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इस सीट पर 35 सालों से रहा है भाजपा का कब्जा, 15 साल बाद उर्मिला भाया को जीत की उम्मीद - rajasthan Lok sabha election 2024

Jhalawar Baran constituency, झालावाड़-बारां लोकसभा सीट, जहां 35 साल से भाजपा का कब्जा रहा है, वहां अगले 5 सालों तक किसका राज होने वाला है ये आज तय हो जाएगा. एक तरफ भाजपा की तरफ से दुष्यंत सिंह हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस की ओर से हैं उर्मिला जैन भाया. जानिए इस सीट का बैकग्राउंड..

झालावाड़-बारां सीट
झालावाड़-बारां सीट (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 4, 2024, 5:21 AM IST

झालावाड़. प्रदेश में लोकसभा चुनाव के तहत 4 जून को सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू होगी. ऐसे में प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों पर दोपहर तक तस्वीर साफ हो जाएगी कि देश में आगामी सरकार किस पार्टी की बनने जा रही है. चुनाव आयोग ने सभी 25 लोकसभा क्षेत्रों में मतगणना को लेकर अपनी तैयारी पूरी कर ली है. मतगणना से पहले प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियों ने प्रदेश में बड़ी जीत दर्ज करने का दावा किया है. जहां बीजेपी प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीटों को जीतने का दावा कर रही है, वहीं कांग्रेस भजनलाल की पर्ची सरकार को फेल बताकर सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए बैठी है.

अब भाया आजमा रहीं किस्मत : बात करें प्रदेश की झालावाड़-बारां लोकसभा सीट की तो यहां बीते 35 साल से लगातार भाजपा का कब्जा रहा है. इस सीट पर प्रदेश की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया और दुष्यंत सिंह लगातार 9 बार चुनाव जीत चुके हैं, इसलिए इस लोकसभा क्षेत्र को 'महारानी' का गढ़ भी कहा जाता है. पिछले 35 सालों में विपक्षी पार्टी के कई लोकल और बाहरी उम्मीदवारों ने यहां आकर भाजपा को चुनौती देने की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने लगातार पांचवीं बार झालावाड़-बारां सीट पर दुष्यंत सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. वहींं, कांग्रेस से दूसरी बार उर्मिला जैन भाया अपनी किस्मत आजमा रही है.

पढ़ें. इस सीट पर 35 साल से एक ही परिवार का कब्जा, कांग्रेस का हर दांव हुआ फेल, इस बार भी दुष्यंत उतरे मैदान में

हर बार हुई स्ट्रेटजी फेल: झालावाड़ लोकसभा सीट का इतिहास देखें तो यहां शुरुआती 1952-57 में दो बार के लोकसभा चुनाव में नेमीचंद कासलीवाल सांसद बने. वहीं, साल 1984 में इस सीट पर कांग्रेस से जुझार सिंह चुनाव जीते. इसके बाद हुए सभी चुनाव में भाजपा यहां से जीतती आई है. इस सीट को जीतने के लिए विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने हर बार एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगाया, लेकिन उसे हर बार हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस ने इस सीट को जीतने के लिए हर बार अपनी स्ट्रेटजी बदली. पार्टी ने स्थानीय से लेकर बाहरी प्रत्याशी को मैदान में उतारा, लेकिन हर बार उनकी स्ट्रेटजी फेल होती नजर आई.

परिसीमन के बाद यह सीट झालावाड़-बारां हुई : साल 1999 में वसुंधरा राजे सिंधिया के सामने कांग्रेस ने बाहरी प्रत्याशी डॉ. अबरार अहमद को चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा. साल 2004 के चुनाव में भाजपा ने वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह के सामने संजय गुर्जर को चुनावी मैदान में उतारा, उन्हें भी हार मुंह देखना पड़ा. बीते 35 साल से झालावाड़ लोकसभा सीट से भाजपा ही जीतती आ रही है. साल 2009 में परिसीमन के बाद यह झालावाड़-बारां सीट हो गई.

पूर्व सीएम राजे 5 बार और दुष्यंत सिंह 4 बार से हैं सांसद : झालावाड़ लोकसभा सीट पर 1952 के बाद से 17 चुनाव हो चुके हैं, लेकिन यहां से 6 लोग ही सांसद बन पाए हैं. यहां से सबसे ज्यादा लगातार वसुंधरा राजे सिंधिया पांच बार सांसद चुनी गईं. इसके बाद उनके बेटे दुष्यंत सिंह यहां पर चार बार निर्वाचित हो चुके हैं. इससे पहले कोटा के पूर्व महाराव बृजराज सिंह यहां से तीन बार सांसद रह चुके हैं. वहीं, बारां जिले से चतुर्भुज नागर और नेमीचंद कासलीवाल दो बार यहां से सांसद रहे हैं. वहीं, कांग्रेस के जुझार सिंह भी यहां से एक बार सांसद रहे हैं.

