जमुई: पानी के लिए संघर्ष दिखाती यह तस्वीर बिहार के जमुई जिले से 6 किलोमीटर दूर मलयपुर बस्ती की है. मार्च खत्म होने को है. लेकिन अभी से बिहार में इस वक्त गर्मी पड़नी शुरू हो गई है. हालांकि कई हिस्सों में बारिश से हल्की राहत जरूर मिली है. लेकिन सरकार के हर घर नल जल योजना के दावे यहां फेल दिखते है. हैंडपप और कुएं सूख गए हैं. ऐसे में ग्रामीण सूखी नदी में छोटे-छोटे गड्डे बनाकर पानी का जुगाड़ कर रहे हैं.
यहां सूखी नदी से बूंद-बूंद पानी बटोरते हैं लोग : जमुई मलयपुर के पास स्थित है मलयपुर बस्ती. इस बस्ती के बगल से गुजरती है आंजन नदी. बस्ती में लगभग 5 हजार के करीब आबादी और 500 परिवार है. कुछ लोगों के घर में तो बोरिंग है, लेकिन बाकी ग्रामीण गांव से कुछ दूरी पर स्थित आंजन नदी के पानी पर निर्भर है. नहाने-धोने से लेकर घर के हर काम के लिए ग्रामीणों को आंजन नदी का ही सहारा है.
पानी के लिए नदी पर लगती है भीड़ : इतना ही नहीं पहाड़ी नदी होने के कारण गर्मी में यह सूख जाता है. ग्रामीण घंटों मेहनत कर आंजन नदी में 5 फीट तक गड्डा खोदते है और पानी निकालते है. कई दिनों तक तो वो भी नसीब नहीं होता. जो पानी निकलता है वो सिर्फ खाना बनाने और पानी पीने के काम आता है. हर दिन सुबह शाम पानी के लिए यहां खूब भीड़ लगती है.
"नल जल योजना का पानी यहां नहीं मिलता है, इसलिए हमलोग नदी का पानी इस्तेमाल करते हैं. नदी का पानी स्वाद में अच्छा होता है, नल का पानी खारा होता है, और मिलता भी नहीं है. हमेशा खराब ही पड़ा बंद रहता है, कोई जांच तक करने नहीं आता. कई बार शिकायत की गई लेकिन कोई नहीं सुनता"- स्थानीय ग्रामीण
जमुई में यह समस्या क्यों? : यह समस्या कई सालों से चली आ रही है. लेकिन किसी ने अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया. नीतीश सरकार की महत्वकांक्षी नल जल योजना का कनेक्शन इलाके में बिछाया गया, मीनार बने, बोरिंग कर टंकी लगी, कुछ दिन तक पानी भी मिला, एक बार जब मोटर खराब हुआ तो नल सूख गए. किसी ने इसकी सुध नहीं ली.
'नदी का पानी बिल्कुल सुरक्षित नहीं' : एक्सपर्ट बताते हैं कि, नदी का पानी खान-पान में यूज करना बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है. इससे कई प्रकार के गंभीर बीमारी का शिकार हो सकती है. अगर कहीं भी किसी भी कारण से लोग नदी का पानी पी रहे है तो ऐसा न करें. लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. इसे मवेशी जानवर भी पानी पीते है. पहाड़ और वर्षा का पानी नदियों में आता है. इसे पीने से बच्चो पर गर्भवती महिलाओं पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है.
''नदी के पानी में कम खारापन रहता है. जबकि नल के पानी में खारापन ज्यादा होता है, इसलिए नदी के पानी में जल्दी खाना पकता है. खारेपन के कारण ही दोनों पानी के स्वाद में भी अंतर होता है. जमुई के कई इलाकों में पानी में फ्लोराइड की अधिकता देखी गई है. इस पानी के पीने से विकलांगता अन्य गंभीर बीमारी के लक्षण लोगों में देखे गए है.'' - डॉक्टर सैयद नौशाद अहमद, डीएस, जमुई सदर अस्पताल
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