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बनारस में जन्माष्टमी की धूम, मोरपंख लगाए कृष्ण रूप में नजर आए बाबा विश्वनाथ, अद्भुत दर्शन से निहाल हुए भक्त - Janmashtami 2024

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 27, 2024, 8:26 AM IST

Updated : Aug 27, 2024, 9:24 AM IST

रात के 12 बजे से ही पूरे देश में लड्डू गोपाल का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. मथुरा के साथ काशी विश्वनाथ धाम में कार्यक्रम हुए. काफी संख्या में भक्त इसके साक्षी बने. काशी के मंदिरों में आज दिनभर कार्यक्रमों का दौर चलेगा.

जन्माष्टमी पर अलग स्वरूप में नजर आए बाबा विश्वनाथ.
जन्माष्टमी पर अलग स्वरूप में नजर आए बाबा विश्वनाथ. (Photo Credit; ETV Bharat)
बनारस में दिखा जन्माष्टमी का उल्सास. (Video Credit; ETV Bharat)

वाराणसी : श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व काशी में भी धूमधाम के साथ मनाया गया. भोलेनाथ की नगरी और भोलेनाथ के धाम विश्वनाथ मंदिर में सोमवार की देर रात भक्तों की भारी भीड़ रही. रात में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ तो बधाइयां गूंजने लगीं. महाअभिषेक के बाद भगवान कृष्ण को पालने में बैठाकर झूला झुलाया गया. भव्य शोभायात्रा निकाली गई. भगवान सीधे श्री काशी विश्वनाथ के गर्भगृह में पहुंचे. मंगला आरती में महादेव और भगवान कृष्ण ने एक साथ भक्तों को दर्शन दिए. यह पहला मौका था जब विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में बाबा विश्वनाथ के साथ श्री कृष्ण के दर्शन का अद्भुत लाभ लोगों को मिला.

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व वाराणसी के शिक्षा विश्वनाथ मंदिर में मध्य रात्रि में धूमधाम के साथ मनाया गया. रात 12:00 बजते ही जय कन्हैया लाल की हाथी घोड़ा पालकी के स्वर के साथ भगवान कृष्ण का जन्म हुआ. मंदिर के पुजारियों ने श्रीकृष्ण जन्म के साथ ही इस उत्सव को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया. धाम में हरि की अद्भुत अद्वितीय अपूर्व छटा ने भक्तों का मन मोह लिया.

श्री विश्वेश्वर और लड्डू गोपाल ने एक साथ दिए दर्शन : सबसे बड़ी बात यह है कि भव्यता के साथ मनाई गई. श्री कृष्ण जन्माष्टमी के बाद भगवान श्री काशी विश्वनाथ की मंगला आरती में श्री विश्वेश्वर और लड्डू गोपाल ने भक्तों को साथ साथ दर्शन दिए. महादेव के सौम्य, सुंदर, कल्याणकारी श्री विश्वनाथ स्वरूप की मंगलकारी मंगला आरती आराधना में लड्डू गोपाल श्री विश्वेश्वर के साथ विराजे. यह संपूर्ण मनोहारी सनातन परंपरा को समृद्ध करने वाला क्षण श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा महादेव के लाइव स्ट्रीमिंग द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे थे.

कई साल से चली आ रही परंपरा : मंदिर के मुख्य कार्यपालिका अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने बताया कि जन्माष्टमी भव्यता के साथ मनाया गया. श्री कृष्ण जन्म का उत्सव हर किसी के लिए यादगार बन गया. पहली बार ऐसा मौका था कि भगवान श्री कृष्ण जन्म लेने के बाद सुबह होने वाली मंगला आरती में विश्वनाथ जी के साथ गर्भगृह में विराजे. पूजन पाठ का सिलसिला पूरी रात चला रहा और भक्तों ने भी भगवान कृष्ण के आगमन का उत्सव बड़े ही उल्लास के साथ मनाया. उन्होंने बताया कि हमारी परंपरा है और परंपरा का निर्वहन हम सनातन धर्म के लोग इसी तरह करते आ रहे हैं.

