बोकारो: राज्य के सर्वाधिक मतदाता वाले बोकारो विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं कर सकी है. दिलचस्प बात यह है कि इसके बावजूद तीन-तीन नेताओं ने कांग्रेस के नाम पर पर्चा खरीद लिया है. इनमें से टिकट किसे मिलेगा, इस पर कुछ भी साफ नहीं है और न ही पार्टी नेतृत्व ने अभी तक ऐसा कोई संकेत दिया है.
2019 वाली गलती दोहरा रही है कांग्रेस
राजनीति के जानकारों का कहना है कि कांग्रेस एक बार फिर 2019 वाली गलती दोहराने जा रही है. वरिष्ठ पत्रकार दीपक सवाल के अनुसार 2019 के विधानसभा चुनाव में भी बोकारो में कांग्रेस ने यही गलती की थी. इस चुनाव में जिला परिषद के सदस्य रहे संजय कुमार सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया गया और उन्होंने अपनी तैयारी भी शुरू कर दी थी. उनका चुनाव प्रचार अभियान जोर भी पकड़ चुका था. उसके बाद ऐन वक्त पर या कहें नॉमिनेशन के अंतिम समय में पार्टी नेतृत्व ने बोकारो में अपना उम्मीदवार बदल दिया. बोकारो के तीन दफा विधायक रहे समरेश सिंह की बहू श्वेता सिंह को अपना उम्मीदवार बना दिया. श्वेता के पास लोगों तक पहुंचने के लिए और अपनी बात रखने के लिए समय कम था. ऐसा माना जाता है कि अगर कांग्रेस ने यहां उचित समय पर अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी होती तो श्वेता सिंह को हार का सामना नहीं करना पड़ता. हालांकि इसके बावजूद श्वेता ने यहां कड़ी टक्कर दी थी.
बोकारो में कांग्रेस प्रत्याशी पर क्या है स्थिति
2024 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की यही स्थिति बनी हुई है. अन्यथा ऐसी स्थिति क्यों है कि बोकारो जैसे विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा करने के लिए इतना समय लगाना पड़ रहा है. लोगों का मानना है कि नामांकन के अब महज एक-दो दिन शेष रह गए हैं. कांग्रेस को अब इसमें विलंब करना महंगा साबित पड़ सकता है. जिस किसी को भी उम्मीदवार बनाना हो, उसके नाम की घोषणा पार्टी नेतृत्व को कर देनी चाहिए. बता दें कि बोकारो में अब तक कांग्रेस के नाम पर श्वेता सिंह के अलावा जवाहरलाल महथा ने नामांकन प्रपत्र खरीदा है. इसके अलावा पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर समेत कुछ अन्य नेताओं का भी नाम चल रहा है. इससे यह समझा जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व पर प्रत्याशी को लेकर दबाव है और संभवत: यही कारण है कि पार्टी मजबूती के साथ कोई फैसला नहीं ले पा रही है.
भाजपा से तीसरी बार बिरंची नारायण मैदान में
दूसरी ओर भाजपा के पास बोकारो से दो बार विधायक रहे बिरंची नारायण जैसा मजबूत उम्मीदवार है. वरिष्ठ पत्रकार दीपक सवाल का मानना है कि कांग्रेस के पास बोकारो में भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ ठोस रणनीति का अभाव है. अगर पार्टी बोकारो सीट को लेकर बहुत गंभीर रहती तो उम्मीदवार को लेकर ऐसी स्थिति नहीं होती. कहीं ऐसा न हो कि कांग्रेस की यह गलती भाजपा के लिए एक बार फिर वरदान साबित हो जाए. क्योंकि, टिकट के इतने दावेदार हैं कि जिसे भी टिकट मिलेगा, उन्हें तो सबसे पहले बाकी दावेदारों और सहयोगी दलों को विश्वास में लेने में ही काफी समय गंवाना पड़ेगा. फिर उनके पास जनसंपर्क के लिए कितना समय बचेगा? कुल मिलाकर कांग्रेस के लिए बोकारो सीट की राह कठिन बनती दिख रही है.
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