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जामिया मिल्लिया इस्लामिया में बिना अनुमति प्रदर्शन करने पर होगी कार्रवाई, कुलसचिव ने जारी किया आदेश - JAMIA MILLIA ISLAMIA BAN PROTEST

-बिना अनुमति के बैठक, सभा या धरना न आयोजित करने की अपील -दोषी पाए जाने पर छात्रों के ऊपर होगी कार्रवाई.

जामिया मिल्लिया इस्लामिया
जामिया मिल्लिया इस्लामिया (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 1, 2024, 10:11 PM IST

नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने छात्रों के प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस संबंध में आदेश जारी कर कहा है कि बिना अनुमति के कोई भी प्रदर्शन करेगा तो तय नियमों के अनुसार उसपर कठोर कार्रवाई की जाएगी. बीते 28 नवंबर को विश्वविद्यालय में संभल हिंसा के विरोध में कुछ छात्रों ने प्रदर्शन किया था. आदेश को इस प्रदर्शन से जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि, ऐसा आदेश 2022 में भी जारी किया गया था और उसका हवाला भी दिया गया है.

छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय के इस निर्णय और आदेश की निंदा की है. विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर महताब आलम रिजवी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि संज्ञान में आया है कि कुछ छात्र विश्वविद्यालय अधिकारियों की अनुमति या सूचना के बिना प्रधानमंत्री और देश की अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के खिलाफ ऐसे मुद्दों पर नारे लगाने में शामिल हैं, जिनका न तो शिक्षा जगत से और न ही विश्वविद्यालय से कोई संबंध है. 29 अगस्त, 2022 के आदेश की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा गया है कि विश्वविद्यालय के छात्रों को सलाह दी गई थी कि वे अधिकारियों की पूर्व अनुमति के परिसर के किसी भी भाग में ऐसी बैठकें, सभा या धरना आयोजित न करें और न ही नारे लगाएं.

आदेश में आगे कहा गया है कि, विश्वविद्यालय के सभी छात्रों की जानकारी के लिए एक बार फिर दोहराया जाता है कि जामिया परिसर के किसी भी हिस्से में किसी भी संवैधानिक गणमान्य व्यक्ति के खिलाफ कोई विरोध प्रदर्शन, धरना, नारेबाजी की अनुमति नहीं दी जाएगी. दोषी पाए जाने पर छात्रों के खिलाफ विश्वविद्यालय के नियमों के और प्रावधानों के अनुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. सभी फैकल्टी के अध्यक्षों को आदेश का पालन करने के लिए कहा गया है.

आइसा ने किया विरोध: इस आदेश का वामपंथी छात्र संगठन आल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) ने विरोध किया है. आइसा की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, जामिया कोई साधारण परिसर नहीं है. इस विश्वविद्यालय का उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ खड़े होने का गौरवशाली इतिहास रहा है. उपनिवेशवाद, विरोधी संघर्ष के दौरान अपनी स्थापना से लेकर सीएए-एनआरसी का विरोध करने में अपनी भूमिका तक, जामिया हमेशा प्रतिरोध का गढ़ रहा है. हम इस विरासत को छात्रों के हाथों से जाने नहीं देंगे. हम इसका विरोध करेंगे. आइसा की राज्य सचिव नेहा तिवारी ने कहा कि कुछ दिन पहले संभल में हिंसा के विरोध में छात्रों ने सामूहिक प्रदर्शन कर विरोध जताया था. इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह आदेश जारी किया है. विश्वविद्यालय प्रशासन सामूहिक विरोध की आवाज को दबाना चाहता है. छात्र ऐसे दबाव में नहीं आएंगे.

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नई दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने छात्रों के प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस संबंध में आदेश जारी कर कहा है कि बिना अनुमति के कोई भी प्रदर्शन करेगा तो तय नियमों के अनुसार उसपर कठोर कार्रवाई की जाएगी. बीते 28 नवंबर को विश्वविद्यालय में संभल हिंसा के विरोध में कुछ छात्रों ने प्रदर्शन किया था. आदेश को इस प्रदर्शन से जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि, ऐसा आदेश 2022 में भी जारी किया गया था और उसका हवाला भी दिया गया है.

छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय के इस निर्णय और आदेश की निंदा की है. विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर महताब आलम रिजवी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि संज्ञान में आया है कि कुछ छात्र विश्वविद्यालय अधिकारियों की अनुमति या सूचना के बिना प्रधानमंत्री और देश की अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के खिलाफ ऐसे मुद्दों पर नारे लगाने में शामिल हैं, जिनका न तो शिक्षा जगत से और न ही विश्वविद्यालय से कोई संबंध है. 29 अगस्त, 2022 के आदेश की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा गया है कि विश्वविद्यालय के छात्रों को सलाह दी गई थी कि वे अधिकारियों की पूर्व अनुमति के परिसर के किसी भी भाग में ऐसी बैठकें, सभा या धरना आयोजित न करें और न ही नारे लगाएं.

आदेश में आगे कहा गया है कि, विश्वविद्यालय के सभी छात्रों की जानकारी के लिए एक बार फिर दोहराया जाता है कि जामिया परिसर के किसी भी हिस्से में किसी भी संवैधानिक गणमान्य व्यक्ति के खिलाफ कोई विरोध प्रदर्शन, धरना, नारेबाजी की अनुमति नहीं दी जाएगी. दोषी पाए जाने पर छात्रों के खिलाफ विश्वविद्यालय के नियमों के और प्रावधानों के अनुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. सभी फैकल्टी के अध्यक्षों को आदेश का पालन करने के लिए कहा गया है.

आइसा ने किया विरोध: इस आदेश का वामपंथी छात्र संगठन आल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) ने विरोध किया है. आइसा की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, जामिया कोई साधारण परिसर नहीं है. इस विश्वविद्यालय का उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ खड़े होने का गौरवशाली इतिहास रहा है. उपनिवेशवाद, विरोधी संघर्ष के दौरान अपनी स्थापना से लेकर सीएए-एनआरसी का विरोध करने में अपनी भूमिका तक, जामिया हमेशा प्रतिरोध का गढ़ रहा है. हम इस विरासत को छात्रों के हाथों से जाने नहीं देंगे. हम इसका विरोध करेंगे. आइसा की राज्य सचिव नेहा तिवारी ने कहा कि कुछ दिन पहले संभल में हिंसा के विरोध में छात्रों ने सामूहिक प्रदर्शन कर विरोध जताया था. इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह आदेश जारी किया है. विश्वविद्यालय प्रशासन सामूहिक विरोध की आवाज को दबाना चाहता है. छात्र ऐसे दबाव में नहीं आएंगे.

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