ग्वालियर। शहर में पानी सप्लाई के टेंडर मामले में बड़ा घोटाला सामने आया है. करीब दो दशक पुराने नगर निगम के पीएचई विभाग के कथित घोटाले में पूर्व कार्यपालन यंत्री आर एन करैया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है. करैया पर आरोप है कि शहर के नलकूप खनन की गहराई करने और उसमें मोटर डालने के नाम पर तत्कालीन कार्यपालन यंत्री ने अपने चहेतों को लाभ पहुंचाया. आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो यानी ईओडब्ल्यू ने तत्कालीन कार्यपालन यंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद जांच शुरू कर दी है.
चहेतों को पहुंचाया लाभ
ईओडब्ल्यू ने जल प्रदाय योजना घोटाला मामले में जांच के आधार पर नगर निगम की पीएचई शाखा के पूर्व कार्यपालन यंत्री आर एन करैया पर एफआईआर दर्ज की है. उनपर शहर के जल प्रदाय टेंडर में हेर-फेर कर 90 लाख का घोटाला करने का आरोप है. गौरतलब है कि साल 2000 से 2011 के बीच हुए जल प्रदाय से जुड़े टेंडर में तत्कालीन कार्यपालन यंत्री आर एन करैया ने अपने चहेतों को भुगतान कराया था. 18 करोड़ के पीएचई घोटाले में पहले से ही आर एन करैया जेल में बंद हैं. अब इस नए घोटाले के बाद आरोपी को रिमांड पर लेकर ईओडब्ल्यू पूछताछ करेगी. शहर के पाटनकर बाजार इलाके में रहने वाले अशोक पाल नाम के व्यक्ति ने ईओडब्ल्यू में आर एन करैया के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. जिसके बाद जांच में घोटाला सामने आया है.
करीबियों को लाभ पहुंचाने के लिए रची थी साजिश
ग्वालियर ईओडब्ल्यू डीएसपी, दामोदर गुप्ता ने बताया कि "साल 2000 में नगर निगम में तत्कालीन पदस्थ कार्यपालन यंत्री, आर एन करैया के खिलाफ ईओडब्लू को शिकायत मिली थी. उस समय जल प्रदाय योजना के तहत पुराने बोरों में मोटर डालकर उन्हें फिर से चालू करने का कार्य किया जाना था. शिकायत के आधार पर प्रारंभिक जांच की गई तो उसमें बहुत सारी अनियमितता पाई गई. जांच में पाया गया कि करैया ने टेंडर की शर्तों में अन्य व्यक्तियों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से कूट रचना की थी. जांच में आरोपी के खिलाफ अपराध के सबूत सामने आये हैं, जिसके आधार पर मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है".