2024 में भाजपा के दुष्यंत सिंह और कांग्रेस की उर्मिला जैन भाया आमने-सामने हैं
2024 में भाजपा के दुष्यंत सिंह और कांग्रेस की उर्मिला जैन भाया आमने-सामने हैं (ETV Bharat File Photo)

पढ़ें. 15 साल पहले उर्मिला-दुष्यंत के बीच मुकाबले में दोनों तरफ से प्रचार में उड़े थे हेलीकॉप्टर, इस बार लग्जरी गाड़ियां

बड़ी जीत दर्ज कर रिकॉर्ड बना चुके हैं दुष्यंत : इस लोकसभा सीट पर भाजपा की सबसे बड़ी जीत पूर्व सीएम के बेटे दुष्यंत सिंह के नाम दर्ज है. 2019 के लोकसभा चुनाव में दुष्यंत सिंह ने भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए प्रमोद शर्मा को 453928 वोटों से हराया था. प्रमोद शर्मा को 433472 वोट मिले थे, जबकि दुष्यंत सिंह को 887400 मत प्राप्त हुए थे. वहीं, 2014 में दुष्यंत सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया को 281546 वोटों से हराया था. वहीं, वसुंधरा राजे सिंधिया ने 1999 में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अबरार अहमद को 1 लाख 52 हजार 415 वोटों से हराया था. झालावाड़ लोकसभा सीट से चतुर्भुज नागर दो बार सांसद रह चुके हैं. साल 1980 में चतुर्भुज नागर ने कांग्रेस के प्रत्याशी बृजराज सिंह को महज 5605 मतों से मात दी थी. इसके बाद वसुंधरा राजे सिंधिया ने 1996 में कांग्रेस प्रत्याशी मानसिंह को हराकर 48884 वोटों से जीत दर्ज की थी, जबकि 2009 में दुष्यंत सिंह और उर्मिला जैन भाया के बीच भी बारां-झालावाड़ लोकसभा सीट पर कांटे का मुकाबला हुआ था, जिसमे दुष्यंत सिंह 52841 वोटों से जीते थे.

कांग्रेस को 15 साल बाद याद आईं उर्मिला भाया : साल 2024 के लोकसभा चुनाव में झालावाड़-बारां लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने 15 साल बाद एक बार फिर से राजस्थान सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री रह चुके प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन भाया को चुनावी मैदान में उतारा है. उर्मिला भाया इससे पहले 2009 में दुष्यत सिंह के सामने चुनाव लड़ चुकी हैं. पिछले 15 सालों में भाया ही कांग्रेस की ऐसी उम्मीदवार हैं, जिन्होंने दुष्यंत सिंह के सामने कड़ी चुनौती पेश की थी. वहीं, दुष्यंत सिंह लगातार पांचवीं बार चुनावी मैदान में हैं. अगर वह पांचवीं बार यहां से चुनाव जीतते हैं तो पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के 5 बार लगातार सांसद रहने के रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे.

झालावाड़. प्रदेश में लोकसभा चुनाव के तहत 4 जून को सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू होगी. ऐसे में प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों पर दोपहर तक तस्वीर साफ हो जाएगी कि देश में आगामी सरकार किस पार्टी की बनने जा रही है. चुनाव आयोग ने सभी 25 लोकसभा क्षेत्रों में मतगणना को लेकर अपनी तैयारी पूरी कर ली है. मतगणना से पहले प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियों ने प्रदेश में बड़ी जीत दर्ज करने का दावा किया है. जहां बीजेपी प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीटों को जीतने का दावा कर रही है, वहीं कांग्रेस भजनलाल की पर्ची सरकार को फेल बताकर सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए बैठी है.

अब भाया आजमा रहीं किस्मत : बात करें प्रदेश की झालावाड़-बारां लोकसभा सीट की तो यहां बीते 35 साल से लगातार भाजपा का कब्जा रहा है. इस सीट पर प्रदेश की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया और दुष्यंत सिंह लगातार 9 बार चुनाव जीत चुके हैं, इसलिए इस लोकसभा क्षेत्र को 'महारानी' का गढ़ भी कहा जाता है. पिछले 35 सालों में विपक्षी पार्टी के कई लोकल और बाहरी उम्मीदवारों ने यहां आकर भाजपा को चुनौती देने की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने लगातार पांचवीं बार झालावाड़-बारां सीट पर दुष्यंत सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. वहींं, कांग्रेस से दूसरी बार उर्मिला जैन भाया अपनी किस्मत आजमा रही है.

पढ़ें. इस सीट पर 35 साल से एक ही परिवार का कब्जा, कांग्रेस का हर दांव हुआ फेल, इस बार भी दुष्यंत उतरे मैदान में

हर बार हुई स्ट्रेटजी फेल: झालावाड़ लोकसभा सीट का इतिहास देखें तो यहां शुरुआती 1952-57 में दो बार के लोकसभा चुनाव में नेमीचंद कासलीवाल सांसद बने. वहीं, साल 1984 में इस सीट पर कांग्रेस से जुझार सिंह चुनाव जीते. इसके बाद हुए सभी चुनाव में भाजपा यहां से जीतती आई है. इस सीट को जीतने के लिए विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने हर बार एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगाया, लेकिन उसे हर बार हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस ने इस सीट को जीतने के लिए हर बार अपनी स्ट्रेटजी बदली. पार्टी ने स्थानीय से लेकर बाहरी प्रत्याशी को मैदान में उतारा, लेकिन हर बार उनकी स्ट्रेटजी फेल होती नजर आई.

