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मनेंद्रगढ़ का जटाशंकर धाम, भगवान शिव की जटा से निकली जलधारा, बाघ आते हैं पानी पीने - MANENDRAGARH CHIRMIRI BHARATPUR

छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ जिले में स्थित जटाशंकर धाम धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से काफी प्रसिद्ध जगह है.

Jatashankar Dham of Manendragarh
मनेंद्रगढ़ का जटाशंकर धाम (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 30, 2024, 12:00 PM IST

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: मनेंद्रगढ़ से 30 किलोमीटर दूर जटाशंकर धाम भगवान शिव को समर्पित है. पहाड़ी के ऊपर स्थित यह स्थान अपने प्राकृतिक शिवलिंग, गुफाओं, झरनों और घने जंगलों के कारण श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने यहां अपनी जटाओं से बहती जलधारा उत्पन्न की थी, जिससे इस स्थान का नाम "जटा शंकर" पड़ा.

राजा रामानुज सिंह देव और जटाशंकर धाम की स्थापना: इस धाम का ऐतिहासिक महत्व कोरिया के राजा रामानुज सिंह देव से जुड़ा है. लोककथाओं के अनुसार, राजा भगवान शिव के अनन्य भक्त थे. एक बार उन्हें स्वप्न में भगवान शिव ने दर्शन दिए और इस स्थान पर एक अद्वितीय शिवलिंग होने का संकेत दिया. राजा ने इस स्वप्न को अपने गुरुओं के साथ साझा किया और उनके मार्गदर्शन में इस स्थान की खोज शुरू की.

मनेंद्रगढ़ का जटाशंकर धाम (ETV Bharat Chhattisgarh)

खोज के दौरान, घने जंगलों में एक प्राकृतिक शिवलिंग मिला. इसे देखकर राजा और उनके दरबारियों ने इसे भगवान शिव का दिव्य चमत्कार माना, उन्होंने यहां एक मंदिर का निर्माण करवाया और इस स्थान को "जटाशंकर धाम" के रूप में प्रसिद्धि दिलाई.

Jatashankar Dham of Manendragarh
भगवान शिव की जटाओं से निकली जलधारा (ETV Bharat Chhattisgarh)

भोलेनाथ यहां आते अपना कमंडल रख देते थे. उसमें अपने आप दूध भर जाता था, फिर उसे वह अपने साथ लेकर चले जाते थे. जब उनकी कृपा होती तो स्यानों को दर्शन देते. उनसे जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मैं जटाशंकर. अंदर शिव का जटा बंधी है, जिसमें से पानी की एक पतली धार निकलती रहती है. पौने दो साल से लोगों का यहां आना जाना शुरू हुआ. उससे पहले यहां कोई नहीं आ सकता था. ये काफी दुर्गम क्षेत्र है. पहले सिर्फ राजा साहब आते थे. जटाशंकर की जलधाना को पानी पीने बाघ पहुंचते हैं. बाघ के पैरों के निशान से इस बात का पता चलता है : शिवदास, पुजारी

प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिकता का संगम: जटाशंकर धाम प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है. घने जंगल, पहाड़ियां और बहती जलधाराएं इसे ध्यान, साधना और प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श बनाते हैं, यहां की गुफाएं, अपने आप में एक आश्चर्य हैं जो भक्तों को आध्यात्मिक शांति का अनुभव कराती हैं.

Jatashankar Dham of Manendragarh
श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक जटाशंकर धाम (ETV Bharat Chhattisgarh)

जटाशंकर धाम कैसे पहुंचें?: जटाशंकर धाम मनेंद्रगढ़ से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है. स्थानीय प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उचित व्यवस्था की है.

Jatashankar Dham of Manendragarh
जटाशंकर धाम ऐसे पहुंचे (ETV Bharat Chhattisgarh)

महाशिवरात्रि पर हर साल लगाता है मेला: महाशिवरात्रि के अवसर पर जटाशंकर धाम में विशेष पूजा अर्चना और भव्य मेले का आयोजन होता है. इस दौरान हजारों श्रद्धालु भगवान शिव का आशीर्वाद लेने यहां पहुंचते हैं. भक्त बेलपत्र, दूध और गंगाजल अर्पित कर भोले की भक्ति करते हैं. वहीं सावन के महीने में भी दूर दूर से श्रद्धालु जटाशंकर धाम के दर्शन करने पहुंचते हैं.

Jatashankar Dham of Manendragarh
मनेंद्रगढ़ का जटाशंकर धाम (ETV Bharat Chhattisgarh)

राजा रामानुज सिंह देव की विरासत: जटाशंकर धाम राजा रामानुज सिंह देव की धार्मिक निष्ठा और जनसेवा का प्रतीक है. उन्होंने इस धाम को न केवल एक धार्मिक स्थल के रूप में विकसित किया. बल्कि इसे सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी स्थापित किया. यह धाम आज भी उनकी समर्पण भावना और छत्तीसगढ़ की संस्कृति का सजीव उदाहरण है.

