रांची: लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले नेताओं के पार्टी बदलने का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले जामताड़ा जिले के कांग्रेस अध्यक्ष हरिमोहन मिश्रा ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया है. उन्होंने जमशेदपुर में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की मौजूदगी में भाजपा का दामन थाम लिया है. उनके साथ जिला उपाध्यक्ष मुस्तफा अंसारी, जिला महासचिव विमल कुमार, महिला जिलाध्यक्ष बेबी पासवान, एनएसयूआई जिलाध्यक्ष विक्रांत सिंह, नारायणपुर प्रखंड अध्यक्ष तारकेश्वर सिंह, जामताड़ा प्रखंड अध्यक्ष असलम अंसारी, नारायणपुर प्रखंड उपाध्यक्ष युवराज सिंह, मंडल अध्यक्ष विवेका रंजन सिंह भी भाजपा में शामिल हो गये हैं.
इरफान अंसारी ने दी प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेताओं के भाजपा में शामिल होने पर जामताड़ा से कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि हरिमोहन मिश्रा का परिवार शुरू से ही भाजपा से जुड़ा रहा है. उनको पार्टी से निकालने की तैयारी हो गई थी. इसकी भनक लगने पर उन्होंने पाला बदल लिया. उनका जाना पार्टी के लिए अच्छा है. वह सेटिंग गेटिंग कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. उन्होंने कहा कि हरिमोहन मिश्रा एंड फेमिला कारोबारी है. इनका पत्थर का कारोबार है. यह अप्रत्यक्ष रुप से कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे थे.
हरिमोहन ने बताई पार्टी छोड़ने की वजह
कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं का आरोप है कि विधायक इरफान अंसारी का व्यवहार संगठन के प्रति नाकारात्मक रहा है. इस वजह से संगठन लगातार कमजोर होता जा रहा है. इरफान अंसारी और उनके पिता फुरकान अंसारी चाहते हैं कि पार्टी के कार्यकर्ता इन दोनों की परिक्रमा लगाते रहें. दोनों जिला संगठन को कुछ नहीं समझते हैं. खुद को पार्टी से ऊपर मानते हैं. संथाल परगना में पार्टी की दुर्दशा के लिए बाप-बेटा जिम्मेदार हैं. पार्टी से गद्दारी करना और धोखेबाजी करना इनकी फितरत में शामिल है. इरफान अंसारी का भाई खुद ठेका का काम करता है. इनके पिता दलाली करते हैं. विधायक फंड से तालाब, कुआं के निर्माण में 30 से 40 प्रतिशत का कमीशन खाते हैं. इस वजह से इस पार्टी में रहना मुश्किल हो गया है.
कौन हैं हरिमोहन मिश्रा?
आपको बता दें कि हरिमोहन मिश्रा ने अपनी राजनीति की शुरुआत साल 2006 में मनरेगा जिला संयोजक से की थी. इसके बाद वे लगातार आगे बढ़ते रहे. वे इंटक के जिला अध्यक्ष, एआईसीसी के सदस्य बने और फिर जिला अध्यक्ष के पद तक पहुंचे. इस दौरान उन्हें अपनी ही पार्टी में हर कदम पर विरोध का सामना करना पड़ा. कांग्रेस पार्टी में रहते हुए उन्होंने अपनी सभी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन किया और एक अलग छाप छोड़ी.
यह भी पढ़ें: चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका, सांसद गीता कोड़ा ने बीजेपी का थामा दामन
यह भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस को झटका, दो विधायकों ने थामा बीजेपी का दामन