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झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड: पीकू वॉर्ड में भर्ती बच्चों में संक्रमण का खतरा, डरे परिजनों का डेरा, वार्ड में टकटकी लगाए - JHANSI FIRE INCIDENT

Jhansi Fire Incident : झांसी मेडिकल कॉलेज में हुए अग्निकांड में 11 नवजात बच्चों की जलकर मौत हो चुकी है.

बच्चों से मिलने के लिए वॉर्ड 5 के बाहर बैठे परिजन.
बच्चों से मिलने के लिए वॉर्ड 5 के बाहर बैठे परिजन. (Photo Credit : ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 18, 2024, 7:49 AM IST

झांसी : झांसी के मेडिकल कॉलेज में हुए अग्निकांड के बाद पीकू वार्ड में घायल और अन्य नवजात बच्चों को शिफ्ट किया गया है. हादसे के बाद चिंतित परिजन और उनके रिश्तेदार अपने बच्चों की एक झलक देखने के लिए दिन रात वार्ड के बाहर नजरे लगाए हैं. डॉक्टर से बच्चों के पास जाने की जिद्द करते नजर आ रहे हैं. वहीं डॉक्टर बच्चों को इन्फेक्शन के डर से किसी को भी अंदर जाने नहीं दे रहे हैं.


वार्ड 5 में किया गया था शिफ्टः झांसी के मेडिकल कॉलेज के निक्कू वॉर्ड में हुए भयानक अग्निकाण्ड के बाद रेस्क्यू किए गए बच्चों को वॉर्ड 5 में शिफ्ट कर दिया गया है. घटना के बाद से भयभीत परिजन डाॅक्टरों से बार-बार मिलकर बच्चों की कुशलता देखना चाहते हैं. वहीं विभिन्न राजनीतिक दलों के लोग भी इन बच्चों को व उनको दी जाने वाली स्वास्थ्य एवं चिकित्सीय सेवाएं देखने की जिद कर रहे हैं. हालाँकि माता-पिता अथवा करीबी रिश्तेदारों के अलावा इन बच्चों से किसी को मिलने नहीं दिया जा रहा है. फिर भी हर समय वॉर्ड के बाहर परिजन बैठे रहते हैं.

चिकित्सकों का कहना है कि बार बार मिलने में बच्चों को इन्फेकशन का खतरा रहता है. नाजुक त्वचा और उनकी गम्भीर हालत को देखते हुए अभिभावकों एवं अन्य बाहरी लोगों को इनसे दूर रहना चाहिए. बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अरविन्द सोनी बताते हैं कि प्रत्येक ऐसे नवजात, जिसे पीकू या निक्कू वॉर्ड में शिफ्ट किया जाता है, वह बीमार होता है. उसे इन्फेक्शन का खतरा रहता है. इसलिए उनकी माताओं को भी उनसे बेहद जरूरी होने पर ही मिलने दिया जाता है. बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी को प्रयास करना चाहिए कि वह उनसे दूर रहें.

झांसी : झांसी के मेडिकल कॉलेज में हुए अग्निकांड के बाद पीकू वार्ड में घायल और अन्य नवजात बच्चों को शिफ्ट किया गया है. हादसे के बाद चिंतित परिजन और उनके रिश्तेदार अपने बच्चों की एक झलक देखने के लिए दिन रात वार्ड के बाहर नजरे लगाए हैं. डॉक्टर से बच्चों के पास जाने की जिद्द करते नजर आ रहे हैं. वहीं डॉक्टर बच्चों को इन्फेक्शन के डर से किसी को भी अंदर जाने नहीं दे रहे हैं.


वार्ड 5 में किया गया था शिफ्टः झांसी के मेडिकल कॉलेज के निक्कू वॉर्ड में हुए भयानक अग्निकाण्ड के बाद रेस्क्यू किए गए बच्चों को वॉर्ड 5 में शिफ्ट कर दिया गया है. घटना के बाद से भयभीत परिजन डाॅक्टरों से बार-बार मिलकर बच्चों की कुशलता देखना चाहते हैं. वहीं विभिन्न राजनीतिक दलों के लोग भी इन बच्चों को व उनको दी जाने वाली स्वास्थ्य एवं चिकित्सीय सेवाएं देखने की जिद कर रहे हैं. हालाँकि माता-पिता अथवा करीबी रिश्तेदारों के अलावा इन बच्चों से किसी को मिलने नहीं दिया जा रहा है. फिर भी हर समय वॉर्ड के बाहर परिजन बैठे रहते हैं.

चिकित्सकों का कहना है कि बार बार मिलने में बच्चों को इन्फेकशन का खतरा रहता है. नाजुक त्वचा और उनकी गम्भीर हालत को देखते हुए अभिभावकों एवं अन्य बाहरी लोगों को इनसे दूर रहना चाहिए. बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अरविन्द सोनी बताते हैं कि प्रत्येक ऐसे नवजात, जिसे पीकू या निक्कू वॉर्ड में शिफ्ट किया जाता है, वह बीमार होता है. उसे इन्फेक्शन का खतरा रहता है. इसलिए उनकी माताओं को भी उनसे बेहद जरूरी होने पर ही मिलने दिया जाता है. बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी को प्रयास करना चाहिए कि वह उनसे दूर रहें.

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