पटना : जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर की जमीन सर्वे पर की गयी भविष्यवाणी सच होती दिखाई दे रही हैं. जमीन सर्वे को लेकर बिहार के लोगों में व्यापक तौर पर गुस्सा दिखाई दे रहा है. इसी ज़मीनी हकीकत को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बिहार सरकार जल्द ही जमीनों के सर्वे को टाल सकती है. मीडिया में इसको लेकर चर्चा चल रही है.
सर्वे के दौरान बिहार में बढ़ेगा विवाद : प्रशांत किशोर ने शुरुआत से ही बिहार सरकार द्वारा शुरू किये गए ज़मीन सर्वे के तरीके पर सवाल उठाया है. उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि जिस तरह से इसको लागू किया जा रहा है उससे अगले 6 महीने में हर घर, हर गांव-पंचायत में जमीन के मालिकाना हक के लिए झगड़े होंगे.
'बिना तैयारी के सर्वे' : प्रशांत किशोर ने कहा कि इस सर्वेक्षण को बिना किसी तरह की तैयारी और संसाधन की व्यवस्था किए शुरू किया गया है. यह ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि कुछ दिन पहले बिहार में ज़मीन रिकॉर्ड का डिज़िटाइज़ेशन किया गया, जो की बिना किसी तैयारी के बाहरी एजेंसी के द्वारा करा दिया गया था.
''डिजिटाइजेशन में यह तय हुआ कि जो ज्यादा डिज़िटाइज़ेशन करेगा, उसे उतना ही ज्यादा पैसा मिलेगा. इसी के चलते हड़बड़ी में किसी की ज़मीन किसी के भाई के नाम और भाई की ज़मीन भतीजे के नाम पर कर दी गयी. जिससे गाँवों के स्तर पर कोहराम मच गया. इसलिए फिर से हड़बड़ी में बिना किसी तैयारी के ज़मीन सर्वे लाया गया जो कि आने वाले समय में ज़मीन से संबंधित झगड़ों का सबसे बड़ा कारण बनने वाला है.''- प्रशांत किशोर, सूत्रधार, जन सुराज
बिहार में जमीन का सर्वे : बिहार सरकार 177 सवालों की लिस्ट के साथ जमीन का सर्वे करा रही है. बिहार के 45 हजार राजस्व गांवों की जमीनों के सर्वे का काम 2025 तक पूरा करने का निर्देश है. इसलिए लोगों की लंबी-लंबी कतारें खतियान निकालने के लिए तहसीलों के बाहर लग रही है. जो लोग बिहार से बाहर रहने वाले हैं वो भी ऑनलाइन सर्वे में शामिल हो सकते हैं. सर्वे का काम पूरा होने पर जमीन के मालिकों को 45 दिन के भीतर जमीन के कागज देने होंगे.
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