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जल जीवन मिशन का डेडलाइन पूरा, लेकिन काम अधूरा, आज भी पेयजल के लिए तरस रहे ग्रामीण - JAL JEEVAN MISSION

जल जीवन मिशन का काम डेडलाइन पूरा होने के बाद भी अधूरे रहने की वजह से आज भी ग्रामीण पेयजल के लिए तरस रहे हैं.

JAL JEEVAN MISSION
जल जीवन मिशन का काम अधूरा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 21, 2025, 6:00 PM IST

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : जल जीवन मिशन केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना है. इस योजना का उद्देश्य ग्रामीणों के घरों तक शुद्ध जल पहुंचाना था. इसमें करोड़ों रुपये तो खर्च किए गए, लेकिन आज भी कुछ ऐसे क्षेत्र है जहां ग्रामीणों को पीने के पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है.

कई गांवों में टंकी निर्माण कार्य अधूरा : केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन का उद्देश्य ग्रामीणों के घरों में नल के जरिए पानी पहुंचाना है. इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में टंकियों का निर्माण कार्य शुरू किया गया. लोगों के घरों तक पाइपलाइन बिछाए भी गए, लेकिन कई गांवों में आज तक पानी की टंकी ही पूरी नहीं बन पाई है. जो बनी है, वह भी आधी अधूरी है. ऐसे में जल जीवन मिशन को लेकर विभाग के निर्माण कार्य सवालों के घेरे में है.

आज भी गांव में पेयजल की समस्या बरकरार (ETV Bharat)

31 मार्च 2024 तक करना था पूरा : केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'जल जीवन मिशन' के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री ने 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. योजना की जब शुरुआत हुई तो ग्रामीणों में उम्मीद जागी कि अब उन्हें शुद्ध पेयजल मिल सकेगा. इस कार्य को पूरा करने के लिए 31 मार्च 2024 की डेडलाइन भी रखी गई थी, लेकिन यह योजना आज भी काम अधर में लटकी हुई है. इस योजना में अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है, जिस वजह से यह योजना पूरी तरह विफल नजर आ रही है.

नदी नालों का पानी पीने को मजबूर ग्रामीण : मनेंद्रगढ़ जनपद पंचायत के कछौड़ गांव में जल जीवन मिशन के तहत पानी टंकी का निर्माण किया गया, पाइपलाइन बिछाई गई और हर घर में नल की टोटी लगाई गई. लेकिन एक साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है. करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद यह योजना सिर्फ कागजों पर ही पूरी दिखती है, लेकिन जमीनी स्तर पर हकीकत उद्देश्य अधूरा ही है.


जब योजना शुरू हुई थी, तो हमें लगा कि अब हमें शुद्ध पानी मिलेगा. लेकिन आज भी हम नदी और नालों का पानी पीने को मजबूर हैं. टंकियां अधूरी पड़ी हैं, पाइपलाइनें टूटी हुई हैं और टोंटियों में पानी नहीं आ रहा : छविलाल सिंह, निवासी, कछौड़ गांव

जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार के आरोप : जल जीवन मिशन को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि इस योजना में भ्रष्टाचार चरम पर है. ठेकेदारों ने घटिया सामग्री का उपयोग किया है. अधिकारी निगरानी करने में पूरी तरह विफल रहे. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री की यह योजना केवल कागजों तक सिमट गई है. अगर अधिकारियों ने मॉनिटरिंग की होती, तो आज स्थिति कुछ और होती.

अधूरे कार्य को लेकर क्या बोले अधिकारी : जब मनेंद्रगढ़ पीएचई विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उन्होंने अपना ट्रांसफर होने का हवाला देते हुए जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. यह दर्शाता है कि इस योजना को लेकर विभाग की गंभीरता न के बराबर है.

जल जीवन मिशन से संबेधित समस्याएं हैं, जो हाल ही में मेरे संज्ञान में लाई गई है. पूरे प्रदेश में जल जीवन मिशन का काम शुरु होने से टंकी निर्माण में मजदूरों की कमी बड़ी समस्या बनी रही है, जसके चलते टंकी निर्माण में देरी हो रही है. हम ठेकेदार को काम पूरा करने को लेकर निर्देशित कर चुके हैं : आकाश पोद्दार, खंड अभियंता, पीएचई बैकुंठपुर

शुद्ध पेयजल की बाट जोह रहे ग्रामीण : जन जीवन मिशन के तहत कार्य का सही क्रियान्वयन न होना विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है. कोरिया और एमसीबी जिले के लिए केंद्र सरकार ने 600 करोड़ रुपये से अधिक की राशि आवंटित की थी. लेकिन वनांचल क्षेत्र के हालात देखकर लगता है कि यह योजना सफेद हाथी बनकर न रह जाए. इसके काम अधूरे रहने के चलते ग्रामीणों को नालों और नदियों के पानी पर निर्भर रहना पड़ रहा है. अब यह देखना होगा कि कब इन योजनाओं की जांच होगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी. फिलहाल, वनांचल के ग्रामीण इस योजना का काम पूरा होनो और शुद्ध पेयजल की बाट जोह रहे हैं.