परिसीमन के बाद यह सीट झालावाड़-बारां हुई : साल 1999 में वसुंधरा राजे सिंधिया के सामने कांग्रेस ने बाहरी प्रत्याशी डॉ. अबरार अहमद को चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा. साल 2004 के चुनाव में भाजपा ने वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह के सामने संजय गुर्जर को चुनावी मैदान में उतारा, उन्हें भी हार मुंह देखना पड़ा. बीते 35 साल से झालावाड़ लोकसभा सीट से भाजपा ही जीतती आ रही है. साल 2009 में परिसीमन के बाद यह झालावाड़-बारां सीट हो गई.

पूर्व सीएम राजे 5 बार और दुष्यंत सिंह 4 बार से हैं सांसद : झालावाड़ लोकसभा सीट पर 1952 के बाद से 17 चुनाव हो चुके हैं, लेकिन यहां से 6 लोग ही सांसद बन पाए हैं. यहां से सबसे ज्यादा लगातार वसुंधरा राजे सिंधिया पांच बार सांसद चुनी गईं. इसके बाद उनके बेटे दुष्यंत सिंह यहां पर चार बार निर्वाचित हो चुके हैं. इससे पहले कोटा के पूर्व महाराव बृजराज सिंह यहां से तीन बार सांसद रह चुके हैं. वहीं, बारां जिले से चतुर्भुज नागर और नेमीचंद कासलीवाल दो बार यहां से सांसद रहे हैं. वहीं, कांग्रेस के जुझार सिंह भी यहां से एक बार सांसद रहे हैं.

2024 में भाजपा के दुष्यंत सिंह और कांग्रेस की उर्मिला जैन भाया आमने-सामने हैं
2024 में भाजपा के दुष्यंत सिंह और कांग्रेस की उर्मिला जैन भाया आमने-सामने हैं (ETV Bharat File Photo)

पढ़ें. 15 साल पहले उर्मिला-दुष्यंत के बीच मुकाबले में दोनों तरफ से प्रचार में उड़े थे हेलीकॉप्टर, इस बार लग्जरी गाड़ियां

बड़ी जीत दर्ज कर रिकॉर्ड बना चुके हैं दुष्यंत : इस लोकसभा सीट पर भाजपा की सबसे बड़ी जीत पूर्व सीएम के बेटे दुष्यंत सिंह के नाम दर्ज है. 2019 के लोकसभा चुनाव में दुष्यंत सिंह ने भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए प्रमोद शर्मा को 453928 वोटों से हराया था. प्रमोद शर्मा को 433472 वोट मिले थे, जबकि दुष्यंत सिंह को 887400 मत प्राप्त हुए थे. वहीं, 2014 में दुष्यंत सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया को 281546 वोटों से हराया था. वहीं, वसुंधरा राजे सिंधिया ने 1999 में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अबरार अहमद को 1 लाख 52 हजार 415 वोटों से हराया था. झालावाड़ लोकसभा सीट से चतुर्भुज नागर दो बार सांसद रह चुके हैं. साल 1980 में चतुर्भुज नागर ने कांग्रेस के प्रत्याशी बृजराज सिंह को महज 5605 मतों से मात दी थी. इसके बाद वसुंधरा राजे सिंधिया ने 1996 में कांग्रेस प्रत्याशी मानसिंह को हराकर 48884 वोटों से जीत दर्ज की थी, जबकि 2009 में दुष्यंत सिंह और उर्मिला जैन भाया के बीच भी बारां-झालावाड़ लोकसभा सीट पर कांटे का मुकाबला हुआ था, जिसमे दुष्यंत सिंह 52841 वोटों से जीते थे.

कांग्रेस को 15 साल बाद याद आईं उर्मिला भाया : साल 2024 के लोकसभा चुनाव में झालावाड़-बारां लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने 15 साल बाद एक बार फिर से राजस्थान सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री रह चुके प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन भाया को चुनावी मैदान में उतारा है. उर्मिला भाया इससे पहले 2009 में दुष्यत सिंह के सामने चुनाव लड़ चुकी हैं. पिछले 15 सालों में भाया ही कांग्रेस की ऐसी उम्मीदवार हैं, जिन्होंने दुष्यंत सिंह के सामने कड़ी चुनौती पेश की थी. वहीं, दुष्यंत सिंह लगातार पांचवीं बार चुनावी मैदान में हैं. अगर वह पांचवीं बार यहां से चुनाव जीतते हैं तो पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के 5 बार लगातार सांसद रहने के रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे.

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