारखंड विधानसभा चुनाव में जिसकी चर्चा सबसे ज्यादा हुई वो हैं कल्पना सोरेन. उन्होनेे अकेले 100 से ज्यादा सभाएं कीं और लगभग हर विधानसभा क्षेत्र को कवर किया. अपनी सभाओं में उन्होंने खासकर महिलाओं पर फोकस किया. इस चुनाव में कल्पना सोरेन जिस तरह से उभर कर सामने आईं वे साफ बताता हैं कि परिणाम चाहे जो हो कल्पना सोरेन के रूप ने ना सिर्फ झामुमो को एक ऐसी महिला नेता मिल गईं हैं, जो अपनी बातों को जनता तक पहुंचाने में समर्थ हैं. इन्हें लोग देखना और सुनना पसंद करते हैं, इनकी बातों को लोगों पर प्रभाव भी पड़ता है.
कांग्रेस को कमजोर कड़ी मान रहे विशेषज्ञ
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में विशेषज्ञ कांग्रेस को इंडिया गठबंधन के लिए सबसे कमजोर कड़ी मान रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि कांग्रेस संगठन चुनाव में कहीं नजर नहीं आया, खास कर केंद्रीय नेतृत्व पूरी तरह से शिथिल रहा. खड़गे और राहुल गांधी को छोड़कर कांग्रेस का कोई भी बड़ा नेता झारखंड नहीं आया. यहां तक की प्रियंका गांधी ने भी झारखंड में एक भी सभा नहीं की, जबकि महिला मतदाताओं में उत्साह देखा जा रहा था. विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस प्रत्याशियों ने अपनी तरफ से तो पूरा जोर लगाया, लेकिन उन्हें अपने केंद्रीय संगठन का कोई बैकअप नहीं मिला.
मंईयां सम्मान और गोगो दीदी योजना से महिलाओं में उत्साह
हेमंत सोरेन सरकार ने मंईयां सम्मान योजना चुनाव से पहले ही लागू कर दी थी. इसके तहत महिलाओं के खाते में 1000 रुपए आए भी हैं. हेमंत सोरेन ने इसे दिसंबर से 2500 रुपए करने की घोषणा भी कर दी है. वहीं बीजेपी ने भी गोगो दीदी योजना की बात कही है. इसके तहत महिलाओं को 2100 रुपए देने का वादा किया गया है. माना जा रहा है कि इन्हीं दो योजनाओं की वजह से महिला वोटरों में उत्साह दिखा और 81 में 68 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक मतदान किया.
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