उन्होंने बताया कि जिस तरह से भगवान कृष्ण के जन्म के बाद साक्षात शिव उनके दर्शन के लिए पहुंचे थे, लेकिन उनकी माताजी ने शिव से कृष्ण की परछाई देखने के लिए कहा था ताकि भगवान शिव का विकराल रूप देखकर बच्चा डर ना जाए. उन्हीं परंपराओं का निर्वहन करते हुए हमने भी भगवान भोलेनाथ के मंदिर में श्री कृष्ण के जन्म उत्सव को मना कर भोलेनाथ को श्री कृष्ण के दर्शन करवाने का काम किया. यह अद्भुत और अलौकिक पल था जिसका साक्षी मंदिर में मौजूद हर व्यक्ति बना.

इस उत्सव से पहले भगवान श्रीकृष्ण के अद्भुत स्वरूप को मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अपनी गोद में लेकर मंदिर परिसर में पहुंचे थे. डमरूओं की निनाद के साथ भगवान कृष्ण का भव्य स्वागत किया गया था. मंदिर के पूर्व महंत पंडित कुलपति तिवारी के आवास पर भी भव्य श्रृंगार किया गया था. बाबा विश्वनाथ की चल रजत प्रतिमा का श्रृंगार करके परंपरा का निर्वहन किया गया.

बनारस में जन्माष्टमी कार्यक्रम की धूम. (Video Credit; ETV Bharat)

कलाकारों ने प्रस्तुत किए नृत्य : प्रभु श्रीकृष्ण की झांकियों के साथ वृंदावन-मथुरा के कलाकारों ने खूबसूरत नृत्य प्रस्तुत किए. वहीं भगवान श्री काशी विश्वनाथ भोग आरती के बाद मोरपंखी लगाए कृष्ण के वेश में नजर आए. बाबा विश्वनाथ का यह अद्भुत स्वरूप देखते ही बन रहा था. मोरपंखी से बाबा विश्वनाथ का पूरा गर्भगृह और मूल ज्योतिर्लिंग को सजाया गया.

Janmashtami 2024
कलाकारों ने दी प्रस्तुति. (Photo Credit; ETV Bharat)

सांस्कृतिक संध्या में जुटे भक्त : काशी में कृष्ण जन्मोत्सव का आनंद देखते ही बन रहा है. हर तरफ श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी लीलाओं और प्रभु श्री कृष्णा के अद्भुत दर्शन का स्वरूप हर तरफ देखने को मिल रहा है. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का रंग शाम से ही दिखने लगा. भक्तों की भारी भीड़ के बीच श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दौरान सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया.

Janmashtami 2024
राधा-कृष्ण के स्वरूपों के नृत्य ने खींचा ध्यान. (Photo Credit; ETV Bharat)

मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने बताया कि भक्तों को भगवान शिव और कान्हा एक साथ अद्भुत दर्शन दे रहे हैं. मध्य रात्रि में भगवान विश्वनाथ के आंगन में कान्हा ने जन्म लिया. इस दौरान जन्मोत्सव का उल्लास चरम पर रहा. गीत संगीत के साथ बधाइयां भी बजीं. हर कोई कृष्ण जन्म के उत्सव के रंग में पूरी तरह से डूबा नजर आएगा.

इस्कॉन मंदिर में भी कार्यक्रम : वहीं इस्कॉन मंदिर में भी भगवान कृष्ण के जन्म उत्सव का रंग जबरदस्त तरीके से दिखाई दे रहा है. पूरा दिन भक्तों की जबरदस्त भीड़ प्रभु की एक झांकी के लिए उतावली दिखाई दी. अन्य मंदिरों थानों और जेल में भी भव्य उत्सव का आयोजन किया गया. आज भी काशी में विभिन्न मंदिरों में दिनभर कार्यक्रम चलता रहेगा.

