रांची: रांची सीट राज्य का हॉट सीटों में से एक है. यह वही विधानसभा क्षेत्र है, जहां से बीजेपी के सीपी सिंह लगातार छह बार से चुनाव जीतते आए हैं. साल 1990 में भाजपा के टिकट पर गुलशन लाल अजमानी यहां के विधायक बने थे. इसके बाद 1995 में यशवंत सिन्हा विधायक चुने गए लेकिन यशवंत सिन्हा का बीच में ही विधायक पद से इस्तीफा देने के कारण यहां उपचुनाव हुआ, जिसमें सीपी सिंह भाजपा के टिकट पर पहली बार 1996 में यहां से विधायक चुने गए.
इसके बाद से वे लगातार इस सीट पर अपनी जीत कायम रखे हुए हैं. भाजपा ने एक बार फिर सीपी सिंह को विधानसभा चुनाव 2024 के मैदान में उतारा है. सीपी सिंह झारखंड की राजनीति के जानेमाने चेहरों में से एक हैं. संगठन और आरएसएस से अच्छे संबंध होने का लाभ उन्हें चुनाव में भी मिलता रहा है. लंबा राजनीतिक जीवन होने की वजह से सीपी सिंह ने कई खट्टे मीठे अनुभव भी प्राप्त किए हैं, जिसके आधार पर एक बार फिर वह चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी की है.
विधायक मद की एक-एक पैसा काम पर इस्तेमाल किया: सीपी सिंह
रांची विधायक सीपी सिंह दावा के साथ कहते हैं कि उन्होंने विधायक मद की एक-एक पैसा खर्च किया है. कुछ योजनाएं लंबित जरूर रह गई हैं लेकिन अधिकांश पूरी हो गई हैं. उन्होंने कहा कि साजिश की वजह से कुछ योजनाएं लंबित रही हैं, लेकिन वो भी पूरी हो जाएगी. गौरतलब है कि 30 जुलाई 2022 से पूर्व झारखंड में विधायक निधि चार करोड़ सालाना था, जिसे बढ़ाकर पांच करोड़ कर दिया गया है.
सीपी सिंह कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के आचार संहिता समाप्त होते ही सभी बची राशि के साथ-साथ डीडीसी के खाते में रखी राशि के ब्याज की राशि को भी हमने योजना मद में खर्च कर दिया है. जानकारी के मुताबिक बीते कार्यकाल में सीपी सिंह ने 150 से अधिक योजनाएं जमीन पर उतारी है. जबकि 68 लंबित है. इन योजनाओं में सर्वाधिक नाला, सड़क, पेयजल के लिए बोरिंग आदि शामिल है.
24 अक्टूबर को भरेंगे नामांकन पर्चा
बीजेपी प्रत्याशी के रूप में सीपी सिंह रांची विधानसभा क्षेत्र से सातवीं बार चुनाव मैदान में उतरने जा रहे हैं. बतौर बीजेपी प्रत्याशी 24 अक्टूबर को सीपी सिंह नामांकन दाखिल करेंगे. इस मौके पर भाजपा के कई बड़े नेता उपस्थित रहेंगे.
2019 में जेएमएम ने दी थी कड़ी टक्कर
2019 के विधानसभा चुनाव में जेएमएम और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिला था. सीपी सिंह को झामुमो प्रत्याशी महुआ माजी ने कड़ी टक्कर दी थी. इस चुनाव में महज 5904 वोटो के अंतर से सीपी सिंह चुनाव जीतने में सफल रहे थे. जबकि 2014 में भाजपा और झामुमो के बीच 58863 मतों का अंतर था.
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