नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया के दंत चिकित्सा संकाय के सर्जनों ने सफलतापूर्ण सर्जरी कर एक छोटे बच्चे को नया जीवन दिया है. बच्चा बाइलेटरल टीएमजे एंकिलोसिस नाम की बीमारी से पीड़ित था, जिसमें निचले जबड़े का जोड़ (टीएमजे) खोपड़ी के आधार से जुड़ जाता है, इससे पीड़ित व्यक्ति का मुंह खोलना असंभव हो जाता है. प्रो डॉ. इमरान खान के नेतृत्व में कुशल डॉक्टरों की टीम ने इस बच्चे की सर्जरी सफलतापूर्वक की और उसे नया जीवन दिया.
बच्चे के पिता जितेंद्र ने बताया कि, जब वह 5 साल का था, तब उसकी ठुड्डी (चिन) पर चोट लग गई थी, तब से उसका मुंह धीरे-धीरे कम खुलने लगा और वह एक ऐसी स्थिति में पहुंच गया जब वह अपना मुंह 1 मिमी भी नहीं खोल पाता था, जिसके कारण वह केवल तरल आहार की ले पाता था. जिससे वह शारीरिक रूप से बहुत कमजोर और कुपोषित हो गया था. कई निजी अस्पतालों के चक्कर काटे जहां उन्हें बताया गया कि सर्जरी की लागत लाखों में होगी.
मजदूर पिता के पास नहीं थे सर्जरी के पैसे
जितेंद्र पेशे से एक दिहाड़ी मजदूर हैं, इसलिए सर्जरी का खर्च वहन करना उनके लिए कठिन हो गया था. उन्होंने प्रमुख सरकारी संस्थानों में भी जाने की कोशिश की, लेकिन वहां प्रतीक्षा सूची बहुत लंबी थी, अंततः उन्हें एक डॉक्टर द्वारा ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग, दंत चिकित्सा संकाय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया में रेफर किया गया, जहां ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग के प्रो डॉ इमरान खान ने उस बच्चे की जांच की.
यह भी पढ़ें- दुनिया का सबसे पॉपुलर पॉप सिंगर भी था इस बीमारी का शिकार, जानिए क्या होता है विटिलिगो?
07 जून, 2024 को हमदर्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च के एचएएचसी अस्पताल में बच्चे की सफल सर्जरी हुई. मुख्य सर्जन प्रो इमरान खान ने बताया कि एनेस्थेटिक चुनौतियों और इसमें शामिल सर्जिकल जोखिमों के कारण 7 घंटे लंबी यह सर्जरी अत्यंत चुनौतीपूर्ण थी. एनेस्थीसिया की टीम का नेतृत्व प्रो खरात एम भट्ट ने अपनी टीम के सदस्य डॉ प्रतिभा पंजियार के साथ किया. सर्जरी में निचले जबड़े के जोड़ (टीएमजे) और खोपड़ी के आधार के बीच जुड़े हुए हड्डी के मास को हटाया गया और एक नया जोड़ बनाया गया.
उसके जबड़े की होगी फिजियोथेरेपी
सर्जरी के उपरांत बच्चा लगभग 3 साल बाद अपना मुंह खोलने और चबाने में सक्षम हो पाया है. प्रो इमरान खान ने बताया कि सूर्या की गहन निगरानी की जाएगी और अगले कुछ महीनों से लेकर सालों तक उसके जबड़े की फिजियोथेरेपी की जाएगी. एचएएचसी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो मुशर्रफ हुसैन ने प्रक्रिया के सफल निष्पादन को देखते हुये सर्जिकल और एनेस्थेटिक टीम को बधाई दी और अपनी ओर से संतुष्टि व्यक्त की.
यह भी पढ़ें- दिल्ली में धीमी पड़ी हीट वेव, अस्पतालों में घटे मरीज; सफदरजंग में एक की मौत