यह भी पढ़ें : रात के 12 बजते ही मथुरा में प्रकट हुए कान्हा, 1008 कमल पुष्प अर्पित, 5 कुंतल पंचामृत से अभिषेक, हजारों मंदिरों में गूंजा 'नंद घर आनंद भयो'

बनारस में दिखा जन्माष्टमी का उल्सास. (Video Credit; ETV Bharat)

वाराणसी : श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व काशी में भी धूमधाम के साथ मनाया गया. भोलेनाथ की नगरी और भोलेनाथ के धाम विश्वनाथ मंदिर में सोमवार की देर रात भक्तों की भारी भीड़ रही. रात में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ तो बधाइयां गूंजने लगीं. महाअभिषेक के बाद भगवान कृष्ण को पालने में बैठाकर झूला झुलाया गया. भव्य शोभायात्रा निकाली गई. भगवान सीधे श्री काशी विश्वनाथ के गर्भगृह में पहुंचे. मंगला आरती में महादेव और भगवान कृष्ण ने एक साथ भक्तों को दर्शन दिए. यह पहला मौका था जब विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में बाबा विश्वनाथ के साथ श्री कृष्ण के दर्शन का अद्भुत लाभ लोगों को मिला.

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व वाराणसी के शिक्षा विश्वनाथ मंदिर में मध्य रात्रि में धूमधाम के साथ मनाया गया. रात 12:00 बजते ही जय कन्हैया लाल की हाथी घोड़ा पालकी के स्वर के साथ भगवान कृष्ण का जन्म हुआ. मंदिर के पुजारियों ने श्रीकृष्ण जन्म के साथ ही इस उत्सव को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया. धाम में हरि की अद्भुत अद्वितीय अपूर्व छटा ने भक्तों का मन मोह लिया.

श्री विश्वेश्वर और लड्डू गोपाल ने एक साथ दिए दर्शन : सबसे बड़ी बात यह है कि भव्यता के साथ मनाई गई. श्री कृष्ण जन्माष्टमी के बाद भगवान श्री काशी विश्वनाथ की मंगला आरती में श्री विश्वेश्वर और लड्डू गोपाल ने भक्तों को साथ साथ दर्शन दिए. महादेव के सौम्य, सुंदर, कल्याणकारी श्री विश्वनाथ स्वरूप की मंगलकारी मंगला आरती आराधना में लड्डू गोपाल श्री विश्वेश्वर के साथ विराजे. यह संपूर्ण मनोहारी सनातन परंपरा को समृद्ध करने वाला क्षण श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा महादेव के लाइव स्ट्रीमिंग द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे थे.

कई साल से चली आ रही परंपरा : मंदिर के मुख्य कार्यपालिका अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने बताया कि जन्माष्टमी भव्यता के साथ मनाया गया. श्री कृष्ण जन्म का उत्सव हर किसी के लिए यादगार बन गया. पहली बार ऐसा मौका था कि भगवान श्री कृष्ण जन्म लेने के बाद सुबह होने वाली मंगला आरती में विश्वनाथ जी के साथ गर्भगृह में विराजे. पूजन पाठ का सिलसिला पूरी रात चला रहा और भक्तों ने भी भगवान कृष्ण के आगमन का उत्सव बड़े ही उल्लास के साथ मनाया. उन्होंने बताया कि हमारी परंपरा है और परंपरा का निर्वहन हम सनातन धर्म के लोग इसी तरह करते आ रहे हैं.