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मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : जल जीवन मिशन केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना है. इस योजना का उद्देश्य ग्रामीणों के घरों तक शुद्ध जल पहुंचाना था. इसमें करोड़ों रुपये तो खर्च किए गए, लेकिन आज भी कुछ ऐसे क्षेत्र है जहां ग्रामीणों को पीने के पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है.

कई गांवों में टंकी निर्माण कार्य अधूरा : केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन का उद्देश्य ग्रामीणों के घरों में नल के जरिए पानी पहुंचाना है. इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में टंकियों का निर्माण कार्य शुरू किया गया. लोगों के घरों तक पाइपलाइन बिछाए भी गए, लेकिन कई गांवों में आज तक पानी की टंकी ही पूरी नहीं बन पाई है. जो बनी है, वह भी आधी अधूरी है. ऐसे में जल जीवन मिशन को लेकर विभाग के निर्माण कार्य सवालों के घेरे में है.

आज भी गांव में पेयजल की समस्या बरकरार (ETV Bharat)

31 मार्च 2024 तक करना था पूरा : केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'जल जीवन मिशन' के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री ने 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. योजना की जब शुरुआत हुई तो ग्रामीणों में उम्मीद जागी कि अब उन्हें शुद्ध पेयजल मिल सकेगा. इस कार्य को पूरा करने के लिए 31 मार्च 2024 की डेडलाइन भी रखी गई थी, लेकिन यह योजना आज भी काम अधर में लटकी हुई है. इस योजना में अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है, जिस वजह से यह योजना पूरी तरह विफल नजर आ रही है.

नदी नालों का पानी पीने को मजबूर ग्रामीण : मनेंद्रगढ़ जनपद पंचायत के कछौड़ गांव में जल जीवन मिशन के तहत पानी टंकी का निर्माण किया गया, पाइपलाइन बिछाई गई और हर घर में नल की टोटी लगाई गई. लेकिन एक साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है. करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद यह योजना सिर्फ कागजों पर ही पूरी दिखती है, लेकिन जमीनी स्तर पर हकीकत उद्देश्य अधूरा ही है.


जब योजना शुरू हुई थी, तो हमें लगा कि अब हमें शुद्ध पानी मिलेगा. लेकिन आज भी हम नदी और नालों का पानी पीने को मजबूर हैं. टंकियां अधूरी पड़ी हैं, पाइपलाइनें टूटी हुई हैं और टोंटियों में पानी नहीं आ रहा : छविलाल सिंह, निवासी, कछौड़ गांव

जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार के आरोप : जल जीवन मिशन को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि इस योजना में भ्रष्टाचार चरम पर है. ठेकेदारों ने घटिया सामग्री का उपयोग किया है. अधिकारी निगरानी करने में पूरी तरह विफल रहे. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री की यह योजना केवल कागजों तक सिमट गई है. अगर अधिकारियों ने मॉनिटरिंग की होती, तो आज स्थिति कुछ और होती.

अधूरे कार्य को लेकर क्या बोले अधिकारी : जब मनेंद्रगढ़ पीएचई विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उन्होंने अपना ट्रांसफर होने का हवाला देते हुए जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. यह दर्शाता है कि इस योजना को लेकर विभाग की गंभीरता न के बराबर है.

जल जीवन मिशन से संबेधित समस्याएं हैं, जो हाल ही में मेरे संज्ञान में लाई गई है. पूरे प्रदेश में जल जीवन मिशन का काम शुरु होने से टंकी निर्माण में मजदूरों की कमी बड़ी समस्या बनी रही है, जसके चलते टंकी निर्माण में देरी हो रही है. हम ठेकेदार को काम पूरा करने को लेकर निर्देशित कर चुके हैं : आकाश पोद्दार, खंड अभियंता, पीएचई बैकुंठपुर

शुद्ध पेयजल की बाट जोह रहे ग्रामीण : जन जीवन मिशन के तहत कार्य का सही क्रियान्वयन न होना विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है. कोरिया और एमसीबी जिले के लिए केंद्र सरकार ने 600 करोड़ रुपये से अधिक की राशि आवंटित की थी. लेकिन वनांचल क्षेत्र के हालात देखकर लगता है कि यह योजना सफेद हाथी बनकर न रह जाए. इसके काम अधूरे रहने के चलते ग्रामीणों को नालों और नदियों के पानी पर निर्भर रहना पड़ रहा है. अब यह देखना होगा कि कब इन योजनाओं की जांच होगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी. फिलहाल, वनांचल के ग्रामीण इस योजना का काम पूरा होनो और शुद्ध पेयजल की बाट जोह रहे हैं.

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