पटना: जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने बयान जारी कर कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने की दिशा में नीतीश सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं, जिसका सकारात्मक असर आज प्रदेश के सुदूर ग्रामीण इलाकों में नजर आता है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 तक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रतिमाह औसतन महज 39 मरीज आते थे. वहीं वर्तमान में यह आंकड़ा बढ़कर 11 हजार से अधिक हो चुका है.
'भगवान भरोसे थी लालू-राबड़ी शासनकाल में स्वास्थ्य व्यवस्था': उमेश कुशवाहा ने कहा कि लालू-राबड़ी के शासनकाल में बिहार की स्वास्थ्य-व्यवस्था भगवान भरोसे थी और प्राथमिक इलाज के लिए भी गरीबों को दर-दर भटकना पड़ता था. स्वास्थ्य व्यवस्था से संबंधित विषयों पर अनर्गल और अनावश्यक प्रलाप करने से पहले आरजेडी को अपना दौर जरूर याद करना चाहिए.
"लालू परिवार ने सरकारी अस्पतालों को लूट का अड्डा बना दिया था. बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को बीमार और बदहाल बनाने में कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ा, जबकि नीतीश कुमार के शासनकाल में राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में हर माह 11 हजार से अधिक मरीज आते हैं."- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जेडीयू
शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से भी कम: प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 2005 के मुकाबले शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर और नवजात मृत्यु दर में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है. वर्तमान में बिहार का शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से भी कम है और यह व्यापक सुधार नीतीश सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाता है.
जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष का दावा: उमेश कुशवाहा ने कहा कि 5540.07 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से पटना मेडिकल काॅलेज और अस्पताल का 5462 बिस्तरों वाला दुनिया के सबसे बड़े अस्पताल के रूप में विस्तारित किया जा रहा है. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से दरभंगा एम्स का भी शिलान्यास किया गया है. आने वाले वर्षों में ये दोनों अस्पताल बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था में मील का पत्थर साबित होगा.