करनाल: एकादशी व्रत का सनातन धर्म में काफी महत्वपूर्ण होता है. हिंदू वर्ष में 24 एकादशी पड़ती है. हर माह दो एकादशी पड़ती है. एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष की एकादशी. माघ महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का काफी महत्व होता है. इस एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन कई लोग निर्जल व्रत रखते हैं. साथ ही विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं.
जानिए कब है जया एकादशी: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि माघ महीने के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है. जया एकादशी की शुरुआत हिंदू पंचांग के अनुसार 7 फरवरी की रात 9:26 बजे से हो रही है, जबकि इसका समापन 8 फरवरी को रात के 8:15 पर हो रहा है. सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत और त्यौहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है, इसलिए जया एकादशी का व्रत 8 फरवरी के दिन रखा जाएगा. एकादशी के व्रत का पारण 9 फरवरी को सुबह 7:04 से शुरू होकर 9:17 मिनट तक रहेगा.
वास्तु दोष दूर करने के उपाय: अगर किसी इंसान के घर पर किसी प्रकार का वास्तु दोष चल रहा है, तो उसको दूर करने के लिए एकादशी का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. जया एकादशी के दिन जातक को तुलसी के पौधे की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. उसको जल देने के बाद उसके आगे देसी घी का दीपक भी जलाना चाहिए. माता तुलसी की विधिवत आरती भी करनी चाहिए. ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन यह करने से घर से वास्तु दोष दूर होता है. सकारात्मक ऊर्जा का संचार घर में होता है.
एकादशी के व्रत का महत्व: सनातन धर्म में एकादशी के व्रत को बहुत ही ज्यादा लाभ देने वाला व्रत माना जाता है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है. एकादशी के दिन कुछ जातक व्रत भी रखते हैं. जया एकादशी का व्रत करने से इंसान को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. ऐसा माना जाता है कि जो भी इंसान इस दिन दान करता है, उसको कई गुना फल प्राप्त होता है. साथ ही आर्थिक संकट दूर हो जाता है. भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा:
- जया एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.
- हो सके तो पवित्र नदी या फिर घर में पानी की बाल्टी में गंगाजल डालकर स्नान करें.
- इसके बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें.
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे देसी घी का दीपक जलाएं.
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें.
- इसके बाद पीले रंग के फल-फूल, वस्त्र, मिठाई अर्पित करें.
- उसके बाद एकादशी व्रत का संकल्प लें.
- ध्यान रहे कि एकादशी का व्रत निर्जला रखा जाता है.
- दिन में एकादशी की कथा पढ़े.
- शाम के समय पूजा के बाद ब्राह्मण, जरूरतमंद और गाय को भोजन दें.
- अगले दिन पारण के समय अपने व्रत का पारण कर लें.
- हो सके तो इस दिन आप दान दक्षिणा दे.
- इससे घर में सुख समृद्धि आती है.
- आर्थिक संकट भी दूर होता है.
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