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मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: मनेंद्रगढ़ से 30 किलोमीटर दूर जटाशंकर धाम भगवान शिव को समर्पित है. पहाड़ी के ऊपर स्थित यह स्थान अपने प्राकृतिक शिवलिंग, गुफाओं, झरनों और घने जंगलों के कारण श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने यहां अपनी जटाओं से बहती जलधारा उत्पन्न की थी, जिससे इस स्थान का नाम "जटा शंकर" पड़ा.

राजा रामानुज सिंह देव और जटाशंकर धाम की स्थापना: इस धाम का ऐतिहासिक महत्व कोरिया के राजा रामानुज सिंह देव से जुड़ा है. लोककथाओं के अनुसार, राजा भगवान शिव के अनन्य भक्त थे. एक बार उन्हें स्वप्न में भगवान शिव ने दर्शन दिए और इस स्थान पर एक अद्वितीय शिवलिंग होने का संकेत दिया. राजा ने इस स्वप्न को अपने गुरुओं के साथ साझा किया और उनके मार्गदर्शन में इस स्थान की खोज शुरू की.

मनेंद्रगढ़ का जटाशंकर धाम (ETV Bharat Chhattisgarh)

खोज के दौरान, घने जंगलों में एक प्राकृतिक शिवलिंग मिला. इसे देखकर राजा और उनके दरबारियों ने इसे भगवान शिव का दिव्य चमत्कार माना, उन्होंने यहां एक मंदिर का निर्माण करवाया और इस स्थान को "जटाशंकर धाम" के रूप में प्रसिद्धि दिलाई.

Jatashankar Dham of Manendragarh
भगवान शिव की जटाओं से निकली जलधारा (ETV Bharat Chhattisgarh)

भोलेनाथ यहां आते अपना कमंडल रख देते थे. उसमें अपने आप दूध भर जाता था, फिर उसे वह अपने साथ लेकर चले जाते थे. जब उनकी कृपा होती तो स्यानों को दर्शन देते. उनसे जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मैं जटाशंकर. अंदर शिव का जटा बंधी है, जिसमें से पानी की एक पतली धार निकलती रहती है. पौने दो साल से लोगों का यहां आना जाना शुरू हुआ. उससे पहले यहां कोई नहीं आ सकता था. ये काफी दुर्गम क्षेत्र है. पहले सिर्फ राजा साहब आते थे. जटाशंकर की जलधाना को पानी पीने बाघ पहुंचते हैं. बाघ के पैरों के निशान से इस बात का पता चलता है : शिवदास, पुजारी

प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिकता का संगम: जटाशंकर धाम प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है. घने जंगल, पहाड़ियां और बहती जलधाराएं इसे ध्यान, साधना और प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श बनाते हैं, यहां की गुफाएं, अपने आप में एक आश्चर्य हैं जो भक्तों को आध्यात्मिक शांति का अनुभव कराती हैं.

Jatashankar Dham of Manendragarh
श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक जटाशंकर धाम (ETV Bharat Chhattisgarh)

जटाशंकर धाम कैसे पहुंचें?: जटाशंकर धाम मनेंद्रगढ़ से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है. स्थानीय प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उचित व्यवस्था की है.

Jatashankar Dham of Manendragarh
जटाशंकर धाम ऐसे पहुंचे (ETV Bharat Chhattisgarh)

महाशिवरात्रि पर हर साल लगाता है मेला: महाशिवरात्रि के अवसर पर जटाशंकर धाम में विशेष पूजा अर्चना और भव्य मेले का आयोजन होता है. इस दौरान हजारों श्रद्धालु भगवान शिव का आशीर्वाद लेने यहां पहुंचते हैं. भक्त बेलपत्र, दूध और गंगाजल अर्पित कर भोले की भक्ति करते हैं. वहीं सावन के महीने में भी दूर दूर से श्रद्धालु जटाशंकर धाम के दर्शन करने पहुंचते हैं.

Jatashankar Dham of Manendragarh
मनेंद्रगढ़ का जटाशंकर धाम (ETV Bharat Chhattisgarh)

राजा रामानुज सिंह देव की विरासत: जटाशंकर धाम राजा रामानुज सिंह देव की धार्मिक निष्ठा और जनसेवा का प्रतीक है. उन्होंने इस धाम को न केवल एक धार्मिक स्थल के रूप में विकसित किया. बल्कि इसे सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी स्थापित किया. यह धाम आज भी उनकी समर्पण भावना और छत्तीसगढ़ की संस्कृति का सजीव उदाहरण है.

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