उन्होंने बताया कि जिस तरह से भगवान कृष्ण के जन्म के बाद साक्षात शिव उनके दर्शन के लिए पहुंचे थे, लेकिन उनकी माताजी ने शिव से कृष्ण की परछाई देखने के लिए कहा था ताकि भगवान शिव का विकराल रूप देखकर बच्चा डर ना जाए. उन्हीं परंपराओं का निर्वहन करते हुए हमने भी भगवान भोलेनाथ के मंदिर में श्री कृष्ण के जन्म उत्सव को मना कर भोलेनाथ को श्री कृष्ण के दर्शन करवाने का काम किया. यह अद्भुत और अलौकिक पल था जिसका साक्षी मंदिर में मौजूद हर व्यक्ति बना.

इस उत्सव से पहले भगवान श्रीकृष्ण के अद्भुत स्वरूप को मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अपनी गोद में लेकर मंदिर परिसर में पहुंचे थे. डमरूओं की निनाद के साथ भगवान कृष्ण का भव्य स्वागत किया गया था. मंदिर के पूर्व महंत पंडित कुलपति तिवारी के आवास पर भी भव्य श्रृंगार किया गया था. बाबा विश्वनाथ की चल रजत प्रतिमा का श्रृंगार करके परंपरा का निर्वहन किया गया.

बनारस में जन्माष्टमी कार्यक्रम की धूम. (Video Credit; ETV Bharat)

कलाकारों ने प्रस्तुत किए नृत्य : प्रभु श्रीकृष्ण की झांकियों के साथ वृंदावन-मथुरा के कलाकारों ने खूबसूरत नृत्य प्रस्तुत किए. वहीं भगवान श्री काशी विश्वनाथ भोग आरती के बाद मोरपंखी लगाए कृष्ण के वेश में नजर आए. बाबा विश्वनाथ का यह अद्भुत स्वरूप देखते ही बन रहा था. मोरपंखी से बाबा विश्वनाथ का पूरा गर्भगृह और मूल ज्योतिर्लिंग को सजाया गया.

Janmashtami 2024
कलाकारों ने दी प्रस्तुति. (Photo Credit; ETV Bharat)

सांस्कृतिक संध्या में जुटे भक्त : काशी में कृष्ण जन्मोत्सव का आनंद देखते ही बन रहा है. हर तरफ श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी लीलाओं और प्रभु श्री कृष्णा के अद्भुत दर्शन का स्वरूप हर तरफ देखने को मिल रहा है. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का रंग शाम से ही दिखने लगा. भक्तों की भारी भीड़ के बीच श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दौरान सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया.

Janmashtami 2024
राधा-कृष्ण के स्वरूपों के नृत्य ने खींचा ध्यान. (Photo Credit; ETV Bharat)

मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने बताया कि भक्तों को भगवान शिव और कान्हा एक साथ अद्भुत दर्शन दे रहे हैं. मध्य रात्रि में भगवान विश्वनाथ के आंगन में कान्हा ने जन्म लिया. इस दौरान जन्मोत्सव का उल्लास चरम पर रहा. गीत संगीत के साथ बधाइयां भी बजीं. हर कोई कृष्ण जन्म के उत्सव के रंग में पूरी तरह से डूबा नजर आएगा.

इस्कॉन मंदिर में भी कार्यक्रम : वहीं इस्कॉन मंदिर में भी भगवान कृष्ण के जन्म उत्सव का रंग जबरदस्त तरीके से दिखाई दे रहा है. पूरा दिन भक्तों की जबरदस्त भीड़ प्रभु की एक झांकी के लिए उतावली दिखाई दी. अन्य मंदिरों थानों और जेल में भी भव्य उत्सव का आयोजन किया गया. आज भी काशी में विभिन्न मंदिरों में दिनभर कार्यक्रम चलता रहेगा.

यह भी पढ़ें : रात के 12 बजते ही मथुरा में प्रकट हुए कान्हा, 1008 कमल पुष्प अर्पित, 5 कुंतल पंचामृत से अभिषेक, हजारों मंदिरों में गूंजा 'नंद घर आनंद भयो'

Last Updated : Aug 27, 2024, 9:24 AM IST
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